क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

जेएनयू गैंग के डर से यूपी कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष पद ठुकरा रहे हैं पार्टी नेता

Google Oneindia News

कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्‍व पार्टी के लिए पूर्णकालिक अध्यक्ष तलाश रहा है तो वहीं उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण एवं प्रमुख राज्य में कोई कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनने को तैयार नहीं हो रहा है। प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्‍लू के इस्‍तीफा देने के छह माह बाद भी पार्टी नया अध्‍यक्ष नहीं तय कर पाई है। कई वरिष्ठ नेताओं को अध्यक्ष की जिम्‍मेदारी देने की पेशकश की गई, लेकिन उन्‍होंने उम्र का हवाला देते हुए इनकार कर दिया।

UP Congress leaders terrified of JNU gang around Priyanka gandhi

आखिर ऐसा क्‍या हो रहा है कि वरिष्‍ठ नेता यूपीसीसी के अध्‍यक्ष पद की जिम्‍मेदारी नहीं निभाना चाह रहे हैं? दरअसल, उत्‍तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बदहाली के पीछे सबसे बड़ा कारण प्रदेश प्रभारी प्रियंका वाड्रा के निजी सचिव संदीप सिंह को माना जा रहा है। जाहिर है कि जब से प्रियंका ने प्रभारी के रूप में यूपी की बागडोर संभाली है, तब से पार्टी से नेताओं के पलायन और खराब प्रदर्शन दोनों में बढोत्तरी हुई है। प्रियंका के नेतृत्‍व में ही कांग्रेस को अपनी परंपरागत सीट अमेठी में भी हार का सामना करना पड़ा। उनके नेतृत्‍व में ही कांग्रेस विधानसभा में अब तक के अपने न्‍यूनतम स्‍तर दो सीटों पर पहुंच चुकी है।

विधान परिषद के इतिहास में पहली बार कांग्रेस का एक भी सदस्‍य उच्च सदन में नहीं है। कांग्रेस से जुड़े लोगों का कहना है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से केवल उत्तर प्रदेश में कम से कम 9000 वरिष्‍ठ नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ दी है। इससे बड़ी विडम्‍बना क्‍या होगी कि कांग्रेस और बनारस के औरंगाबाद हाउस का 116 साल पुराना साथ चौथी पीढ़ी के ललितेशपति त्रिपाठी के पार्टी छोड़ने के साथ ही खत्‍म हो गया। पूर्व मुख्‍यमंत्री पंडित कमलापति त्रिपाठी का परिवार कांग्रेस से किनारा कर लेता है तो इसे कतई सामान्‍य बात नहीं माना जा सकता है। बावजूद इससे कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्‍व की सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है।

ललितेश ने पार्टी छोड़ते समय कहा भी था कि संदीप सिंह ने शीर्ष नेतृत्‍व से मशविरे की कोई गुंजाइश ही नहीं छोड़ी थी। ललितेशपति त्रिपाठी के आरोपों को कांग्रेस प्रवक्‍ता एवं एआईसीसी मेंबर रह चुके जीशान हैदर के बयान से भी बल मिलता है। जीशान ने बाकायदा बयान जारी कर कर कहा था कि यूपी में कांग्रेस का जो हश्र हुआ, वह जेएनयू गैंग की वजह से हुआ है। तीन-चार लोगों के इस गैंग का जो सरगना है, वह प्रियंका जी का नौकर है। जीशान का इशारा सीधे सीधे संदीप सिंह की ओर था जो अतीत में वामपंथी संगठन आइसा से जुड़ा हुआ था तथा इसी संगठन के बैनर तले वह जेएनयू का छात्र संघ अध्‍यक्ष बनने में भी सफल रहा था।

जीशान ने यह भी आरोप लगाया कि इसी गैंग ने विधानसभा के टिकट बांटकर भाजपा की मदद की। जीशान ने प्रियंका गांधी पर भी हमला बोलते हुए कहा था कि जब से प्रियंका गांधी यूपी की प्रभारी बनी हैं तब से पार्टी के 30 पूर्व सांसद, पूर्व विधायक एवं पूर्व मंत्री पार्टी छोड़कर जा चुके हैं। दरअसल, प्रियंका के करीबी निजी सचिव संदीप सिंह पार्टी के भीतर ही नहीं बाहर भी लगातार विवादों में रहे हैं। संदीप सिंह और उनके तीन सहयोगियों पर घर में ताक-झांक तथा मारपीट करने के आरोप में उत्तर प्रदेश राज्‍य संपत्ति विभाग का ड्राइवर प्रशांत कुमार हुसैनगंज थाने में मामला दर्ज करा चुका है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को काला झंडा दिखाकर चर्चा में आये संदीप सिंह राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के आंख-नाक-कान माने जाते हैं। ऐसा लगता है कि शीर्ष नेतृत्‍व को संदीप सिंह की कीमत पर पार्टी में किसी नेता की जरूरत नहीं है, उनकी भी नहीं जो कांग्रेस के मुश्किल दौर में भी उसके साथ खड़े रहे हैं।

कई प्रमुख नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद भी केंद्रीय नेतृत्‍व ने संदीप सिंह के अधिकारों में कोई कटौती नहीं की। कई नेता यूपी कांग्रेस को वामपंथ की शरणस्‍थली बताने से भी नहीं चूकते हैं। 2019 के चुनाव के बाद से कांग्रेस के कई बड़े नेता, जिनमें आरपीएन सिंह, जितिन प्रसाद, इमरान मसूद, अदिति सिंह, अन्‍नू टंडन, नरेश सैनी, पंकज मलिक, ललितेशपति त्रिपाठी, राजेशपति त्रिपाठी, मसूद अख्‍तर, राकेश सचान, दिनेश प्रताप सिंह, राजा रामपाल, विनोद चतुर्वेदी, ऊषा मौर्य पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में जा चुके हैं।

जितिन प्रसाद, राकेश सचान, दिनेश प्रताप सिंह योगी मंत्रिमंडल में शामिल हैं तो अदिति सिंह भाजपा तथा पंकज मलिक, विनोद चतुर्वेदी, ऊषा मौर्य सपा से विधायक हैं। खबर है कि कांग्रेस यूपी में भाजपा के क्षेत्रीय अध्‍यक्षों की तर्ज पर छह कार्यकारी अध्‍यक्ष बनाने के प्रस्‍ताव पर काम कर रही है। इसके पीछे भी संदीप सिंह का दिमाग बताया जा रहा है। प्रस्‍ताव में प्रदेश को छह सांगठनिक जोन में बांटकर कार्यकारी अध्‍यक्ष तैनात करना शामिल है, इन सबके ऊपर प्रदेश अध्‍यक्ष होगा। माना जा रहा है कि यह प्रियंका गांधी की टीम का प्रस्‍ताव है, लिहाजा इसे स्‍वीकार कर इसे यूपी में लागू किया जा सकता है।

छह महीने से खाली यूपीपीसी अध्‍यक्ष की कुर्सी की रेस में पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद, राज्‍यसभा सांसद प्रमोद तिवारी, पूर्व अध्‍यक्ष निर्मल खत्री, पूर्व आईएएस पीएल पुनिया, पूर्व सांसद राजेश मिश्रा तथा आचार्य प्रमोद कृष्‍णम के नाम हैं। निर्मल खत्री, पीएल पुनिया और प्रमोद तिवारी ने उम्र का हवाला देकर खुद को रेस से बाहर कर लिया है।

माना जा रहा है कि इतने साल कांग्रेस में गुजारने के बाद ये लोग आखिरी वक्‍त में प्रियंका वाड्रा के सहयोगी से किसी विवाद में नहीं उलझना चाहते हैं। ऐसे में राजेश मिश्रा, आचार्य प्रमोद कृष्‍णम एवं सलमान खुर्शीद में कोई एक यूपीसीसी का नया अध्‍यक्ष बन सकता है, लेकिन वामपंथी दिमाग और कांग्रेसी कल्‍चर के बीच नवनियुक्‍त अध्‍यक्ष पार्टी को कितना आगे ले जाता है, यह देखने वाली बात होगी।

यह भी पढ़ेंः भारत और इस्लाम: महाराजा दाहिर का मुहम्मद बिन कासिम से मुकाबला

(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. लेख में प्रस्तुत किसी भी विचार एवं जानकारी के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)

Comments
English summary
UP Congress leaders terrified of JNU gang around Priyanka gandhi
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X