क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

जनसंख्या नियंत्रण के लिए संविधान संशोधन 1976 में हो गया लेकिन कानून आजतक नहीं बना

By अश्वनी उपाध्याय
Google Oneindia News
संविधान

हमारे देश में जनसंख्या का विस्फोट कई बड़ी समस्याओं की जड़ बन चुका है। बेरोजगारी, गरीबी, कुपोषण, तमाम तरह के प्रदूषण जैसी समस्याओं के जड़ में जनसंख्या का विस्फोट ही है। इन दिनों गंभीर होती है इस समस्या पर लोगों का ध्यान आकृष्ट तो हुआ और सड़क से लेकर संसद तक इसकी चर्चा शुरू हुई है लेकिन सियासत के चलते जनसंख्या विस्फोट पर नियंत्रण के लिए कोई कानून संसद में अब तक नहीं बन सका है।

1976 में संसद के दोनों सदनों में विस्तृत चर्चा के बाद 42वां संविधान संशोधन विधेयक पास हुआ था और संविधान की सातवीं अनुसूची में "जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन" का प्रावधान किया गया. 42वें संविधान संशोधन द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों को जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का अधिकार दिया गया लेकिन वोटबैंक की राजनीति के कारण आजतक एक कठोर और प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बना जबकि देश की 50% समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है.

संविधान

वर्तमान समय में 125 करोड़ भारतीयों के पास आधार है, 20% अर्थात 25 करोड़ नागरिक (विशेष रूप से बच्चे) बिना आधार के हैं तथा लगभग पांच करोड़ बंगलादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिये अवैध रूप से भारत में रहते हैं. इससे स्पष्ट है कि हमारे देश की जनसँख्या सवा सौ करोड़ नहीं बल्कि डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा है और हम चीन से बहुत आगे निकल चुके हैं. यदि संसाधनों की बात करें तो हमारे पास कृषि योग्य भूमि दुनिया की लगभग 2% है, पीने योग्य पानी लगभग 4% है, और जनसँख्या दुनिया की 20% है. यदि चीन से तुलना करें तो हमारा क्षेत्रफल चीन का एक तिहाई है जबकि जनसँख्या वृद्धि की दर चीन की तीन गुना है.

पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी द्वारा बनाये गए 11 सदस्यीय संविधान समीक्षा आयोग (वेंकटचलैया आयोग) ने 2 वर्ष तक अथक परिश्रम और विस्तृत विचार-विमर्श के बाद संविधान में आर्टिकल 47A जोड़ने और जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था जिसे आजतक लागू नहीं किया गया. अब तक 125 बार संविधान में संशोधन हो चुका है, 3 बार सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी बदला जा चुका है, सैकड़ों नए कानून बनाये गए लेकिन देश के लिए सबसे ज्यादा जरुरी जनसँख्या नियंत्रण कानून नहीं बनाया गया, जबकि 'हम दो-हमारे दो' कानून से भारत की 50% समस्याओं का समाधान हो जाएगा.

संविधान

वेंकटचलैया आयोग ने 2 वर्ष तक कड़ी मेहनत और सभी सम्बंधित पक्षों से विस्तृत विचार-विमर्श के बाद 31 मार्च 2002 को अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी था. इसी आयोग की सिफारिस पर मनरेगा, राईट टू एजुकेशन, राईट टू इनफार्मेशन और राईट टू फूड जैसे महत्वपूर्ण कानून बनाये गए लेकिन जनसँख्या नियंत्रण कानून पर संसद में चर्चा भी नहीं हुयी. इस आयोग ने मौलिक कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए भी महत्वपूर्ण सुझाव दिया था जिसे आजतक लागू नहीं किया गया. वेंकटचलैया आयोग द्वारा चुनाव सुधार प्रशासनिक सुधार और न्यायिक सुधार के लिए दिए गए सुझाव भी आजतक लंबित हैं.

(इस लेख में व्यक्त विचार, लेखक के निजी विचार हैं. आलेख में दी गई किसी भी सूचना की तथ्यात्मकता, सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं।)

Comments
English summary
The constitution amendment for population control was done in 1976 but the law was not made till date.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X