जंगी जुनून में तबाह हो रहे लाखों बचपन
दुनिया में प्राकृतिक आपदाएं आने का लंबा इतिहास रहा है। इनमें लाखों लोग जान गंवा चुके हैं। इसके बाद भी इंसान आपदा को ईश्वर की मर्जी मानकर जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश करता है। अफसोस तब होता है जब मानवजनित आपदा, इंसानियत का कत्ल करने पर आमादा हो जाती है। कोरोनाकाल के बाद से ही दुनिया कई चुनौतियों का सामना कर रही है। एक ओर जिंदगी के लिए संघर्ष जारी है तो दूसरी ओर देशों के बीच युद्ध अथवा किसी देश के भीतर ही जारी हिंसा ने स्थितियों को और ज्यादा खतरनाक बना दिया है। अनिश्चितता, विस्थापन और भय के इस माहौल में बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। बालश्रम, बाल यौन शोषण, बच्चों की ट्रैफिकिंग और कुपोषण के मामले निरंतर बढ़ते जा रहे हैं। इंसान के जंगी जुनून के बीच लाखों बचपन तबाह हो रहे हैं। बच्चों को इन खतरों से बचाने के लिए वैश्विक स्तर पर एकजुट होकर प्रयास करने होंगे। यदि हम आज बच्चों को इस विपत्ति से नहीं बचा सके तो यकीन मानिए कि आने वाला भविष्य और ज्यादा भयावह मंजर लेकर आएगा।
पहले बात करते हैं कोरोनाकाल की। भारत में कोरोना की शुरुआत होते ही सबसे पहले पलायन की समस्या ने विकराल रूप लेना शुरू कर दिया था। इसी वक्त बच्चों की ट्रैफिकिंग के मामले बढ़ना शुरू हुए थे। गरीबी के चलते बच्चों को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं थी और मानवता के दुश्मनों ने कुचक्र रचना शुरू कर दिया। उन्हें रोजी-रोटी का लालच देकर बड़े-बड़े महानगरों में भेजा जाने लगा। खासकर नाबालिग बच्चियों को। इनके यौन शोषण के मामले भी सामने आए। कई मामलों में तो बच्चियों को वेश्यावृत्ति के अंधे कुएं में धकेल दिया गया। यह केवल भारत की तस्वीर नहीं थी, बल्कि अधिकांश कमजोर व आर्थिक रूप से पिछड़े देशों में भी यही हाल था।
दुनिया
अभी
कोरोनाकाल
से
उबरी
भी
नहीं
थी
कि
मानवता
की
हत्या
करने
वाले
रूस-यूक्रेन
युद्ध
की
शुरआत
हो
गई।
लाखों
लोग
शरणार्थी
का
जीवन
जीने
को
मजबूर
हो
उठे।
तस्वीर
का
चिंताजनक
पहलू
यह
है
कि
शरणार्थियों
में
बड़ी
संख्या
महिलाओं
एवं
बच्चों
की
है।
यूनीसेफ
के
अनुसार
आठ
मई
तक
58
लाख
से
ज्यादा
लोग
यूक्रेन
छोड़
कर
जाने
को
मजबूर
हो
चुके
हैं।
इनमें
आधे
के
लगभग
बच्चे
शामिल
हैं।
वहीं,
लाखों
की
संख्या
में
यूक्रेनी
नागरिक
अपने
ही
देश
के
भीतर
विस्थापन
का
जीवन
जी
रहे
हैं।
यूक्रेन
सरकार
के
आधिकारिक
आंकड़ों
के
अनुसार
24
फरवरी
से
जारी
इस
युद्ध
में
आठ
मई
तक
186
बच्चों
की
मौत
हो
चुकी
है
जबकि
344
बच्चे
घायल
हुए
हैं।
शरणार्थी
शिविरों
में
रहने
को
मजबूर
बच्चों
के
मानसिक
विकास
पर
भी
विपरीत
प्रभाव
पड़
रहा
है।
स्थिति
की
गंभीरता
का
अंदाजा
इससे
लगाया
जा
सकता
है
कि
यूक्रेन
की
एक
महिला
साशा
ने
अपनी
दो
साल
चार
माह
की
बेटी
की
पीठ
पर
उसका
नाम
और
घर
का
पता
लिख
रखा
था।
महिला
को
डर
था
कि
अगर
युद्ध
में
वह
रूसी
सैनिकों
द्वारा
मार
दी
जाती
है
तो
कम
से
कम
कोई
उसकी
बच्ची
को
घर
तो
पहुंचा
सकेगा।
ऐसे
ही
न
जाने
कितने
अनसुने
किस्से
होंगे,
जो
बच्चों
को
प्रभावित
कर
रहे
हैं।
यूनीसेफ
ने
हाल
ही
में
एक
रिपोर्ट
जारी
कर
चेताया
था
कि
रूस-यूक्रेन
युद्ध
के
चलते
दुनियाभर
में
खाने-पीने
की
चीजों
की
कीमतों
में
तेजी
से
इजाफा
हो
रहा
है।
इसका
सीधा
असर
उन
गरीब
मुल्कों
पर
पड़ेगा,
जिनकी
अर्थव्यवस्था
का
प्रमुख
आधार
अनुदान
पर
निर्भर
रहता
है।
यूनीसेफ
ने
खासकर
अफ्रीकी
देशों
के
बच्चों
में
कुपोषण
के
खतरे
को
लेकर
चेताया
था।
संस्था
का
कहना
था
कि
यदि
यह
युद्ध
लंबा
चलता
है
और
महंगाई
पर
लगाम
नहीं
लगती
है
तो
लाखों
की
संख्या
में
बच्चे
कुपोषण
का
शिकार
हो
जाएंगे।
सीरिया,
यमन,
सूडान,
इथोपिया
और
अफगानिस्तान
जैसे
देशों
में
भी
हिंसा
के
चलते
बच्चों
का
जीवन
बुरी
तरह
से
प्रभावित
हो
रहा
है।
सीरिया
में
मार्च,
2022
तक
करीब
तीस
लाख
बच्चे
स्कूल
नहीं
जा
पा
रहे
हैं।
यमन
में
करीब
10,200
बच्चों
ने
हिंसा
के
चलते
या
तो
अपनी
जान
गंवाई
है
या
घायल
हुए
हैं।
वहीं,
अफगानिस्तान
में
तालिबानी
शासन
आने
के
बाद
से
बच्चे
कुपोषण
का
शिकार
हो
रहे
हैं।
साथ
ही
शिक्षा
के
मामले
में
भी
पाबंदिया
लगाई
जा
रही
हैं।
सूडान,
इथोपिया
जैसे
देशों
में
भी
बच्चों
में
कुपोषण
एक
गंभीर
समस्या
के
रूप
में
सामने
है।
अगर हम चाहते हैं कि भविष्य में एक बेहतर वातावरण वाली दुनिया अपने बच्चों को सौंप कर जाएं, तो इसके लिए जरूरी है कि आज के इस चुनौतीपूर्ण माहौल में सभी देश एकजुट होकर बच्चों की सुरक्षा, स्वतंत्रता, स्वास्थ्य व शिक्षा पर काम करें। यहां पर उन बड़े मुल्कों की जिम्मेदारी ज्यादा है जो कि आर्थिक रूप से अधिक संपन्न हैं। एक साथ आकर ही हम बच्चों का वर्तमान व भविष्य संवार सकते हैं।
-लेखक इंडिया फॉर चिल्ड्रेन के निदेशक हैं।
(इस लेख में व्यक्त विचार, लेखक के निजी विचार हैं. आलेख में दी गई किसी भी सूचना की तथ्यात्मकता, सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं।)