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Assembly Elections 2018: मध्यप्रदेश में शिवराज के मुकाबले राहुल गांधी ने खुद संभाली कमान

By जावेद अनीस, स्वतंत्र लेखक
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MP Election 2018 : Shivraj के खिलाफ खुद फ्रंट पर क्यों आए Rahul Gandhi, जाने वजह | वनइंडिया हिंदी

नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में कांग्रेस अमूमन अपने प्रादेशिक क्षत्रपों को सामने रख कर मैदान में उतरती रही है लेकिन इस बार ऐसा लगता है कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खुद को फ्रंट पर रखते हुये मैदान में हैं, हालांकि इस बार मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने शिवराज के खिलाफ पार्टी की तरफ से करीब आधा दर्जन चेहरों को कमलनाथ और सिंधिया के रूप में दो चेहरों में सीमित कर दिया है, यहां तक कि दिग्विजय सिंह जैसे नेता को नेपथ्य में भेज दिया गया है। लेकिन इससे कांग्रेस के लिए यह सवाल पूरी तरह से हल नहीं हो सका है कि शिवराज के सामने कांग्रेस की तरफ से किसका चेहरा होगा? ऐसे में राहुल गांधी कमलनाथ और सिंधिया दोनों को साथ में रखते हुये खुद फ्रंट पर दिखाई दे रहे हैं।

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राहुल गांधी कुछ अलग ही अंदाज में दिखाई दे रहे हैं

राहुल गांधी कुछ अलग ही अंदाज में दिखाई दे रहे हैं

मध्यप्रदेश में अपने इसी भूमिका को निभाते हुये राहुल गांधी कुछ अलग ही अंदाज में दिखाई दे रहे हैं जिसे देखकर लगता है कि एक नेता के तौर पर उनकी लंबी और उबाऊ ट्रेनिंग खत्म हो चुकी है, अब उनका खुद पर बेहतर नियंत्रण दिखाई पड़ रहा है साथ ही उनके हमले विरोधियों को परेशान भी करने लगे हैं। हालांकि वे अपनी पुरानी समस्याओं से अभी तक उबर नहीं पाये हैं लेकिन अब वे इनका हल भी पेश करने लगे हैं। मालवा में अपने अभियान के दौरान राहुल गलती से कह गये कि पनामा पेपर में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुत्र का नाम है जिसने भाजपा और शिवराज को उन पर हमला करने का मौका दे दिया।

खुद फ्रंट पर हैं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष

खुद फ्रंट पर हैं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष

इस पर शिवराजसिंह का कहना था कि ‘राहुल कंफ्यूज आदमी हैं जो मामा को पनामा कह गए।' उन्होंने राहुल पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी देते हुए कहा कि ‘वे राहुल गांधी के खिलाफ उनके परिवार पर कीचड़ उछालने के आरोप में मानहानि का मुकदमा करेंगे।' बाद में राहुल गांधी इस पर सफाई पेश करते हुये नजर आए हालांकि उनके इस सफाई का अंदाज भी दिलचस्प और चिढ़ाने वाला था। अपने बयान पर सफाई पेश करते हुये राहुल ने कहा कि ‘भाजपा शासित राज्यों में इतने घोटाले हुए हैं कि मैं कन्फ्यूज हो गया, पनामा पेपर लीक तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के बेटे का मामला है, मप्र के सीएम ने तो ई-टेंडरिंग और व्यापमं घोटाला किया है।'

राहुल गांधी उठा रहे हैं राफेल का मामला

राहुल गांधी उठा रहे हैं राफेल का मामला

गुजरात विधानसभा चुनाव ने राहुल गांधी और उनकी पार्टी को एक नयी दिशा दी है, इसे भाजपा और संघ के खिलाफ काउंटर नैरेटिव तो नहीं कहा जा सकता लेकिन इसने राहुल और उनकी पार्टी को मुकाबले में वापस आने में मदद जरूर मिली है। खुद राहुल गांधी में सियासी रूप से लगातर परिपक्वता आयी है और वे लोगों के कनेक्ट होने की कला को भी तेजी से सीखे हैं, आज वे मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष की सबसे बुलंद आवाज बन चुके हैं। वे अपने तीखे तेवरों से नरेंद्र मोदी की "मजबूत" सरकार को बैकफुट पर लाने में कामयाब हो रहे हैं राफेल का मामला इसका सबसे बड़ा उदाहरण है जिसमें मोदी सरकार बुरी तरह से घिरी नजर आ रही है।

लोकल मुद्दों पर भी जोर दे रहे कांग्रेस अध्यक्ष

लोकल मुद्दों पर भी जोर दे रहे कांग्रेस अध्यक्ष

मध्यप्रदेश में भी पिछले कुछ महीनों के अपने चुनावी अभियान के दौरान वे ध्यान खींचने कामयाब रहे हैं जिसमें प्रदेश की जनता के अलावा प्रदेश के कई सीनियर पत्रकार भी शामिल हैं। पहले राहुल गांधी का भाषण मुख्य रूप राष्ट्रीय मुद्दों और मोदी सरकार को निशाना बनाने पर ही फोकस रहता था जिसकी वजह से उनके भाषण स्थानीय लोगों को कनेक्ट नहीं कर पाते थे। लेकिन अब वे लोकल मुद्दों पर ज्यादा जोर देते हुये नजर आ रहे हैं।

जब राहुल बोले- मैं हिंदुत्व नही हिंदूवाद का पक्षधर हूं

जब राहुल बोले- मैं हिंदुत्व नही हिंदूवाद का पक्षधर हूं

इंदौर में अपने चुनावी दौरे के दौरान राहुल गांधी प्रदेश के चुनिन्दा संपादकों/पत्रकारों से मिले थे इस दौरान उनसे सीधे तौर पर ऐसे सवाल पूछे गये जोकि फिक्स नहीं थे। इन सवालों का राहुल गांधी ने बहुत ही सधे हुये तरीके से के साथ जवाब दिया। जिसके बाद इस मुलाकात में शामिल कई पत्रकार यह कहते हुये नजर आये कि राहुल गांधी के बारे में जिस तरह के दुष्प्रचार होते रहे हैं राहुल गांधी उससे बिलकुल विपरीत नजर आये। संपादकों/पत्रकारों से मुलाकात के दौरान राहुल गांधी अपनी राजनीति को भी खोलते हुये नजर आये। इस दौरान हिन्दू और हिन्दुत्व के बीच मोटी लकीर खींचते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दू, हिन्दूवादी और हिन्दुत्व अलग अलग हैं, मै हिंदुत्व नही हिंदूवाद का पक्षधर हूं, हिंदूवाद एक महान परंपरा है जो सबको लेकर चलता है,सबकी सुनता और सबका आदर करता है मैं हिन्दू हूं लेकिन सभी धर्म का आदर करता हूं, , मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा आदि सभी जगह जाता हूं। मैं ‘हिंदूवादी नेता' नहीं, बल्कि हर धर्म और हर वर्ग के नेता हूं।

पिछले 15 साल से सत्ता से दूर है कांग्रेस

पिछले 15 साल से सत्ता से दूर है कांग्रेस

पिछले 15 सालों से सत्ता से दूर कांग्रेस को इस बार मध्यप्रदेश में माहौल अपने अनुरूप लग रहा है, मंदसौर में किसान आंदोलन की राखें अभी भी नहीं बुझी है, सवर्ण आन्दोलन का भी विपरीत असर पड़ सकता है। किसानों के आक्रोश और सवर्ण जातीय की नाराजगी में कांग्रेस अपनी वापसी का रास्ता देख रही है। बसपा से गठबंधन का न हो पाने को भी कांग्रेस अपने लिये प्लस पॉइंट के रूप में देख रही है कांग्रेस को लगता है कि इससे स्वर्ण मतदाता उसकी तरफ वापसी कर सकते हैं। बहरहाल मध्यप्रदेश में राहुल के चुनावी अभियान के उमड़ने वाली भीड़ कितना वोट में तबदील होगी लेकिन वे ध्यान तो जरूर खींच रहे हैं और उनके दौरों के दौरान मिल रही प्रतिक्रिया से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं में उत्साह है।

मध्य प्रदेश में क्या है बीजेपी की रणनीति

मध्य प्रदेश में क्या है बीजेपी की रणनीति

दूसरी तरफ मध्यप्रदेश में नरेंद्र मोदी के चुनावी सभाओं में कमी की गयी है, इसी तरह से अमित शाह भी यहां उतने सक्रिय दिखाई नहीं पड़ रहे हैं जितना दावा किया जा रहा है पहले बताया गया था कि विधानसभा के दौरान वे मध्यप्रदेश में ही कैम्प करेंगे लेकिन अंत में ऐसा कुछ नहीं हुआ। राज्य में भाजपा के चुनाव प्रचार अभियान में भी केंद्र की उपलब्धियां पर ना के बराबर ही फोकस किया जा रहा है। ऐसा शायद जमीनी स्तर से मिल रहे निगेटिव फीड बैक को देखते हुये किया जा रहा है।

भाजपा की तरफ से फ्रंट पर मुख्यमंत्री शिवराज ही हैं

भाजपा की तरफ से फ्रंट पर मुख्यमंत्री शिवराज ही हैं

शायद भाजपा का आलाकमान यह भी समझ रहा है कि अगर मध्यप्रदेश में भाजपा की इस बार भी जीत होती है तो इसका सारा श्रेय शिवराज के खाते में ही जाएगा ऐसे में वे हार की जिम्मेदारी भी शिवराज पर ही डालना चाहते हैं। बहरहाल भाजपा की तरफ से फ्रंट पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ही नजर आ रहे हैं जिन्होंने लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के लिये अपने आप को पूरी तरह से झोंक दिया है। लेकिन इस बार उनका रास्ता आसान नहीं है इस बार मध्यप्रदेश में कांग्रेस के नेता 'अभी नहीं तो कभी नहीं' की सोच के साथ राहुल की छत्रछाया में एकजुटता के साथ मैदान में हैं।

(ये लेखक के निजी विचार हैं)

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English summary
Madhya Pradesh Assembly Elections 2018: Rahul Gandhi congress Shivraj singh chouhan bjp
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