IndiaWaliDiwali : इस दिवाली “मैं पीड़ित हूँ” वाली मानसिकता की छुट्टी करें
नई दिल्ली। "अत्याचार पीड़ित अथवा विपत्तिग्रस्त होने की मानसिकता जल्द से जल्द दूर हो", इस दिवाली यही मेरी मंगलकामना है, स्वयं अपने और आप सबके लिए भी। दिवाली पर हमलोग अपने घरों की सफाई करते हैं, पुरानी चीजों को हटाते हैं और जरूरत की नई चीजों को खरीदते हैं। हम दोस्तों के लिए उपहार और मिठाइयाँ खरीदते हैं और उसका आनंद लेते हैं। इस तरह से हम दिवाली मनाते रहे हैं। अपने नये उद्घाटित ऑफिस में बैठा मैंने देखा #IndiaWaliDiwali (इंडिया वाली दिवाली) ट्रेंडिंग में थी और मन में विचार आया कि आखिर इसका हमारे व्यक्तिगत जीवन में क्या मायने है। "काश मेरे साथ ऐसा ना हुआ होता ..", इस वैचारिक दीमक से छुटकारा पाने का प्रण कर इस दिवाली को यादगार बनाया जा सकता है।
भारत के महान संतों ने बार-बार "जन्तुनाम नरजन्म दुर्लभं" का संदेश दिया है। यानी मानव जन्म सभी जन्मों में दुर्लभ है। जो आत्मा के अस्तित्व को मानने से इंकार करते हैं, वह भी ये तो मानेंगे ना कि भोजन-श्रृंखला के शीर्ष पर विद्यमान मानव जीवन जन्तु-जगत की सबसे उत्कृष्ट कृति है। फिर भी हम अपने आपको "बेचारा" समझने और दूसरों को ये समझाने में अपने जीवन के अमूल्य समय को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोडते हैं।
यहाँ दुनिया में हो रहे अपराधों का बचाव करने की कोशिश नहीं की जा रही है। लालच, क्रोध और घृणा के कारण दुनिया में हो रहे अपराधों को पूरी कड़ाई से रोका जाना चाहिए। यद्यपि व्यक्तिगत जीवन में इस पीड़ित मानसिकता के साथ रहने से कोई लाभ नहीं मिलने वाला। मानव जन्म की दुर्लभता को समझ कर अपनी स्थिति को सुधारने के लिए स्वयं ही प्रयास करते रहने की जरूरत है। अगर मन को ऐसी चीजों के चलते कुंठित कर बैठे हैं जिनको हम बदल नहीं सकते, जैसे की मेरी त्वचा का रंग, लंबाई, विश्व में कहाँ, किस परिवार में पैदा हुए इत्यादि तो जीवन के बड़े दुख कहीं और से नहीं हमारे खुद के बनाए हुए हैं।
"उद्धरेत् आत्मना आत्मानं" अर्थात व्यक्ति को स्वयं के प्रयासों से ही खुद को ऊपर उठाने की जरूरत है। #IndiaWaliDiwali के लिए "किसी की मुस्कराहटों पे हो निसार.." की शुभकामनाएं। सदियों से भारत "उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत" की बात करता है, तो बस इसको समझने और अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। शुभ दीवाली!
[लेखक PBNS (प्रसार भारती न्यूज़ सर्विसेस) के प्रमुख हैं और ये विचार उनके व्यक्तिगत हैं.]