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राष्ट्रीय पर्व 26 जनवरी पर किसानों की ट्रैक्टर परेड, पर कुछ चिंताएं भी

By दीपक कुमार त्यागी
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Farmers' tractor parade on January 26: कड़कड़ाती कड़ाके की हाड़ कपकपा देने वाली भयंकर शीतलहर में हमारे देश का अन्नदाता किसान अपने हक को लेने के लिए सड़कों पर धरना देकर बैठा हुआ है। देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं की सड़कों पर व देश में अन्य भागों में बहुत जगहों पर केंद्र सरकार के द्वारा लाये गये तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर पिछले बहुत लंबे समय से हमारे प्यारे अन्नदाता किसान जगह-जगह पर धरनारत हैं। मसले के समाधान के लिए केंद्र सरकार से किसानों की बार-बार वार्ता होने के बाद भी अभी तक भारत सरकार व किसानों के बीच कोई भी सर्वमान्य हल नहीं निकल पाया है, किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं, वहीं केंद्र सरकार बिंदुवार चर्चा करके असहमत बिंदुओं में संशोधन करने की बात कह रही है। लेकिन धरातल पर वास्तविकता यह है कि किसान संगठनों व केंद्र सरकार के बीच मामला आंदोलन के एक-एक दिन गुजरने के साथ और लंबा खिचता जा रहा है, जिसके चलते उतना ही यह मामला पेचीदा होकर सुलझने की जगह दिन-प्रतिदिन और ज्यादा उलझता जा रहा है।

राष्ट्रीय पर्व 26 जनवरी पर किसानों की ट्रैक्टर परेड, पर कुछ चिंताएं भी

अपनी विभिन्न मांगों को लेकर धरना दे रहे किसानों को अब धीरे-धीरे दो माह होने वाले हैं, लेकिन फिर भी किसानों की समस्याएं अभी भी जस की तस बनी हुई है, जिसके चलते अब किसान आंदोलन देश के विभिन्न भागों में बहुत तेजी से विस्तार लेता जा रहा है। अब तो यह मामला देश की सर्वोच्च अदालत में भी पहुंच गया है, जिसने चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया है, जो किसानों से बात करके सर्वोच्च न्यायालय को अपनी रिपोर्ट देगी। हालांकि कमेटी का गठन होते ही वो सदस्यों की वजह से विवादों के दायरे में आ गयी, किसान संगठनों के कुछ नेताओं ने विभिन्न न्यूज चैनलों पर कमेटी के सदस्यों के चयन पर आपत्ति दर्ज कराते हुए उनको तीनों कृषि कानूनों का समर्थक बताया है और उनकी निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगाया है, जिसके बाद एक सदस्य ने तो कमेटी में रहने से इंकार ही कर दिया है। खैर हमारे देश में राजनीति जो करवा दे वो भी कम है, लेकिन अब देश में किसानों का हितैषी बनने को लेकर के पक्ष विपक्ष व निष्पक्ष लोगों के बीच में जबरदस्त चर्चा के साथ किसान राजनीति अपने चरम पर है। देश की आजादी से लेकर आजतक किसानों को उनका हक ना देने वाले राजनीतिक दलों से लेकर के हर कोई अपने आपको अन्नदाता किसानों का कट्टर हितैषी दिखाने पर लगा हुआ है।

राष्ट्रीय पर्व 26 जनवरी पर किसानों की ट्रैक्टर परेड, पर कुछ चिंताएं भी

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वैसे विचारणीय बात यह है कि जिस तरह से देश में आजादी के बाद से ही गरीबी को खत्म करने के लिए विभिन्न सरकारों के द्वारा समय-समय पर बहुत सारी योजनाएं चलाई गयी और हर वक्त राजनीतिक दलों के द्वारा उनका श्रेय लेने में भी कोई कोरकसर नहीं छोड़ी जाती है ठीक उसी प्रकार से ही किसानों के नाम पर भी देश में आजादी के बाद से यही स्थिति है, राजनीतिक दल हमेशा श्रेय लेने से चूके नहीं हैं। लेकिन अफसोस फिर भी सबसे बड़ी दुख की बात यह है कि ना तो देश से गरीबी समाप्त होने का नाम ले रही है और ना ही हमारे अन्नदाता किसानों को भी उनकी समस्याओं का समाधान व हक अभी तक मिल पा रहा है, हाँ देश में लंबे समय से गरीब व किसानों का हितैषी बनने के लिए राजनीतिक लोगों के द्वारा केवल और केवल हर वर्ष की आकड़े बाजी अवश्य जारी है। आकड़ो की बाजीगरी व धरातल के हालातों में बहुत अंतर होने के कारण उत्पन्न आक्रोश की वजह से ही किसान अब सड़कों पर उतरे हुए हैं और वो अब अपने हक के लिए आरपार की लड़ाई लड़ने के मूड़ में नजर आ रहे हैं, जिसके चलते ही वो दिल्ली की सीमाओं के साथ देश के अन्य भागों में अपना घरबार छोड़कर अनिश्चित कालीन लंबे धरने पर बैठे हुए हैं और सरकार व आम जनमानस का अपनी मांगों की तरफ ध्यान आकर्षित करवाने के लिए समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं।

राष्ट्रीय पर्व 26 जनवरी पर किसानों की ट्रैक्टर परेड, पर कुछ चिंताएं भी

उसी क्रम में कुछ किसान संगठन राष्ट्रीय महापर्व गणतंत्र दिवस 26 जनवरी पर दिल्ली की आउटर रिंगरोड व देश के विभिन्न भागों में ट्रैक्टर परेड़ के आयोजन करने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी कर रहे हैं। जिसको लेकर के केंद्र सरकार व देश की शीर्ष सुरक्षा एजेंसियों के माथे पर चिंता की रेखाएं हैं, देश के प्रत्येक देशभक्त नागरिक के लिए बेहद महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दिन 26 जनवरी पर किसी भी अनहोनी की आशंका को रोकने के लिए सरकार व सुरक्षा एजेंसी सक्रिय हैं। 'केन्द्र सरकार तो ट्रैक्टर परेड़ पर रोक लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय तक चली गयी है, जिस पर सोमवार को सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शरद अरविंद बोबडे ने कहा, 'दिल्ली में रैली निकाले जाने के मामले में हमने पहले ही कहा था कि यह कानून व्यवस्था का मामला है और यह पुलिस को देखना है।' उन्‍होंने कहा, 'यह देखना पुलिस का काम है, कोर्ट का नहीं कि कौन दिल्ली में प्रवेश करेगा, कौन नहीं करेगा, कैसे करेगा!'
सीजेआई ने कहा कि पुलिस को कानून व्यवस्था बनाए रखने का अधिकार है, हमें बताने की जरूरत नहीं है। इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि दिल्‍ली पुलिस गणतंत्र दिवस की गरिमा सुनिश्चित करें। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई बुधवार के लिए टाल दी है। जिस पर शायद जल्द ही कुछ निर्णय आ सकता है। वहीं अब किसान आंदोलन में विदेशी फंडिंग के तार खालिस्तानी संगठनों से जुडऩे के अंदेशों को देखते हुए जांच करने के लिए देश की महत्वपूर्ण सुरक्षा एजेंसी एनआईए भी एक्टिव हो गयी है, सूत्रों के अनुसार उसने किसान संगठनों के कुछ शीर्ष नेताओं व अन्य बहुत सारे महत्वपूर्ण लोगों से पूछताछ करने के लिए नोटिस भेजे हैं। जिसके बाद उत्पन्न हालात को देखकर हमारे कुछ राजनीतिक विश्लेषक सरकार व किसानों के बीच भविष्य में टकराव का अंदेशा व्यक्त कर रहे हैं। किसानों के द्वारा ट्रैक्टर परेड़ करने की घोषणा के बाद से ही देश के अधिकांश आम लोगों के मन में एक विचार बहुत तेजी से कौंध रहा है कि देश के सबसे बड़े राष्ट्रीय महापर्व गणतंत्र दिवस 26 जनवरी पर क्या सुरक्षा की दृष्टि से किसानों का इस तरह से ट्रैक्टर परेड़ निकालना उचित है?

राष्ट्रीय पर्व 26 जनवरी पर किसानों की ट्रैक्टर परेड, पर कुछ चिंताएं भी

क्या किसानों का ट्रैक्टर परेड़ का कार्यक्रम बहुत अधिक जोखिम भरा नहीं है?

देश में पिछले कुछ दिनों से हर नुक्कड़ पर, सत्ता पक्ष व विपक्ष के राजनीतिक गलियारों में और बुद्धिजीवियों के बीच में इस बेहद ज्वंलत मसले पर बहस जारी है। केंद्र सरकार की तरफ से किसानों को परेड़ निकालने से रोकने के लिए मनाने के हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। इसको रोकने के लिए केंद्र सरकार ने न्यायालय को बताया है कि सुरक्षा एजेंसी के जरिये उन्हें जानकारी मिली है कि गणतंत्र दिवस के मौके पर किसान प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर परेड़ निकालने वाले है। जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय महत्ता के इस महत्वपूर्ण समारोह को प्रभावित करना है, हालांकि किसान संगठन समारोह में किसी भी प्रकार का विघ्न डालने की रणनीति से इंकार कर रहे हैं, वो केवल गरिमापूर्ण ढंग से परेड़ निकालने की बात कर रहे हैं। लेकिन पूर्व में जिस तरह से कुछ लोगों की वजह से किसानों के धरने के बीच ही देश को तोडऩे की बात करने वाले लोगों के फोटो लगे थे उस घटना से सबक लेकर अब किसान संगठनों को ट्रैक्टर परेड़ के दौरान अत्यधिक सतर्कता बरतनी होगी, उनको आत्ममंथन करना होगा कि क्या किसान संगठन इतनी बड़ी संख्या में आये ट्रैक्टरों के बीच अनुशासन बना कर रख सकते हैं, क्योंकि 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड़ में कोई भी देश विरोधी घटना घटित ना हो पाये इसको रोकने की जिम्मेदारी किसानों की खुद होगी। किसान संगठनों व उससे जुड़े लोगों को ध्यान रखना होगा कि धरना प्रदर्शन करने का उनका अधिकार है। तो यह ध्यान रखना भी उनकी जिम्मेदारी है कि आंदोलन व परेड़ के दौरान कोई ऐसी घटना घटित ना हो जाये जिससे की कोई देशद्रोही व्यक्ति देश की मान प्रतिष्ठा को इस किसान आंदोलन की आड़ में धूमिल करने का दुस्साहस कर सके।

(इस लेख में व्यक्त विचार, लेखक के निजी विचार हैं. आलेख में दी गई किसी भी सूचना की तथ्यात्मकता, सटीकता, संपूर्णता, अथवा सच्चाई के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)

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English summary
farmers' tractor parade on National festival January 26, , but some concerns are also
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