क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

Delhi MCD Election: ‘छोटी सरकार’ के लिए राजनीतिक दलों का बड़ा दांव

Google Oneindia News

Delhi MCD Election: दिसंबर में होने जा रहे गुजरात विधानसभा चुनाव के शोर के बीच दिल्ली में 'छोटी सरकार' का चुनाव राष्ट्रीय चर्चा का विषय बन गया है। देश की राजधानी होने के चलते वैसे भी दिल्ली की राजनीति 'केंद्र' में रहती है।

delhi mcd election 2022 bjp and aap big stakes in delhi mcd election

बीते एक दशक से आम आदमी पार्टी ने भाजपा के गुजरात मॉडल की तर्ज पर दिल्ली में शिक्षा और स्वास्थ्य के मॉडल को देशभर में प्रचारित कर राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास किया है। जबकि दिल्ली नगर निगम में भाजपा पिछले 15 वर्षों से काबिज है।

चूँकि दिल्ली नगर निगम चुनाव जनता की नब्ज पकड़कर राजधानी में सत्ता के मार्ग तक जाता है अतः आम आदमी पार्टी निगम में 'झाडू' के जादू की आस में है तो भाजपा को 'मोदी मैजिक' पर भरोसा है। हाँ, भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल गाँधी के पीछे पूरी कांग्रेस के जाने से दिल्ली में पार्टी की स्थिति 'अनाथ' जैसी ही है। उसके बड़े नेता मैदान तो क्या मोहल्लों से भी नदारद हैं।

ऐसे में इस बार निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच सीधी टक्कर होने जा रही है। सवाल उठता है कि आखिर क्यों दिल्ली नगर निगम का चुनाव दोनों राजनीतिक पार्टियों के लिए इतना महत्वपूर्ण हो गया है? दिल्ली निगम चुनाव दोनों राजनीतिक दलों की भविष्य की राजनीति को कैसे प्रभावित करेंगे?

कई छोटे राज्यों से अधिक बजट है निगम का

दरअसल, दिल्ली नगर निगम चुनावों के महत्त्व का कारण इसका भारी-भरकम बजट है जो कई छोटे राज्यों के बजट से अधिक है। इस वर्ष के प्रारंभ में केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के बाद दिल्ली के तीनों नगर निगमों को एकीकृत कर दिया गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय के ही आदेश पर दिल्ली नगर निगम के मौजूदा वार्डों का परिसीमन भी हुआ है।

निगम के बजट की प्रक्रिया दिसंबर में शुरू होती है किन्तु तीनों नगर निगमों के एकीकरण के बाद जुलाई में बजट पेश कर दिया गया था। बजट में 15,276 करोड़ रुपये के बजट अनुमान मंजूर किए गए थे जिसमें स्वच्छता के लिए 4,153 करोड़, शिक्षा के लिए 2,632.78 करोड़, सामान्य प्रशासन के लिए 3,225.35 करोड़, लोक निर्माण और स्ट्रीट लाइटिंग के लिए 1,732.15 करोड़ और सार्वजनिक स्वास्थ्य और चिकित्सा राहत के लिए 1,570.25 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया।

निगम को 15 फरवरी, 2023 तक अगले वित्त वर्ष के लिए सभी कर तय करने हैं। हालांकि इस समय एकीकरण के बाद न तो सदन है, न ही स्थायी समिति। निगम की सभी शक्तियाँ विशेष अधिकारी के पास हैं। इस हिसाब से 1996 के बाद यह पहला मौका होगा जब पार्षदों के बिना ही बजट पेश कर दिया जायेगा।

दिल्ली नगर निगम के पास क्या जिम्मेदारियाँ हैं?

दिल्ली नगर निगम के पास स्ट्रीट लाइट, साफ-सफाई, प्रॉपर्टी व प्रोफेशनल टैक्स कलेक्शन, शमशान, जन्म-मृत्यु प्रमाण-पत्र, ड्रेनेज सिस्टम, बाजारों की देख-रेख, पार्किंग, दिल्ली बार्डर पर टोल टैक्स कलेक्शन सिस्टम आदि की जिम्मेदारी है। प्राइमरी स्‍कूलों और अस्‍पतालों का कार्य भी दिल्ली नगर निगम द्वारा किया जाता है। दिल्ली नगर निगम की आय का बड़ा स्रोत सड़क निर्माण से लेकर स्कूल और टैक्स कलेक्शन से प्राप्त होता है।

हालाँकि दिल्ली नगर निगम के पास ऐसे कई कार्य हैं जिन्हें दिल्ली सरकार भी करती है। मसलन, सड़क और नाले की सफाई का काम दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम दोनों करवाते हैं किन्तु इनके क्रियान्वयन में अंतर है। उदाहरण के लिए, दिल्ली सरकार 60 फीट से अधिक चौड़ी सड़कों के मरम्मत का कार्य करती है जबकि इससे कम चौड़ी सड़कों का रखरखाव निगम द्वारा किया जाता है। इसके अलावा वाहन लाइसेंस देने का कार्य भी दोनों करते हैं। दिल्ली सरकार मोटर वाहनों को लाइसेंस जारी करती है जबकि निगम छोटे वाहनों जैसे रिक्शा, हाथगाड़ी आदि को लाइसेंस देती है।

भाजपा-आप के लिए क्या है चुनौतियाँ?

जब दिल्ली के तीनों निगमों का एकीकरण किया गया था तो आप की ओर से यह दावा किया गया कि भाजपा को अपनी हार का डर सता रहा है इसलिए दिल्ली के निगमों को एक कर भाजपा मोदी मैजिक के सहारे पुनः निगम में काबिज होना चाहती है जबकि पिछले 15 वर्षों से भाजपा के राज में दिल्ली में कोई काम नहीं हुआ।

अभी एक माह पहले ही आप सरकार के मंत्रियों ने दिल्ली के चारों कोनों में कचरे के पहाड़ दिखाते हुए सफाई का मुद्दा उठाकर भाजपा को असहज कर दिया था तो भाजपा ने भी पलटवार करते हुए यमुना की सफाई का मुद्दा उठाकर आप को घेरा था।

यह सही है कि भाजपा के विरुद्ध 15 वर्षों की एंटी-इनकम्बेंसी है पर आप को भी क्लीन चिट मिल जायेगी, ऐसा संभव नहीं है। भाजपा ने इस बार 4 मुस्लिम महिलाओं को टिकट देकर पसमांदा मुसलमानों को रिझाने का प्रयास किया है। वहीं जाति आधारित टिकट बांटकर वह सोशल इंजीनियरिंग के सहारे कदम बढ़ा रही है। आप में स्थिति थोड़ी अलग है। वहाँ विधायक गुलाब सिंह को आप कार्यकर्ताओं ने ही टिकट बेचने के आरोप लगाते हुए पीट दिया जिसकी शिकायत पुलिस से की गई है।

भाजपा ने आप से जुड़े कार्यकर्ताओं के कई स्टिंग किये हैं जिनमें टिकट बेचने की बात सामने आई है। हालांकि आप के नेता इसे नकारते हुए भाजपा को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। इसके अलावा जेल मंत्री सत्येंद्र जैन से जुड़े विवाद राष्ट्रीय स्तर पर तो चर्चा में हैं ही, निगम चुनाव में भी आप की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।

क्या प्रभाव पड़ेगा भाजपा-आप की राजनीति पर

दिल्ली निगम चुनाव में दोनों दलों की साख दांव पर लगी है। यदि भाजपा निगम चुनाव हार जाती है तो आप इसे सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि से जोड़ते हुए राष्ट्रीय मुद्दा बना देगी वहीं आप की हार को भाजपा मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल से जोड़ते हुए उनके मॉडल को छलावा साबित करेगी।

कुल मिलाकर दोनों ही दलों के लिए निगम चुनाव नाक का सवाल बन गए हैं। आप जीती तो अरविन्द केजरीवाल का कद राष्ट्रीय राजनीति में तो बढ़ेगा ही, दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव में उसे लाभ मिलेगा। साथ ही, भाजपा के आरोपों से घिरी आप को संजीवनी मिल जायेगी।

यदि भाजपा जीती तो आप के मॉडल को नकार कर वह देशभर में आप के विरुद्ध माहौल बनायेगी ताकि अरविन्द केजरीवाल को दिल्ली तक सीमित किया जाए। 4 दिसंबर, 2022 का दिन दोनों राजनीतिक दलों के भविष्य के लिहाजा से बड़ा होने वाला है क्योंकि इसी दिन दिल्ली की जनता अपने मताधिकार से 'छोटी सरकार' का चयन करेगी।

यह भी पढ़ें: Municipal Corporation of Delhi: क्या है दिल्ली में नगरीय प्रशासन का इतिहास, कब से हो रहे हैं नगर निगम चुनाव?

(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. लेख में प्रस्तुत किसी भी विचार एवं जानकारी के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)

Comments
English summary
delhi mcd election 2022 bjp and aap big stakes in delhi mcd election
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X