अनंत ‘नालायक’ तो सिद्धारमैया क्यों नहीं : राजनीतिक जातिवाद से तौबा करें राहुल
नई दिल्ली। राहुल गांधी ने केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े को हर भारतीय के लिए परेशानी का सबब बताया है। उन्होंने हेगड़े को केंद्रीय मंत्री बनने के नाकाबिल करार देते हुए उनकी बर्खास्तगी की मांग भी की है। बहुत अच्छी मांग है और विचार भी उतने ही अच्छे हैं। आखिर अनंत हेगड़े ने बयान ही कुछ ऐसा दिया था। उन्होंने कहा था कि जाति-पाति से ऊपर उठकर हिन्दू लड़की को 'छूने' वाले हाथ बचने नहीं चाहिए। एक तरफ जातिगत भेदभाव का विरोध जैसी ऊंची सोच, वहीं धार्मिक नफ़रत ली हुई घटिया सोच का ये कॉकेटल वाकई शर्मनाक है।
राजनीतिक जातिवाद से ऊपर उठना जरूरी
मगर, क्या राहुल गांधी कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता सिद्धारमैया के बारे में भी ऐसा ही कोई ट्वीट करेंगे? या वे भी राजनीतिक जातिवाद से ऊपर नहीं उठ पाएंगे। राजनीतिक जातिवाद से यहां मतलब है कांग्रेसी या भाजपाई चश्मा होना। या इसी तरह किसी और दलगत भावना से ओतप्रोत होकर नजरिया रखना। सिद्धारमैया ने सार्वजनिक रूप से एक महिला के हाथ से माइक छीनी है। इस क्रम में उस महिला का दुपट्टा उतारने का गुनाह किया है। महिला को डांटने-डपटने और बोलने नहीं देने के लिए जो ‘मर्दानगी' दिखलायी है वह महज पुरुषवादी मर्दानगी नहीं है। इससे कहीं ऊपर है। यह ऊंचे पद पर सत्ता के मद में बेहोश होकर किया जाने वाला दु:शासनिक (दुस्सानिक) दुर्व्यवहार है।
कांग्रेस का स्वभाव नहीं हो सकता दु:शासनिक व्यवहार
कांग्रेस का स्वभाव दु:शासनिक व्यवहार कतई नहीं हो सकता। क्या राहुल गांधी बता पाएंगे कि दु:शासनिक व्यवहार करने वाला व्यक्ति मुख्यमंत्री बनने के लायक होता है या नहीं? क्या राहुल बता पाएंगे कि ऐसा व्यक्ति कांग्रेस का नेता बने रहने लायक भी है या नहीं? क्या राहुल बता पाएंगे कि ऐसे व्यक्ति को कांग्रेस की सदस्यता से बर्खास्त किया जाना चाहिए या नहीं? कर्नाटक से दो सियासत के दो बदरंग चेहरे सामने आए हैं। एक का संबंध केंद्रीय राजनीति से है तो दूसरा प्रादेशिक राजनीति के सिरमौर रहे हैं। अनंत हेगड़े और सिद्धारमैया स्याह राजनीति के दो चेहरे हैं। दोनों अपनी-अपनी पार्टी को ही नहीं, पूरे भारतीय समाज को, बल्कि कहें कि धरती को कलंकित करने वाले चेहरे हैं। इनकी सोच में घृणित व्यवहार का ऐसा प्रवाह है जिसमें महिलाएं तैर नहीं सकतीं, वो डूबने के लिए अभिशप्त हैं।
हेगड़े के बहाने बीजेपी पर हमला
बीजेपी नेता और केंद्रीय सरकार के मंत्री अनंत हेगड़े के प्रकोप से अल्पसंख्यकों को बचाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सामने आए हैं, महिलाओं को धार्मिक रंग में रंगने की कोशिश को रोकने के लिए वे आगे आए हैं क्योंकि इस बहाने उन्हें बीजेपी को ‘असभ्य' बताते हुए सभ्यता का पाठ पढ़ाने का मौका मिलेगा। सिद्धारमैया को सभ्यता सिखाने की जिम्मेदारी बीजेपी के नेता उठा रहे हैं। अंदाज वही है। राहुल गांधी वाला। वे पूरी कांग्रेस को असभ्य बता रहे हैं। उन्हें भी अनंत हेगड़े के बयान से कोई फर्क नहीं पड़ता। उसे वे भी पूरी तरह नजरअंदाज कर रहे हैं। यह भी राजनीतिक जातिवाद और राजनीतिक संप्रदायवाद का खुल्मखुल्ला उदाहरण है।
मोदी को गले लगाया ठीक है,सिद्धारमैयाओं से नफ़रत भी करें
राहुल गांधी ने जब संसद में नरेंद्र मोदी को गले लगाया था, तब उन्होंने यह संकेत दिया था कि वे राजनीतिक नफ़रत को ख़त्म करना चाहते हैं। वास्तव में वे राजनीतिक नफ़रत को तभी ख़त्म कर सकेंगे, जब बीजेपी के अनंत हेगड़े के साथ-साथ कांग्रेस के सिद्धारमैया से भी नफ़रत करना सीखेंगे। गले लगाना और नफ़रत करना दोनों मुश्किल काम हैं। राहुल गांधी ने अपने राजनीतिक दुश्मन को गले लगाकर जो उम्मीद जगायी थी, उस उम्मीद को ज़िन्दा करने का वक्त आ गया है। वे अनंत ही नहीं, सिद्धारमैया के साथ भी नफ़रत दिखाकर पूरी आधी आबादी को गले लगा सकते हैं। क्या राहुल ये साहस कर पाएंगे?
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