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भारतीयों को नहीं मिलता ऑस्ट्रेलिया का यह खास वीजा

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Provided by Deutsche Welle

नई दिल्ली, 08 फरवरी। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया ने ऐलान किया कि घूमने के साथ-साथ काम करने के लिए जो लोग उसके यहां जाना चाहते हैं उनकी वीजा फीस माफ कर दी जाएगी. इस ऐलान पर कई देशों के युवा खुश हो सकते हैं लेकिन सबसे ज्यादा ऑस्ट्रेलिया जाने वाले भारत के लोग नहीं.

ऑस्ट्रेलिया का बैकपैकर्स वीजा, जिसे आधिकारिक तौर पर सबक्लास 417 और सबक्लास 462 वीजा कहा जाता है, भारतीयों को नहीं मिल सकता. यह वीजा 18 से 30 वर्ष तक के युवाओं को अस्थायी रूप से ऑस्ट्रेलिया में रहने और काम करने और पढ़ने का अधिकार देता है.

कोविड के दौरान बंद रहने के बाद यह योजना अब फिर से शुरू कर दी गई है और चूंकि ऑस्ट्रेलिया इस वक्त कामगारों की भयंकर कमी से जूझ रहा है तो उसने ज्यादा से ज्यादा युवाओं को आकर्षित करने के मकसद से इस वीजा को मुफ्त में देने का ऐलान भी किया है.

पिछले हफ्ते वहां के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन ने कहा, "हम बैकपैकर्स के लिए अपनी सीमाएं खोल रहे हैं. और अगर वे तीन महीने के भीतर यहां आएंगे तो उन्हें छूट भी देंगे. यहां आने के बाद उनकी वीजा फीस वापस कर दी जाएगी."

क्या है बैकपैकर्स वीजा?

1975 में शुरू किया गया यह वीजा स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद दुनिया को जानने निकलना चाहने वाले युवाओं को ऑस्ट्रेलिया में घूमने के साथ-साथ छोटे-मोटे काम करने के लिए आकर्षित करने के मकसद से शुरू किया गया था.

हमेशा कामगारों की कमी से जूझने वाले देश ऑस्ट्रेलिया के लिए यह दोनों हाथों में लड्डू जैसी योजना साबित हुई. एक तो उसे वीजा फीस और पर्यटकों के रूप में धन मिला और खेतों व अन्य मौसमी उद्योगों में काम करने के लिए कर्मचारी भी मिले.

इस वीजा के तहत ऑस्ट्रेलिया घूमना चाहने वालों को अधिकतम 12 महीने के लिए यह वीजा दिया जाता है. इसी वीजा की फीस 495 डॉलर्स (लगभग 26,000 हजार रुपये) है जिसे फिलहाल लौटाया जा रहा है. आम टूरिस्ट वीजा से यह अलग है क्योंकि इस वीजा पर आने वाले लोग काम करने और पढ़ने के अधिकार रखते हैं.

देश के गृह मंत्रालय के मुताबिक वीजा सबक्लास 417 और सबक्लास 462 वीजा चुनिंदा देशों के 18 से 30 साल के युवाओं को (कनाडा, फ्रांस और आयरलैंड के मामले में यह आयु सीमा 18 से 35 वर्ष है) काम करने और चार महीने तक पढ़ाई करने का अधिकार देता है.

भारतीयों को नहीं मिलता यह वीजा

ऑस्ट्रेलिया का बैकपैकर्स वीजा सिर्फ 19 देशों के लोगों को मिल सकता है. ये देश हैं बेल्जियम, कनाडा, साइप्रस, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, हांगकांग, आयरलैंड, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, माल्टा, नीदरलैंड्स, नॉर्वे, स्वीडन, ताइवान और युनाइटेड किंग्डम.

ऑस्ट्रेलिया की विभिन्न वीजा श्रेणियों के लिए अप्लाई करने वालों में भारतीय सबसे ऊपर हैं. स्टूटेंड वीजा सबसे ज्यादा भारतीय छात्रों को ही मिलता है. इसके अलावा टूरिस्ट वीजा पर भी सबसे ज्यादा भारतीय ही ऑस्ट्रेलिया आते हैं. इसके बावजूद ऑस्ट्रेलिया में बैकपैकर्स वीजा पाने वालों की श्रेणी में भारतीय शामिल नहीं हैं.

सबसे ताजा उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2021 में एक लाख 96 हजार लोगों ने ऑस्ट्रेलिया में प्रवेश किया. इनमें से सबसे ज्यादा लोग सिंगापुर (3,170) से आए. दूसरे नंबर पर यूके (2,790) और तीसरे नंबर पर भारत (2,310) था. लेकिन यह उन परिस्थितियों के आंकड़े हैं जबकि ऑस्ट्रेलिया की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं बंद थीं और चुनिंदा वीजा धारकों को ही देश में प्रवेश की अनुमति थी.

इन आंकड़ों की तुलना अगर कोविड के पहले के हालात से की जाए तो पर्यटन से लेकर ऑस्ट्रेलिया का स्थायी वीजा और नागरिकता लेने वालों में भारतीयों की संख्या हाल के सालों में लगातार सबसे ऊपर रही है. इसलिए विशेषज्ञ हैरत जताते हैं कि भारतीयों को अब तक बैकपैकर वीजा के लिए क्यों योग्य नहीं माना गया है.

बातचीत जारी है

मेलबर्न स्थित 'एजुकेशन ऐंड माइग्रेशन एक्सपर्ट्स' की डायरेक्टर और माइग्रेशन मामलों की विशेषज्ञ चमनप्रीत कहती हैं कि भारत को इस श्रेणी में शामिल करने के बारे में शामिल करने पर विचार तो लंबे समय से चल रहा है लेकिन उस पर अमल अब तक नहीं हो पाया.

चमन प्रीत बताती हैं, "ऑस्ट्रेलिया बैकपैकर्स वीजा अपने यहां कामगारों की कमी की भरपाई करने के लिए देता है. यूरोप से युवा यहां घूमने आते हैं और खेती के सीजन में खेतों में या अन्य उद्योगों में काम करते हैं, जो ऑस्ट्रेलिया की जरूरत है. इस लिहाज से देखा जाए तो भारत ऑस्ट्रेलिया का बड़ा साझीदार बन सकता है क्योंकि उसके पास विशाल मानव संसाधन हैं."

जुलाई 2019 में ऑस्ट्रेलिया ने बैकपैकर्स वीजा श्रेणी के देशों की संख्या में विस्तार का ऐलान किया था. तब के इमिग्रेशन मंत्री डेविड कोलमन ने कहा था कि ऑस्ट्रेलिया इस वीजा श्रेणी के विस्तार के लिए 13 देशों से बात कर रहा है. इनमें भारत के अलावा ब्राजील, मेक्सिको, फिलीपीन्स, स्विट्जरलैंड, फिजी, सोलोमन आइलैंड्स, क्रोएशिया, लातविया, लिथुआनिया, ऐंडोरा, मोनाको और मंगोलिया शामिल हैं. लेकिन यह बातचीत अब तक आगे नहीं बढ़ पाई है.

Source: DW

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English summary
why india is not included in australias working holiday visa programme
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