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बंगाल में पंचायत चुनाव से पहले बच्चों पर 'ममता', मिडडे मील में परोसे जाएंगे चिकन और फल

पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने जनवरी से मिडडे मील में स्कूली बच्चों को चिकन परोसने का फैसला किया है। राज्य में पंचायत चुनाव होने हैं। इस वजह से सरकार की इस घोषणा पर विवाद शुरू हो गया है।

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पश्चिम सरकार ने जनवरी महीने से बच्चों को स्कूलों में मिडडे मील में चिकन और मौसमी फल परोसने का फैसला किया है। राज्य में इसी साल पंचायत चुनाव होने वाले हैं, उससे पहले राज्य सरकार ने जनवरी से चार महीनों के लिए बच्चों को खाने के व्यंजन में उम्दा चीजें शामिल करने की अधिसूचना जारी की है। बच्चों को खानें में यह चीजें अभी मिल रहे चावल, दाल,सब्जी, सोयाबीन और अंडों के अतिरिक्त मिलेंगे। सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक पीएम पोषण के लिए यह अतिरिक्त व्यंजन एक्स्ट्रा न्यूट्रिशन के लिए दिए जाएंगे। हालांकि, राज्य सरकार के इस फैसले पर राज्य में विवाद भी शुरू हो गया है।

जनवरी से ही मिडडे मिल में मिलेंगे चिकन और फल
न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में इस साल होने वाले पंचायत चुनाव से पहले बच्चों को स्कूलों में दिए जाने वाले मिडडे मील में अतिरिक्त पौष्टिक आहार शामिल करने का फैसला किया है। इसके तहत बच्चों को अभी दिए जाने वाले खाद्य पदार्थों के अलावा हफ्ते में एक बार चिकन और मौसमी फल भी उपलब्ध करवाए जाएंगे। इस अतिरिक्त पोषण योजना के लिए अलग से 371 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। इस फैसले की पुष्टि करने वाले स्कूल डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने कहा कि अभी यह तय नहीं कि क्या यह योजना अप्रैल के बाद भी जारी रहेगी।

प्रति बच्चे हर हफ्ते 20 रुपए की अतिरिक्त लागत
स्कूली बच्चों को अभी मध्यान भोजन के तौर पर चावल, दाल, सब्जियां, सोयाबीन और अंडे दिए जाते हैं। 3 जनवरी को जारी अधिसूचना के मुताबिक प्रति छात्र/छात्रा को अतिरिक्त पोषण उपलब्ध करवाने के लिए हर हफ्ते 20 रुपए दिए अतिरिक्त खर्च किए जाएंगे और यह प्रक्रिया 16 हफ्तों तक जारी रहेगी। राज्य सरकार के स्कूलों और उससे सहायता प्राप्त स्कूलों में 1.16 करोड़ बच्चे पढ़ते हैं, जिन्हें इस 'चिकन करी' योजना का लाभ मिलेगा। मिडडे मील स्कीम की लागत राज्य और केंद्र सरकारें 60:40 के अनुपात में उठाती हैं।

'चिकन करी' योजना पर विवाद शुरू
अधिकारी ने बताया कि यह अतिरिक्त भोजन तत्काल प्रभाव से राज्य के हर ब्लॉक में हफ्ते के अलग-अलग दिनों में परोसे जाएंगे। लेकिन, इस घोषणा से राज्य में राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो चुकी है। भाजपा का कहना है कि इस साल होने वाले पंचायत चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ही यह फैसला क्यों लिया गया है। जबकि, सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने विपक्ष पर आरोप लगाया है कि 'हर चीज में राजनीति ही नजर आती है।'

फैसले से राजनीति की बू आती है-बीजेपी
बीजेपी नेता राहुल सिन्हा ने कहा, 'स्कूली छात्रों को चुनाव से पहले चिकन परोसने के फैसले से टीएमसी सरकार के हृदय परिवर्तन को लेकर सवाल उठते हैं। अभी तक गरीब बच्चों को इन चीजें से क्यों वंचित रखा गया और सिर्फ चावल और दालें दी जाती रहीं ? फैसले से राजनीति की बू आती है, क्योंकि पंचायत चुनाव आने ही वाला है।'

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तृणमूल कांग्रेस एक जनता-केंद्रित पार्टी है-टीएमसी
जबकि, टीएमसी के राज्यसभा सांसद शांतनु सेन ने कहा है कि पार्टी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हमेशा आम लोगों के लिए खड़ी रही हैं और यह फैसला उस तथ्य पर मुहर लगता है। उन्होंने कहा, 'तृणमूल कांग्रेस एक जनता-केंद्रित पार्टी है, बीजेपी की तरह हर मसले पर राजनीति नहीं करना चाहती। कोविड महामारी और लॉकडाउन के समय हमारे राज्य ने यह सुनिश्चित किया कि बच्चे मिडडे मील से वंचित ना रह जाएं और चावल, दाल, आलू, सोयाबीन लगातार स्कूल की इमारतों से बांटे गए। परेशानियों के बावजूद भी हमने मिडडे मील बंद नहीं किया।'

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English summary
The West Bengal government has decided to serve chicken and fruits in schools under the midday meal scheme from January. BJP has said that elections are to be held, so this decision has been taken
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