वाराणसी में गंगा उफान पर, बारिश के बाद गंगा घाटों पर डूबे करीब 100 मंदिर
वाराणसी। भीषण गर्मी के बाद झमाझम हुई बारिश ने भले ही लोगों को राहत पहुंचायी हो लेकिन पहाड़ों पर हुई बारिश ने गंगा किनारे रहने वालों और रोजाना गंगा स्नान करने और दर्शन पूजन करने वालों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। घाटों के किनारे रहने वाले लोगों की मानें तो महज दो दिनों में ही गंगा में पानी बड़ी तेजी से बढ़ना जारी हुआ है और करीब 10 फीट के आसपास पानी सामान्य दिनों में गंगा में बढ़ चुका है जिसका नतीजा है कि वाराणसी के अस्सी घाट से लेकर राजघाट तक गंगा नदी के किनारे घाटों पर बने हुए बड़े-छोटे मन्दिर मिलाकर करीब 100 मन्दिर गंगा के पानी में समा चुके हैं।
इन मंदिरों में पूजा करने वालों की मानें तो अब 3 महीने तक इस मंदिरों में पूजन पूरी तरीके से बन्द रहेगी और जब गंगा की धारा शांत होगी और गंगा सामान्य होंगी उसके बाद इस मंदिरों में पूजा-पाठ शुरू किया जाएगा। ये हालात वाराणसी के पंचगंगा घाट के कई शिव मंदिरों और मणिकर्णिका घाट के विशाल मंदिर का है। इसके अलावा अब पूजा कराने वाले पंडित भी लगातार स्थान बदल रहे हैं तो वहीं नहाने के नजरिये से बहाव तेज होने से खतरे भी रहते हैं और गहराई का अनुमान नहीं होता।
कई शिवालय डूबे, लगातार गंगा का बढ़ना जारी
दरसअल पहाड़ों पर बारिश और बांधों के खुलने के कारण गंगा में बाढ़ का सिलसिला हर साल सावन के शुरू होने से पहले जारी हो जाता है। यही वजह है कि गंगा के एक तरफ जहां जलस्तर में बढ़ोतरी होती जा रही है। वहीं पांच नदियों के संगम के स्थान पंचगंगा घाट सहित अन्य घाटों पर कई शिवालय सहित छोटे मन्दिर गंगा के पानी मे डूब चुके हैं। इसके अलावा वाराणसी के मणिकर्णिका घाट यानी मोक्ष के स्थान पर भी गंगा के कहर से अब किनारे शवों को जलाने के लिए बनाए गए प्लेटफॉर्म भी गंगा की चपेट के आ चुके हैं जिससे शवों का अंतिम संस्कार करने काशी आने वालों की समस्या अब शुरू हो चुकी है, जो बढ़ती ही जाएगी। वहीं पंचगंगा घाट के पुरोहित पंकज बताते हैं कि उसके यजमानों के आने का सिलसिला भी अब थम जाएगा और जैसे-जैसे गंगा का स्तर ऊपर होता जाएगा उनकी चौकियां हटती जाएगी। इसके अलावा रोजाना गंगा स्नान और पूजन के लिए वाराणसी आने वाले रामजी बताते हैं कि किनारों पर बने मन्दिर जलमग्न हो चुके हैं जिनकी पूजा अब रुक गयी है जो करीब 3 महीने के बाद जलस्तर सामान्य होने पर होगी।