त्रिवेंद्र सिंह रावत को 'अधर्मी' मुख्यमंत्री क्यों बता रहे हैं 'चार धाम' के पुरोहित ?
देहरादून: जब मंगलवार को त्रिवेंद्र सिंह रावत से बार-बार उनके इस्तीफे का कारण पूछा गया था तो उन्होंने इतना कहकर जवाब टाल दिया कि इसके लिए 'आपको दिल्ली जाकर पता करना पड़ेगा।' लेकिन, उनकी समय से पहले सीएम कुर्सी से छुट्टी मिलने को लेकर उत्तराखंड के 'चार धाम' तीर्थ के पुजारियों की खुशी का ठिकाना नहीं है। उन्हें जैसे ही उनके इस्तीफे की खबर मिली उन्होंने आतिशबाजियां शुरू कर दीं। होली से पहले दिवाली मनाने का ऐलान कर दिया गया। दरअसल, 'चार धाम' से जुड़ा पुरोहित समाज राज्य सरकार की ओर से मंदिरों के प्रबंधन के लिए देवस्थानम बोर्ड बनाए जाने से नाराज है और बीजेपी सरकार से इसे हर हाल में खत्म करने की मांग कर रहा है।
त्रिवेंद्र सिंह रावत 'अधर्मी' मुख्यमंत्री थे- चार धाम तीर्थ के पुरोहित
त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे की खबर उत्तराखंड के पहाड़ों में जंगल की आग की तरह फैल गई। प्रदेश की राजनीति पर नजर रखने वालों को तो दो-तीन दिनों से इसकी आशंका तो थी ही, लेकिन 'चार धाम' तीर्थों के पुजारियों ने जो प्रतिक्रिया दी है, उसका पूर्व सीएम रावत को जरा भी अंदाजा नहीं रहा होगा। उनके सीएम पद से हटने की खबर पाकर खुशी जाहिर करते हुए एक पुरोहित ने कहा, "बहुत ही हर्ष का दिन है, इस दिन की हम प्रतीक्षा कर रहे थे। सनातन धर्म का जो विरोधी हो, ऐसे पूर्व मुख्यमंत्री माननीय त्रिवेंद्र रावत जी.......मैं धन्यवाद देना चाहता हूं भाजपा के जो शीर्ष पर बैठे हुए लोग हैं और संघ के लोग विशेष तौर से, जिन्होंने ये काम किया है और ऐसे अधर्मी, जिनका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है..... ऐसे मुख्यमंत्री को हटाया। हमारे यहां आज दिवाली है.....। "
चार धाम तीर्थ के पुरोहितों ने भाजपा को दी चेतावनी
असल में त्रिवेंद्र सिंह के हटने पर उन्होंने खूब जश्न मनाया है। एक पुरोहित ने पूर्व मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया है कि "वर्तमान में जो मुख्यमंत्री थे.... वह बहुत ही धर्म विरोधी और चारों धाम की देवभूमि विरोधी कार्य कर रहे थे..... चारों धाम के तीर्थ पुरोहितों ने विजय जुलूस निकालकर पटाखे फोड़े हैं। हम उत्तराखंड में जो नई सरकार बनेगी, उसे भी चेतावनी देते हैं कि जो उत्तराखंड में यह देवस्थानम बोर्ड बनाया गया है..... वह धर्म विरोधी है। तत्काल इसको निरस्त करे। तभी 2022 में भाजपा की सरकार बनेगी, नहीं तो यहां पर आगे भाजपा की सरकार कभी नहीं बन सकती है।"
उत्तराखंड चार धाम देवस्थान मैनेजमेंट बोर्ड बनाने से नाराजगी
गौरतलब है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने चार धाम तीर्थ समेत प्रदेश के 51 बड़े मंदिरों के लिए उत्तराखंड चार धाम देवस्थान मैनेजमेंट बोर्ड गठित किया है और उसका प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया है। इसी से वहां के पुरोहित समाज में सरकार के खिलाफ बहुत ज्यादा गुस्सा है। उत्तराखंड के चार धामों में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिर शामिल हैं। जब से प्रदेश सरकार ने यह फैसला किया है, वहां के पुरोहित इसका यह कहकर विरोध कर रहे हैं कि इतना बड़ा कदम उन्हें विश्वास में लिए बिना ही उठाया गया है। बता दें कि उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम मैनेजमेंट ऐक्ट, 2019 के खिलाफ अदालत भी दो याचिका डाली गई थी, जिसे पिछले साल 21 जुलाई को उत्तराखंड हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था। एक याचिका भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इसकी कानूनी वैद्यता को लेकर डाली थी।
तो देवस्थान मैनेजमेंट बोर्ड की वजह से गई कुर्सी !
बता दें कि पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ उत्तराखंड भाजपा में भी बहुत ज्यादा नाराजगी बढ़ गई थी। जानकारी के मुताबिक उनके कुछ नीतिगत फैसलों को लेकर सिर्फ भाजपा में ही नहीं, बल्कि आरएसएस और वीएचपी में भी नाराजगी थी। संघ और वीएचपी देवस्थानम बोर्ड के फैसले पर भी सहमत नहीं थे। सरकार ने बोर्ड बनाकर इन मंदिरों का नियंत्रण पिछले साल जनवरी में ही अपने हाथों में लिया था। रावत का दावा था कि इससे मंदिरों को ज्यादा पेशेवर तरीके से मैनेज किया जा सकेगा। लेकिन, पार्टी के ज्यादातर नेता, मंत्री, स्थानीय कारोबारी और पार्टी के वैचारिक सहयोगियों का तर्क था कि मंदिरों के प्रबंधन में सरकार को ज्यादा दखल देना सही नहीं है। बड़ी बात है कि वीएचपी ने तो इसके खिलाफ अप्रैल में बड़े प्रदर्शन की भी घोषणा कर रखी थी।
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