कांग्रेस क्यों कह रही 'राहुल भैजी आला', जानिए इस स्लोगन के पीछे की असली कहानी
सोशल मीडिया में ट्रेंड कर रहा राहुल भैजी आला, कांग्रेस ने जारी किए पोस्टर
देहरादून, 15 दिसंबर। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी 16 दिसंबर को देहरादून में विजय उत्सव रैली को संबोधित करेंगे। रैली को सफल बनाने के लिए कांग्रेस ने पूरा जोर लगा दिया है। रैली से पहले कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर एक खास स्लोगन जारी किया है, जिसमें गढ़वाली में लिखा गया है, राहुल भैजी आला, यानि कि राहुल भैया आएंगे। राहुल की रैली से पहले कांग्रेस का ये स्लोगन सोशल मीडिया में खासा ट्रेंड कर रहा है। कांग्रेस इस नए स्लोगन के जरिए दो समीकरण साधने में कामयाब हो गए है। पहला सोशल मीडिया पर भाजपा को सीधी टक्कर देना आर दूसरा पीएम मोदी के गढ़वाली में दिए गए संबोधन का जबाव देने के लिए कांग्रेस ने पूरी तैयारी कर ली है। बता दें कि जब पीएम नरेंद्र मोदी 4 दिसंबर को देहरादून आए थे तो रैली के संबोधन की शुरूआत पीएम मोदी ने गढ़वाली बोली में किया था। इस तरह कांग्रेस ने जो शब्द चुना है वह गढ़वाली बोली का है। जिसके जरिए कांग्रेस यह संदेश दे रही है कि राहुल भैया आएंगे।
हैशटैग राहुल भैजी आला हो रहा वायरल
मंगलवार से कांग्रेस के नेताओं ने अपने सोशल मीडिया के जरिए एक पोस्टर जारी किया है। जिसमें उत्तराखंड के मुद्दों के साथ हैशटैग राहुल भैजी आला, लिखा हुआ है। इस स्लोगन को लेकर कांग्रेस सोशल मीडिया में जमकर प्रचार-प्रसार करने में जुट गई है। बीते 24 घंटे में ही सोशल मीडिया में यह स्लोगन लगातार ट्रेंड कर रहा है। कांग्रेस का यह दांव भाजपा की चिंता बढ़ाने के लिए अहम माना जा रहा है। इससे पहले भाजपा के कई नारे सोशल मीडिया में चल चुके हैं। जिसमें से पिछले चुनाव में मैं भी चौकीदार सबसे ज्यादा ट्रेंड किया था। इस बार कांग्रेस ने भाजपा की रणनीति को पीछे छोड़ दिया है।
स्थानीय बोली, भाषाओं का कर रहे प्रचार
कांग्रेस ने राहुल गांधी की रैली के प्रचार-प्रसार के लिए गढ़वाली और स्थानीय बोली और शब्दों का जमकर प्रयोग करना शुरू कर दिया है। पूर्व सीएम हरीश रावत ने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किया है कि
परेड ग्राउंड देहरादून क सभ्य रस्ता, राहुल भैजी क वास्ते"
भौल राहुल गांधी जी आला, हमर महान सैन्य परम्परा ते प्रणाम करण, आप सभ्य भै-बैणी सादर आमंत्रित छौ।
इसका मतलब है कि परेड ग्राउंड देहरादून के सभी रास्ते, राहुल भैजी के वास्ते। कल राहुल गांधी आएंगे, हमारी महान सैन्य परम्परा को प्रणाम करेंगे, आप सब सादर आमंत्रित हैं।
परेड ग्राउंड देहरादून क सब बाट, राहुल भाईजी हैं।
भोअ राहुल गांधी आल, हमार महान सैन्य परम्परा कैं प्रणाम कराल, आप सब सादर आमंत्रित छा।
परेड ग्राउंड देवरे के सारे रास्ते, राहुल दादा के वास्ते ।
दोतिया राहुल गांधी आवंदा, हमारी महान सैन्य परम्परा के ढाल करदा, तुम सबीए विशेष आमंत्रित होंदे।
इस तरह से कांग्रेस भाजपा से एक कदम आगे बढ़कर सभी स्थानीय बोली भाषाओं का इस्तेमाल कर भाजपा को खुली चुनौती देने में जुटे हैं।
पीएम मोदी ने भी गढ़वाली में किया था संबोधन
पीएम नरेंद्र मोदी ने 4 दिसंबर को देहरादून में विजय संकल्प महारैली के दौरान अपने संबोधन की शुरुआत गढ़वाली बोली में किया था, पीएम मोदी ने कहा कि उत्तराखंड का सभी दाणा सयानो, दीदी भूलियो, चची और भय बहणों, आप सभी छ मेरा प्रणाम। जो कि गढ़वाली में अपने घर के बुजुर्गों और परिजनों को संबोधित किया जाता है। इस तरह पीएम मोदी ने गढ़वाली में संबोधित कर उत्तराखंड की जनता से भावनात्मक तरीके से जुड़ने की कोशिश मानी गई थी। इतना ही नहीं पीएम मोदी की रैली के बाद हरीश रावत ने एक बार फिर स्थानीय बोली भाषा को बढ़ावा देने की मांग की। उन्होंने कहा कि स्पीकर महोदय आपने भाषा-बोली पर विधानसभा की समिति तो गठित की, मगर हमारी सरकार ने गौचर में जो भाषा-बोली संस्थान खोला था, जो वहां संचालित किया गया था, उसको आपकी पार्टी की सरकार ने बंद कर दिया है और भाषा-बोली के संवर्धन का मामला गड्ढे में ढाल दिया है। जरा अपनी सरकार को फटकार लगाइये तभी ये चुनावी समिति का कोई अर्थ है।