उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग की पहल,टेली मेडिसिन के साथ ही मरीजों को घर तक दवाइयां पहुंचाने की होगी व्यवस्था
उत्तराखंड: टेली मेडिसिन को बढ़ावा, घर तक दवाइयों की व्यवस्था
देहरादून, 23 जुलाई। उत्तराखंड में हेल्थ सिस्टम को सुधारने के लिए स्वास्थ्य विभाग अब नई पहल करने जा रहा है। इसके लिए पहाड़ों में खासकर फोकस किया जाएगा। जो कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से पूरा किया जाएगा। एनएचएम के जरिए टेली मेडिसिन को बढ़ावा देने के साथ गंभीर मरीजों को घर तक दवाइयां पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए विभाग रणनीति तैयार कर रहा है।
लंबे
समय
से
बीमार
तो
जरूरी
दवाईयां
घर
पहुंचाने
का
प्रयास
प्रभारी
सचिव
एवं
एनएचएम
मिशन
निदेशक
डॉ.
आर.
राजेश
कुमार
ने
जानकारी
देते
हुए
बताया
कि
प्रदेश
में
35
स्वास्थ्य
केंद्र
टेली
मेडिसिन
सेवाओं
से
जुड़े
हैं।
इनकी
संख्या
बढ़ाई
जाएगी।
पहाड़
के
दुर्गम
क्षेत्रों
में
टेली
मेडिसिन
के
माध्यम
से
मरीजों
को
बेहतर
इलाज
की
सुविधा
दी
जाएगी।
साथ
ही
लंबे
समय
से
बीमारी
का
इलाज
करा
रहे
मरीजों
को
घर
पर
जरूरी
दवाईयां
पहुंचाने
का
प्रयास
किया
जाएगा।
अस्पतालों
में
स्वास्थ्य
सेवाओं
की
निगरानी
के
लिए
अधिकारियों
की
एक
क्विक
रिस्पांस
टीम
बनाई
जाएगी।
जो
अस्पतालों
का
औचक
निरीक्षण
करेंगे।
अस्पतालों
में
अधिकारियों
व
कर्मचारियों
समय
पर
पहुंचे।
इसके
लिए
दैनिक
उपस्थिति
पर
भी
ध्यान
दिया
जाएगा।
सचिव
ने
कहा
कि
अस्पतालों
में
औचक
निरीक्षण
किया
जाएगा।
ताकि
अल्ट्रासाउंड
व
अन्य
स्वास्थ्य
सुविधाओं
का
पता
चले।
झोलछाप
डॉक्टरों
पर
होगी
कार्रवाई
प्रभारी
सचिव
स्वास्थ्य
ने
कहा
कि
राज्य
में
मातृ
शिशु
मृत्यु
दर
को
पूरी
तरह
शून्य
पर
लाने
का
प्रयास
किया
जाएगा।
उन्होंने
कहा
कि
झोलछाप
डॉक्टरों,
अपंजीकृत
स्वास्थ्य
केंद्रों
के
खिलाफ
कड़ी
कार्रवाई
होगी।
सरकारी
स्वास्थ्य
सेवाओंई
में
कार्यरत
डॉक्टरों
की
निजी
प्रैक्टिस
पर
लगाम
लगाने
के
लिए
ऐसे
डॉक्टरों
के
खिलाफ
कार्यवाही
की
जाएगी।
प्रभारी
सचिव
ने
कहा
कि
एनएचएम
का
उद्देश्य
राज्य
सरकार
की
ओर
से
दी
जा
रही
स्वास्थ्य
सेवाओं
का
लाभ
आम
लोगों
तक
पहुंचे।
इसी
उद्देश्य
से
आने
वाले
समय
के
लिए
स्वास्थ्य
सेवाओं
को
आम
लोगों
तक
पहुंचाने
की
रणनीति
तैयार
की
जाएगी।
अस्पतालों
में
प्रसव
के
लिए
आने
वाली
गर्भवती
महिला
के
उपचार
में
किसी
तरह
कोई
कमी
न
रहे।
इसके
लिए
अधिकारियों
को
जिम्मेदारी
तय
की
जाएगी।
मानसून
सीजन
में
आपदा
को
देखते
हुए
राज्य
व
जिला
स्तर
के
कंट्रोल
रूम
में
डॉक्टर
की
तैनाती
की
जाती
है।
डेंगू
हॉट
स्पॉट
क्षेत्रों
की
पहचान
कर
रोकथाम
और
जागरूकता
के
लिए
आशा
वर्कर
घर-घर
जाकर
लोगों
जानकारी
दे
रही
है।