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तो इतिहास बनकर रह जाएगा देहरादून का ऐतिहासिक कनॉट प्लेस, जानिए क्यों हो सकता है जमींदोज

दिल्ली की तर्ज पर देहरादून में बना है कनॉट प्लेस

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देहरादून, 12 सितंबर। दिल्ली की तर्ज पर देहरादून में बनाए गए कनॉट प्लेस का अस्तित्व खतरे में हैं। आजादी से पहले की देहरादून में बनाई गई ये बिल्डिंग हेरिटेज की तरह है। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अब इसे जमींदोज करने की तैयारी की जा रही है। हालांकि इसमें सालों से रह रहे परिवार और दुकानदार कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। फिलहाल इसमें रह रहे लोगों को खाली करने को 21 सितंबर की डेडलाइन दी गई है।

1930 से 1940 के बीच, सेठ मनसाराम ने कनॉट प्लेस बनवाया

1930 से 1940 के बीच, सेठ मनसाराम ने कनॉट प्लेस बनवाया

1930 से 1940 के बीच देहरादून के चकराता रोड में सेठ मनसाराम ने कनॉट प्लेस बनवाया था। यह बिल्डिंग दिल्ली की कनॉट प्लेस की तरह डिजायन और तैयार करवाई गई। यह तीन मंजिला इमारत है। इसमें हर एक हिस्से को सीढ़ी से जोड़ा गया और हर हिस्से का बिल्कुल अलग डिजायन तैयार किया गया।

भवन एलआईसी ने टेकओवर कर लिया

भवन एलआईसी ने टेकओवर कर लिया

इस भवन को बनाने के लिए सेठ ने लोन लिया था। लेकिन समय में चुका नहीं पाए तो ये भवन एलआईसी ने टेकओवर कर लिया। इस भवन में 70 से ज्यादा दुकानें, 150 से ज्यादा किराएदार और करीब 20 गोदाम हैं। जो कि सालों से इसमें रह रहे हैं।

कोर्ट के आदेश का हवाला, एलआईसी बिल्डिंग को खाली कराने के नोटिस

कोर्ट के आदेश का हवाला, एलआईसी बिल्डिंग को खाली कराने के नोटिस

कनॉट प्लेस स्थित एलआईसी बिल्डिंग को खाली कराने के नोटिस के बाद यहां के दुकानदार और किराए पर रह रहे लोग परेशान हैं। एलआईसी ने कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए बिल्डिंग को खाली कराने के लिए पुलिस-प्रशासन की मदद मांगी है। पहले चरण में 14 संपत्तियां ,आवास और दुकानें, खाली कराई जानी हैं।

1962 से यहां रह रहे हैं, बचपन भी इसी बिल्डिंग में बीता

1962 से यहां रह रहे हैं, बचपन भी इसी बिल्डिंग में बीता

लेकिन यहां रह रहे लोगों को कहना है जिदंगी यहां गुजारने के बाद अब ऐसे हालात में परिवार को कहीं ले जाना मुश्किल है। इसका विरोध शुरू हो गया है। कनॉट प्लेस वेलफेयर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष विजय कुमार पासी ने बताया कि वे 1962 से यहां रह रहे हैं, उनका बचपन भी इसी बिल्डिंग में बीता है।

समय-समय पर इसकी लड़ाई कोर्ट में चलती रही

समय-समय पर इसकी लड़ाई कोर्ट में चलती रही

तब यहां किराया 31 रूपए थे, जो बाद में 60 और अब 1800 रूपए तक हो गया है। समय-समय पर इसकी लड़ाई कोर्ट में चलती रही। उन्होंने बताया कि तीसरी मंजिल भले ही पूरी तरह से खाली है। लेकिन बाकि मंजिल पर लगभग सब लोग रहे रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से यहां रह रहे लोगों को उचित मुआवजा और समय देने की मांग की है। उन्होंने इस बिल्डिंग के जर्जर हालात के लिए एलआईसी को दोषी माना है।

नगर निगम ने पंतनगर विवि की रिपोर्ट के आधार पर गिरासू भवन घोषित किया

नगर निगम ने पंतनगर विवि की रिपोर्ट के आधार पर गिरासू भवन घोषित किया

कनॉट प्लेस वेलफेयर एसोसिएशन के कानूनी सलाहकार देवेंद्र सिंह ने बताया कि इस बिल्डिंग को साजिश के तहत गिरासू भवन में बताया जा रहा है। जबकि इस तरह की रिपोर्ट अब तक किसी रजिस्टर्ड संस्था की ओर से नहीं दी गई है। नगर निगम ने पंतनगर विवि की रिपोर्ट के आधार पर गिरासू भवन घोषित किया है। जिसे इस तरह की रिपोर्ट बनाने का कोई अधिकार नहीं है।

बिल्डिंग को हेरिटेज में सुरक्षित रखा जा सकता है

बिल्डिंग को हेरिटेज में सुरक्षित रखा जा सकता है

उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ एक बुर्जुग को कुछ समय पहले खाली करने को कहा था। जो कि एलआईसी से लिखित में एनओसी मांग रहे हैं। लेकिन एलआईसी उसे नहीं दे रही है। देवेंद्र सिंह ने कहा कि इस बिल्डिंग को हेरिटेज में सुरक्षित रखा जा सकता है। इसके लिए वे प्रयास कर रहे हैं। सालों से यहां रह रहे लोग इसे काफी संरक्षित रखते हैं। ऐसे में किसी की गलती किसी को भुगतना पड़े ये गलत है।

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English summary
So the historic Connaught Place of Dehradun will remain as history, know why it may be landlocked
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