मलबे में दफन चाचा-चाची को तलाश रहे दो सगे भाइयों को हर कोई कर रहा सैल्यूट, जानिए पूरी कहानी
देहरादून के सरखेत में रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हैं दो सगे भाई
देहरादून, 26 अगस्त। देहरादून के सरखेत में आई प्राकृतिक आपदा में भारी नुकसान हुआ है। जिसमें गांव के एक परिवार और रिश्तेदारी में आए 5 लोग मलबे में दफन हो गए। रेस्क्यू ऑपरेशन अब भी जारी है। इनमें से 3 का शव बरामद हो चुका है। लेकिन दो की तलाश अब भी जारी है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में सबकी निगाहें दो सगे भाइयों पर टिकी हुई हैं। जिनके जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है। मूल रूप से रहने वाले सूरज और अंकित यहां अपने चाचा-चाची को मलबे में तलाशने आए थे। जो कि इस रेस्क्यू ऑपरेशन की सबसे अहम कड़ी बने हुए हैं।
Recommended Video
सूरज राणा और अंकित राणा दो सगे भाई, पौकलैंड मशीन ऑपरेटर
सूरज राणा और अंकित राणा दो सगे भाई हैं। जो भी आपदा से हुए नुकसान के बारे में पूछ रहे हैं, वे इन दो भाइयों को जरूर सैल्यूट कर रहे हैं। दोनों टिहरी के जैंत्वाड़ी के रहने वाले हैं। दोनों भाई चमोली में ऑलवेदर रोड पर पौकलैंड मशीन ऑपरेटर हैं। सरखेत में 19 अगस्त को आई भीषण आपदा इन दोनों भाई के चाचा राजेंद्र राणा और चाची समेत 5 लोग मलबे में दफन हो गए। चाचा राजेंद्र सिंह राणा अपनी पत्नी अनीता देवी के साथ जन्माष्टमी का त्योहार मनाने अपने रिश्तेदारी मैं आए हुए थे। लेकिन रात में काल बनकर आई बारिश में दोनों लापता हो गए।
दोनों भाई ने पौकलेंड मशीन संभाली और रेस्क्यू शुरू कर दिया
इस बीच सूरज और अंकित दोनों भाई चमोली से दून आ गए। प्रशासन ने सरखेत में आई आपदा के लिए दो पौकलेंड मशीन की व्यवस्था की। लेकिन कोई ऑपरेटर नहीं मिल पाए। इस बीच बांदल घाटी में आए पानी में पौकलेंड मशीन उतारना आसान नहीं था। लेकिन दोनों भाई ने जान की परवाह न किए पौकलेंड सरखेत तक वहां पहुंचाई जहां दो मंजिला मकान मलबे में दबा हुआ था। दोनों भाई ने पौकलेंड मशीन संभाली और रेस्क्यू शुरू कर दिया।
दोनों मलबे से अपने चाचा राजेंद्र राणा सहित 3 लोगों को निकाल चुके
अब तक दोनों मलबे से अपने चाचा राजेंद्र राणा सहित 3 लोगों को निकाल चुके हैं। लेकिन चाची और एक अन्य रिश्तेदार मलबे में दबे हैं। सूरज और अंकित ने अपने मिशन को पूरा करने के लिए पूरा जोर लगाया हुआ है। बुधवार को चाचा का शव मिलने के बाद भी दोनों भाई अंतिम संस्कार में नहीं गए। दोनों जब तक पांचों शवों को नहीं निकाल लेते तब तक रूकने वाले नहीं है। एसडीआरएफ से लेकर स्थानीय लोग भी इन दोनों भाइयों को सैल्यूट कर रहे हैं।
दोमंजिला मकान आपदा में जमींदोज, 5 लोग मलबे में दफन
देहरादून के सरखेत में आई प्राकृतिक आपदा ने कई घरों को नुकसान पहुंचाया है। लेकिन एक दोमंजिला मकान आपदा में जमींदोज हो चुका है। सरखेत में जगमोहन और दिनेश दोनों भाई हैं। सरखेत में उनके दो मंजिला घर आसपास थे। घटना वाली रात तेजी से पानी के साथ आए मलबे में एक मकान पूरी तरह दब गया। दूसरे की एक मंजिल नीचे दब गई।
दो लोगों का शव अब भी लापता, रेस्क्यू जारी
जिन्हें मौका मिल सका, उन्होंने बचने की कोशिश की। दिनेश,उनकी पत्नी सुनीता, बच्चे और मां सोन देई, रमेश सिंह किसी तरह बच निकले। दिनेश, सुनीता और सोन देई को घायल अवस्था में मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है।जबकि रमेश का 15 वर्षीय बेटा विशाल, दिनेश के भाई जगमोहन सिंह, जैंत्वाड़ी टिहरी गढ़वाल से घटना के दिन ही आए उनके साढ़ू राजेंद्र राणा, राजेंद्र की पत्नी अनीता, रमेश के साले सुरेंद्र लापता हो गए। रेस्क्यू ऑपरेशन में अब तक सुरेंद्र सिंह,राजेंद्र सिंह राणा, विशाल का शव अब तक बरामद हुए हैं। जबकि जगमोहन और अनीता अब भी लापता हैं।
टिहरी में भी रेस्क्यू अभियान जारी
देहरादून के सरखेत के साथ ही टिहरी में भी रेस्क्यू अभियान जारी है। यहां एसडीआरएफ की टीम ने गुरुवार देर शाम जौनपुर ब्लॉक के आपदा प्रभावित ग्वाड़ गांव से एक और शव बरामद किया है। शव गांव से तीन किलोमीटर दूर मलबे और पत्थरों के बीच दबा हुआ था। गांव के लोगों ने शव की शिनाख्त कमांद की बेटी बीना,17 वर्ष के रूप में की है। वहीं लापता चल रहे परिवार के तीन अन्य सदस्यों की तलाशी के लिए सर्च ऑपरेशन जारी है।
ग्वाड़ गांव में एक ही परिवार के 7 लोग जिंदा दफन
19 अगस्त को बादल फटने से ग्वाड़ गांव में एक ही परिवार के 7 लोग जिंदा दफन हो गए थे। घटना के अगले दिन 20 अगस्त को ग्रामीणों ने रेस्क्यू अभियान चलाकर राजेंद्र सिंह और उनकी पत्नी का शव बरामद कर लिया था। आपदा में लापता चल रही कमांद सिंह की मां, पत्नी, एक बेटा और बेटी की तलाश के लिए 21 अगस्त से एसडीआरएफ और पुलिस गांव में रेस्क्यू अभियान चला रही है। 23 अगस्त को एसडीआरएफ ने सर्च अभियान के दौरान कमांद सिंह की मां का शव मकान के समीप से ही मलबे और पत्थरों के बीच से बरामद किया था।