Uttarakhand:भाजपा सरकार में पेपर लीक प्रकरण ने बढ़ाई मुश्किलें, सालों से चल रहा खेल घिर गई सरकारें
उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग और उत्तराखंड लोक सेवा आयोग जैसी संस्था तक पेपर लीक प्रकरण से अछूती नहीं रही है। ऐसे में सरकार के पास अब ज्यादा विकल्प नजर नहीं आ रहे हैं। इन प्रकरण से भाजपा सरकार की इमेज पर काफी असर पड़ा है।
उत्तराखंड में भाजपा सरकार के लिए पेपरलीक प्रकरण ने मुसीबत खड़ी कर दी है। एक के बाद एक पेपरलीक केस सामने आने के बाद भाजपा सरकार मुश्किल में पड़ती हुई नजर आ रही है। 2017 से लेकर अब तक लगातार भाजपा ही उत्तराखंड में सत्ता संभाल रही है। ऐसे में परीक्षाओं से पहले हो रहे पेपरलीक मामलों ने भाजपा ही नहीं सीएम धामी के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है।
स्नातक स्तर, वन दरोगा भर्ती, सचिवालय रक्षक भर्ती, पटवारी भर्ती में पेपरलीक होने की पुष्टि
भाजपा शासन काल में अब तक स्नातक स्तर, वन दरोगा भर्ती, सचिवालय रक्षक भर्ती, पटवारी भर्ती में पेपरलीक होने की पुष्टि हो चुकी है। जबकि कांग्रेस शासन काल में दरोगा भर्ती में गड़बड़ी होने पर कार्रवाई शुरू हो चुकी है। इस बीच सीएम धामी का दावा है कि नकल विरोधी सख्त कानून लाकर ऐसे मामलों में शिकंजा कसा जा रहा है। लेकिन जिस तरह से पहले उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग, यूकेएसएसएससी और उत्तराखंड लोक सेवा आयोग जैसी संस्था तक इससे अछूती नहीं रही है। ऐसे में सरकार के पास अब ज्यादा विकल्प नजर नहीं आ रहे हैं। इन प्रकरण से भाजपा सरकार की इमेज पर काफी असर पड़ा है। कांग्रेस इन मुद्दों को जोर शोर से उठा रही है। लेकिन इस बीच 2015 का दरोगा भर्ती केस में संलिप्त पाए जाने पर 20 दरोगाओं को जिस तरह से सस्पेंड कर दिया गया है, उसके बाद अब कांग्रेस सरकार पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
UKSSSC
में
चल
रहे
खेल
का
जुलाई
2022
में
पर्दाफाश
भाजपा
की
2017
में
त्रिवेंद्र
रावत
के
नेतृत्व
में
उत्तराखंड
में
सरकार
बनीं,
सरकार
ने
जीरो
टॉलरेंस
की
नीति
पर
काम
करने
का
दावा
किया
लेकिन
इस
बीच
नकल
गिरोह
के
पर्दे
की
पीछे
चल
रहे
कारनामें
और
खेल
नहीं
रुक
पाए।
भाजपा
शासन
काल
में
सबसे
पहले
एसटीएफ
ने
उत्तराखंड
अधीनस्थ
सेवा
चयन
आयोग
(UKSSSC)
में
चल
रहे
खेल
का
जुलाई
2022
में
पर्दाफाश
किया।
स्नातक
स्तर
के
916
पदों
के
4,
5
दिसंबर
2022
को
परीक्षा
आयोजित
की
गई
थी।
इस
परीक्षा
में
तकरीबन
1
लाख
90
हजार
अभ्यर्थियों
ने
हिस्सा
लिया
था
और
916
परीक्षार्थी
सफल
हुए
थे।
लेकिन
जब
इस
पेपर
के
लीक
होने
के
आरोप
लगे
तो
सीएम
पुष्कर
सिंह
धामी
ने
खुद
इसकी
जांच
करने
के
निर्देश
दिए,
एसटीएफ
ने
इस
मामले
में
40
से
ज्यादा
आरोपियों
को
गिरफ्तार
किया।
जांच
में
सामने
आया
कि
स्नातक
स्तरीय
भर्ती
परीक्षा
में
131
अभ्यर्थी
पेपर
लीक
व
नकल
में
संलिप्त
पाए
गए।
जबकि
80
अभ्यर्थी
ऐसे
हैं,
जिनका
पता
गलत
है।
स्नातक
स्तरीय
भर्ती
परीक्षा
की
जांच
के
बीच
एसटीएफ
को
जानकारी
मिली
कि
वन
दरोगा
भर्ती
में
लगभग
150
अभ्यर्थियों
की
प्रत्यक्ष
व
अप्रत्यक्ष
रूप
से
संलिप्तता
का
अनुमान
है।
इसकी
जांच
चल
रही
है।
सचिवालय
रक्षक
भर्ती
में
12
अभ्यर्थी
नकल
में
संलिप्त
मिले,
जबकि
20
अभ्यर्थियों
से
पूछताछ
की
जा
रही
है।
चार
भर्तियों
का
परीक्षा
परिणाम
घोषित
नहीं
हुआ
है।
इसके
बाद
आयोग
ने
पेपर
लीक
में
लगभग
चार
सौ
से
अधिक
अभ्यर्थियों
को
आयोग
की
भर्तियों
में
प्रतिबंधित
किया
है।
सात
अन्य
भर्तियों
पर
आयोग
ने
शासन
से
विधिक
राय
मांगी
है।
विशेषज्ञ
समिति
की
रिपोर्ट
के
आधार
पर
सहायक
अध्यापक
एलटी
भर्ती
को
क्लीनचिट
दी
है।
समूह ग की जिम्मेदारी उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को, विश्वास पेपरलीक प्रकरण ने तोड़ दिया
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इसके बाद धामी सरकार ने समूह ग की परीक्षा कराने की जिम्मेदारी उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को दी। आयोग ने 536 पदों के लिए लेखपाल, पटवारी की 8 जनवरी 2023 को परीक्षा कराई थी। परीक्षा में एक लाख, 58 हजार, 210 अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया था, जबकि एक लाख, 14 हजार, 71 अभ्यर्थी इसमें शामिल हुए। लेकिन इस संस्था का विश्वास भी पेपरलीक प्रकरण ने तोड़ दिया। एसटीएफ ने पेपरलीक मामले में आयोग के अनुभाग अधिकारी, उसकी पत्नी समेत 5 को गिरफ्तार किया। अब जांच एसआईटी कर रही है। जो कि नकलची अभ्यर्थियों की कुंडली तैयार कर रही है। इन सबके बीच पंतनगर विवि द्वारा कराई गई 2015 में उत्तराखंड पुलिस में दरोगाओं के 339 पदों पर सीधी भर्ती में गड़बड़ी होने की आशंका और जानकारी हाथ लगी। बीते साल यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले में पकड़े गए हाकम सिंह और केंद्रपाल ने दरोगा भर्ती में भी गड़बड़ी की बात एसटीएफ को बताई थी। जिसके आधार पर एसटीएफ ने इस मामले की प्रारंभिक जांच की तो पेपर लीक और ओएमआर शीट में छेड़छाड़ की बात सामने आई थी। इस मामले की जांच विजिलेंस कर रही है। विजिलेंस ने मामले में संलिप्त 20 दरोगाओं की लिस्ट पीएचक्यू को सौंपी। इसके बाद 20 दरोगाओं को सस्पेंड कर दिया गया है। इस तरह अब भाजपा सरकार के बाद कांग्रेस शासनकाल पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। जिस आरोपी हाकम सिंह को भाजपा का करीबी बताकर कांग्रेस घेर रही थी। उसने कांग्रेस शासन की भी पोल खोलकर रख दी।