Joshimath sinking: क्रेक मीटर ने दिए संकेत, कम हुई दरारें, जानिए क्या होता है ये मीटर, कैसे देता है जानकारी?
जोशीमठ में सीबीआरआई द्वारा भवनों की दरारों को नापने के लिए लगाये गये क्रेक मीटर से गत तीन दिनों में दरारों की चौड़ाई में बढ़ोतरी नही होने के संकेत मिले हैं। यह एक सकारात्मक सकेंत है।
उत्तराखंड के जोशीमठ में सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। भू धंसाव और दरारों से हर कोई दहशत में है। पूरा शहर इस समय सरकार की तरफ देख रहा है। कि आखिर राज्य सरकार किस तरह इस शहर को बचाने में भूमिका निभाती है। ऐसे में सरकार की और से किए जा रहे प्रयास और एक एक कदम अहम होते जा रहे हैं। जगह-जगह दरारों की बढ़ती संख्या और चौड़ी होती दरारों से हर कोई सहम जाता है। लेकिन इस बीच सरकार की और से एक राहत की खबर आई है।
तीन दिनों से बढ़ोतरी न होने के संकेत
जोशीमठ में भवनों में लगाये गये क्रेक मीटर में दरारों की चौड़ाई में गत तीन दिनों से बढ़ोतरी न होने के संकेत मिले हैं। सचिव आपदा प्रबन्धन डा0 रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया है कि सीबीआरआई द्वारा भवनों की दरारों को नापने के लिए लगाये गये क्रेक मीटर से गत तीन दिनों में दरारों की चौड़ाई में बढ़ोतरी नही होने के संकेत मिले हैं। यह एक सकारात्मक सकेंत है।
मैकेनिकल क्रैक मीटर
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इस तरह के भवनों में मैकेनिकल क्रैक मीटर का उपयोग किया जाता है। जिससे दरार की डेप्थ चेक की जाती है और साथ ही इन मीटर से दरारों की मॉनिटरिंग की जाती है। इसमें एक ग्रेजुएट स्केल और एक पारदर्शी ऐक्रेलिक प्लेट लगी होती है, जिसमें हेयरलाइन कर्सर चिह्न होता है। क्रैक मीटर को जब एक दरार में स्थापित किया जाता है, इसे दरार के एक्रोस फिट किया जाता है। ग्रेजुएट स्केल और कर्सर दरार खुलने या कम होने के आधार पर एक दूसरे के सापेक्ष चलते हैं। इसके साथ ही एक और क्रैक मीटर होता है। जो कि दरार के ऊपर और नीचे की तरफ गति होने पर मूवमेंट करता है। ये मीटर दरारें चेक करने के लिए बहुत सटीक और सुविधाजनक हैं।