उत्तराखंड में पहले इन कर्मचारियों ने किया मुख्यमंत्री का अभिनंदन, अब कर रहे आंदोलन, जानिए क्या है पूरा मामला
देहरादून, 8 दिसंबरा उत्तराखंड में एक बार फिर सरकार और कर्मचारी आमने सामने आ गए हैं। जिन मांगों को पूरा करवाने के लिए पहले सचिवालय संघ ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का अभिनंदन किया था, वहीं मांगें पूरी न होने पर अब आंदोलन शुरू कर दिया है। कर्मचारियों के आंदोलन को देखते हुए सरकार ने पहली बार सख्त रुख अपना लिया है। मुख्य सचिव ने नो वर्क नो पे नियम लागू कर दिया है। जिसके बाद कर्मचारी और सरकार में तनातनी हो गई है।

सरकार सख्त,शासन ने जारी किया नो वर्क नो पे
सोमवार को दिन में सचिवालय संघ ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंंह धामी का कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करने के लिए अभिनंदन समारोह आयोजित किया। लेकिन कैबिनेट की बैठक में भत्ते सहित किसी भी मांग के न आने के बाद सचिवालय संघ ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सचिवालय में सभी अनुभागों में कर्मचारियों ने काम रोक दिया है। जिसके बाद हड़ताल पर चले गए हैं। साथ ही सरकार को जल्द से जल्द कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान निकालने की मांग की है। इधर धामी सरकार ने पहली बार कर्मचारियों की हड़ताल पर सख्त रुख अपनाया है। सरकार ने हड़ताली कर्मियों से निपटने के शासन को निर्देश दिए हैं। इसके बाद मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधू ने नो वर्क नो पे लागू कर दिया है। सोमवार को सचिवालय संघ द्वारा सचिवालय प्रांगण में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का अभिनन्दन किया गया। इस दौरान सीएम ने कर्मचारियों को आश्वासन दिलाया था कि राज्य सरकार द्वारा कार्मिकों के हितों के प्रति प्रतिबद्धता के साथ उनकी समस्याओं का समाधान भी किया जा रहा है।
शासन ने मांगी हर दिन की रिपोर्ट
दूसरी ओर, सरकार ने इस हड़ताल पर सख्त रुख अपना लिया है। मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू ने सभी अधिकारियों के नाम एक आदेश जारी किया। इस आदेश में कहा गया है कि सभी तरह के प्रदर्शन, हड़ताल पर काम नहीं तो वेतन नहीं का फार्मूला लागू होगा। जो भी हड़ताल करेगा, उसे अनुपस्थित अवधि का वेतन नहीं दिया जाएगा। उसका विवरण संबंधित विभागाध्यक्ष को आहरण वितरण अधिकारी के माध्यम से कोषागार को उपलब्ध कराना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि सभी विभागाध्यक्ष के अधीनस्थ कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति की कड़ाई से जांच की जाएगी। अगर कोई कार्मिक उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर करने के बाद काम नहीं करेगा तो उसे हड़ताल में शामिल मानकर कार्रवाई की जाएगी। हड़ताल अवधि को बाद में किसी भी दशा में उपार्जित अवकाश या अन्य प्रकार के अवकाश के रूप में समायोजित नहीं किया जाएगा। इस अवधि को संबंधित कर्मचारी की सेवा में व्यवधान माना जाएगा। अपरिहार्य परिस्थितियों को छोड़कर कार्मिक को सामान्य रूप से अवकाश स्वीकृत नहीं किया जाएगा।
सचिवालय संघ की प्रमुख मांगें
- सचिवालय भत्ता अब तक ग्रेड पे पर 50 फीसदी है, इसे बदलकर मूल वेतन पर 10 फीसदी किया जाए।
- चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के ग्रेड पे को बढ़ाने की मांग।
- पांच वर्ष अनुभव वाले समीक्षा अधिकारियों के 4800 ग्रेड-पे को बढ़ाने की मांग।
- राज्य संपत्ति विभाग के वाहन चालकों को सचिवालय प्रशासन में सम्मलित करने की मांग।
- सचिवालय सुरक्षा कर्मियों को पुलिस सैलरी स्लैब से अगले वेतन की मांग।
- पुरानी पेंशन मामले पर भी कर्मचारियों की मांग।