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चुनाव से पहले सियासी मैदान में पूर्व सीएम निशंक की एंट्री, जानिए उत्तराखंड की सियासत में क्यों खास हैं निशं​क

घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष के तौर पर शुरू किया कामकाज

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देहरादून, 24 नवंबर। लंबे समय के बाद उत्तराखंड की राजनीति के बड़े चेहरे और भाजपा के प्रमुख रणनीतिकारों में से एक पूर्व सीएम डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक चुनावी मैदान में उतर चुके हैं। उत्तराखंड में भाजपा ने निशंक के अनुभवों को देखते हुए उन्हें घोषणा पत्र समिति का अध्यक्ष बनाया है। जिसके बाद निशंक ने अपनी जिम्मेदारी पर काम करना शुरू कर दिया है। निशंक को घोषणा पत्र समिति का अध्‍यक्ष बनाने के पीछे भाजपा हाईकमान का कांग्रेसी दिग्गज और पूर्व सीएम हरीश रावत को टक्‍कर देना भी हैा इसके साथ ही पूर्व सीएम के तौर पर निशंक का अनुभव घोषणा पत्र में नजर आना तय हैा जो कि चुनाव में भाजपा का दृष्टि पत्र की तरह होगाा

Former CM Nishanks entry in the political field before the election, know why Nishank is special in the politics of Uttarakhand

केन्द्र में जिम्मेदारी से हटने के बाद नहीं दिखे ​एक्टिव
उत्तराखंड बनने के बाद भाजपा में प्रदेश स्तर पर त्रिमूर्ति कहे जाने वाले 3 बड़े चेहरे थे, जिसमें तीनों पूर्व सीएम बीसी खंडूडी, भगत सिंह कोश्यारी और डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक शामिल रहे हैं। पूर्व सीएम बीसी खंडूडी सक्रिय राजनीति से दूर हैं। भगत सिंह कोश्यारी महाराष्ट्र के राज्यपाल की कुर्सी संभाल रहे हैं। जबकि डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक केन्द्रीय शिक्षा मंत्री से हटने के बाद उत्तराखंड की राजनीति से दूर ही रहे। अब चुनाव में भाजपा हाईकमान ने निशंक को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। चुनाव में पार्टी की जीत का आधार बनने वाले घोषणा पत्र समिति का निशंक को अध्यक्ष बनाया गया है। जिसको लेकर निशंक एक्टिव हो गए हैं। जिसे पूरे प्रदेश स्‍तर पर तैयार करने के लिए खास रणनीति बनाई जा रही हैा

उत्तराखंड की राजनीति में निशंक का कद

निशंक उत्तराखंड की राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं। जिन्हें पूरे प्रदेश के मुद्दों की समझ है। हाईकमान भी निशंक के अनुभवों को समझते हैं। जिस वजह से निशंक को डबल इंजन की सरकार में केन्द्र में बड़ी जिम्मेदारी मिल चुकी है। पांचों सीट जीतने के बाद निशंक को उत्तराखंड से अकेले केन्द्र में प्रतिनिधित्व मिला था। जब निशंक को शिक्षा मंत्रालय की अहम जिम्मेदारी मिली थी। इस दौरान नई शिक्षा नीति को भी मंजूरी मिली। जो कि निशंक के कार्यकाल का शिक्षा के क्षेत्र का सबसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है। इस तरह से बतौर सीएम भी निशंक का कार्यकाल उत्तराखंड के लिहाज से खास माना जाता है। और वर्तमान परिस्थिति के हिसाब से कांग्रेस में चुनाव अभियान की कमान संभाल रहे पूर्व सीएम हरीश रावत को निशंक हरिद्वार से चुनाव में हरा चुके हैं। ऐसे में हरीश रावत को टक्कर देने के लिए निशंक को घोषणा पत्र की जिम्मेदारी सौंपना हाईकमान का बड़ा दांव माना जा रहा है।

दृष्टि पत्र होगा घोषणा पत्र
बुधवार को यमुना कॉलोनी स्थित आवास में घोषणा पत्र समिति की बैठक हुई। निशंक ने समिति के अन्य सदस्यों सांसद नरेश बसंल, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल और विशन सिंह चुफाल के साथ घोषणा पत्र को लेकर चर्चा की। इस दौरान सहमति बनी कि घोषणा पत्र समिति के सदस्य सभी सांगठनिक जिलों में जाकर प्रमुख मुद्दों का फीडबैक लेंगे। साथ ही सभी जिलों में भी घोषणा पत्र समितियां बनाई जाएंगी। निशंक ने युवाओं, महिलाओं, किसानों, व्यापारियों, उद्यमियों को फोकस में रखकर घोषणा पत्र बनाने की बात कही। जिससे घोषणा पत्र दृष्टि पत्र की तरह होगा।

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English summary
Former CM Nishank's entry in the political field before the election, know why Nishank is special in the politics of Uttarakhand
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