चार धाम यात्रा के लिए SOP जारी, इस बार ना लगेगा टीका और ना बंटेगा प्रसाद
देहरादून, 04 मई। 14 मई से शुरू होने जा रही चार धाम यात्रा के लिए राज्य सरकार ने एसओपी जारी कर दी है, जिसका पालन करना हर किसी को बहुत जरूरी है।
यात्रा के लिए निम्नलिखित हैं दिशा-निर्दश
- बढ़ते कोरोना मरीजों को देखते हुए इस बार आमजन यात्रा नहीं कर पाएंगे।
- इस बार मंदिर में ना तो प्रसाद बंटेगा और ना ही टीका लगाया जाएगा।
- मंदिर के गर्भगृह में भी केवल वो ही लोग जा पाएंगे, जो कि मंदिर परिसर से जुड़े हुए हैं।
- दर्शन और पूजा के दौरान किसी भी धार्मिक ग्रंथ, घंटी, मूर्ति या पूजा के सामान को हाथ लगाने की अनुमति किसी को नहीं दी गई हैं।
- पुजारीगण और मंदिरों से जुड़े लोगों को ही यात्रा की परमिशन है।
- यात्रा करने सभी लोगों को RT-PCR की निगेटिव रिपोर्ट लाना जरूरी है।
- सभी को यात्रा के दौरान मास्क लगाना, सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना बहुत जरूरी है।
- हर किसी को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना बहुत जरूरी है।
- चारों धामों के कपाट रोजाना सुबह सात से शाम सात बजे तक ही खोले जाएंगे।
- प्रवेश द्वार पर एल्कोहल युक्त सेनेटाइजर का इस्तेमाल किया जाएगा।
- सभी की थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी।
- जूते-चप्पलों को भी अपेक्षित स्थान पर ही रखना होगा।
- अगर लाइन में लगने की स्थिति है तो सभी लोगों को एक-दूसरे से 6 फीट की दूरी बनाकर रखनी होगी।
- देवस्थान को लगातार सेनेटाइजर करने की जरूरत है।
इन तारीखों को खुलेंगे चार धामों के कपाट
मालूम हो कि यमुनोत्री के कपाट 14 मई को, गंगोत्री के कपाट 15 मई को , केदारनाथ के कपाट 17 मई को और बद्रीनाथ धाम के कपाट 18 मई को खुलने वाले हैं। आपको बता दें कि वैसे तो बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम भारत के प्रमुख चार धाम हैं, जिनके दर्शन के लिए हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु जाते हैं लेकिन बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को छोटा चार धाम कहा जाता है।
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चारों धाम हैं आस्था के मानक
बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड के चमोली जनपद में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है और केदारनाथ का शिव लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। जबकि गंगोत्री गंगा नदी का उद्गम स्थान माना जाता है तो वहीं यमुनोत्री उत्तरकाशी में मां यमुना का मंदिर है। यहां हर वर्ष लाखों की संख्या में दर्शन करने आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन चारों धामों के दर्शन मात्र से ही इंसान के सारे कष्टों का अंत हो जाता है, ये चारों स्थान आस्था के मानक हैं।