जानिए, सीएम की कुर्सी पक्की करने के बाद धामी के सामने क्या हैं 5 बड़ी चुनौतियां
उपचुनाव जीते धामी, 5 साल का कार्यकाल पूरा करने की चुनौती
देहरादून, 4 जून। खटीमा में मिली हार के बाद सीएम की ताजपोशी होने के बाद अब चंपावत में ऐतिहासिक जीत के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी कुर्सी पक्की कर ली है। इसके साथ ही अब धामी की धमक और चमक बढ़ने का दावा किया जा रहा है। इसके साथ ही अब धामी की फ्री हिट बैटिंग करने को लेकर भी सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। इस बीच धामी के सामने अब कई ऐसी चुनौतियां भी हैं। जिनको पार करने के लिए धामी को अपने कुशल नेतृत्व का परिचय भी देना होगा। जिससे उनकी कुर्सी 5 साल तक पूरी पक्की रह सके। ऐसे में धामी को जहां सरकार और संगठन के बीच सामजंस्य बैठाने का बड़ा चेलेंज सामने है, वहीं कार्यकर्ताओं को भी पूरा सम्मान दिलाने की चुनौती है। इसके साथ ही यूनिफॉर्म सिविल कोड को जल्द से जल्द लागू करने के साथ ही आगामी निकाय और लोकसभा चुनाव में बेहतर परफोर्मेंस देकर खुद को साबित करने की भी चुनौती होगी।
यूनिफॉर्म सिविल कोड
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने का ऐलान किया। इसके बाद चंपावत उपचुनाव से ठीक पहले ड्राफ्टिंग कमेटी बनाकर एक कदम ओर आगे बढ़ा दिया। लेकिन अब इसे लागू करवाना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। जानकारों की मानें तो बिना केन्द्र सरकार के सहयोग से ये सब इतना आसान नहीं है। इसके साथ ही धार्मिक सद्भावना को देखते हुए कुछ धर्म से जुड़े से लोगों ने इसका विरोध भी शुरू कर दिया है। ऐसे में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू कर धामी इतिहास बनाएंगे इस पर सबकी निगाहें रहेंगी। हालांकि ड्राफ्टिंग कमेटी बनाने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बन गया है। अगर राज्य सरकार इसे लागू करवा पाई तो ये दूसरा राज्य बन जाएगा।
निकाय चुनाव में जीत दिलाना
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए पहली अग्नि परीक्षा निकाय चुनाव होंगे। जिनके लिए अब एक साल का समय रह गया है। 2018 में हुए निकाय चुनावों में 7 में से 5 सीटों पर भाजपा के मेयर चुनाव जीते जबकि 2 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा था। लेकिन इस बार धामी के सामने क्लीन स्वीप का मौका होगा। ऐसे में निकाय चुनाव तक धामी को अपने कार्यों से जनता का मन जीतना होगा।
मिशन 2024 लोकसभा चुनाव
पुष्कर सिंह धामी के लिए सबसे बड़ी चुनौती मिशन 2024 का लोकसभा चुनाव है। वर्तमान में पांचों सीट पर भाजपा का कब्जा है। 2024 में भाजपा को ये प्रदर्शन कायम रखना होगा। जिससे केन्द्र में मोदी सरकार फिर से काबिज हो पाए। ऐसे में धामी को 2 साल में अपने शासन का बेस्ट परफोर्मेंस देकर मोदी के विजन पर काम करते हुए जीत के लिए पूरा जोर लगाना होगा।
दायित्वों का बंटवारा, संगठन के साथ समन्वय
सीएम धामी के मुख्यमंत्री की कुर्सी पक्की करने के बाद अब सबसे पहले उन सभी कार्यकर्ताओं का सम्मान करना होगा। जिन्होंने पिछले लंबे समय से पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं की तरह मेहनत कर लगातार सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई है। हालांकि ऐसे कार्यकर्ताओं और विधायकों की लिस्ट कई सैकड़ों में जा सकती है। लेकिन पहली बार में सरकार कम से कम 100 कार्यकर्ताओं और कुछ विधायकों को अहम दायित्व देकर सम्मान दे सकती है। इसके अलावा धामी के सामने सरकार और संगठन के बीच समन्वय बनाना भी अहम चुनौती साबित हो सकती है। इससे पूर्व जब भी किसी सीएम की कुर्सी गई तो उसके लिए सरकार और समन्वय के बीच बेहतर तालमेल न होने को ही कारण माना गया। ऐसे में धामी ये गलती नहीं दोहराना चाहेंगे।
कैबिनेट के खाली पद भरना
धामी सरकार 2 के कार्यकाल में अब तक सीएम समेत 9 कैबिनेट मंत्री बनाए गए है। ऐसे में अभी भी 3 मंत्री पद की कुर्सी खाली है। पहले कार्यकाल से 3 चेहरों को कैबिनेट में जगह नहीं मिल पाई जो कि चुनाव जीतकर आने के बाद भी विधायक ही बनकर रह गए। इनमें बंशीधर भगत, अरविंद पांडेय, विशन सिंह चुफाल का नाम शामिल है। जिनकी मंत्रिमंडल की शपथ ग्रहण के बाद से ही नाराजगी की खबरें भी सामने आ चुकी हैं। अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने करीब दो दर्जन से ज्यादा दिग्गजों में से 3 चेहरों को तलाश कर मंत्री पद की कुर्सी पर काबिज कराने की चुनौती है।