मौत की छत के नीचे पढ़ रहे मासूम बच्चे, पीएम के काशी की ये कैसी स्मार्ट क्लास
वाराणसी। पीएम के शहर काशी के पहड़िया इलाके के प्राथमिक कन्या विद्यालय में बच्चे मौत के साये में पढ़ने को मजबूर हैं। यहां नर्सरी से लेकर क्लास 5 तक के बच्चों का सरकारी स्कूल है पर उसकी छत को बनाने का काम चल रहा है और नीचे सेंट्रिंग के मोटी मोटी लोहे के चादरों और बीम लगा बनाने का काम मजदूर कर रहे हैं और उसे सहारा देने के लिए लगाए गए बांस और बल्लियों के बीच बैठ कर छोटे बच्चे अपनी टीचर के साथ क्लास कर रहे हैं। यानी यदि किसी कारण एक भी बल्ली खिसक जाए तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है और बच्चों के अलावा टीचर के साथ कोई भी अप्रिय घटना घट सकती है।
भविष्य
बनाने
आये
बच्चों
में
मन
छत
गिरने
का
डर
वहीं
इस
पूरे
मामले
पर
छात्रों
ने
बताया
कि
इस
तरीके
से
क्लास
करने
में
डर
लगता
है।
पहले
तो
हम
घर
ही
नहीं
आते
थे
लेकिन
घर
वाले
जबदस्ती
स्कूल
भेजते
हैं।
स्कूल
की
टीचर
लक्ष्मी
चौबे
कहती
है
कि
कई
बार
शिकायत
के
बाद
भी
बेसिक
शिक्षा
अधिकारी
और
ABSA
नहीं
सुनते
और
अब
तो
फोन
भी
नहीं
उठाते।
मसलन
साफ
है
कि
भविष्य
तराशने
आये
इस
बच्चों
के
साथ
इस
माहौल
में
क्या
अधिकारियों
को
किसी
बड़े
हादसे
का
इंतज़ार
है।
मुख्यालय में 5 किलोमीटर पर चलता है ये जानलेवा स्कूल
पहड़िया चौराहे से रमरेपुर मार्ग पर चंद कदमों की दूरी पर स्थित इस प्राथमिक पाठशाला में कक्षा पांच तक के बच्चों की पढ़ाई होती है। छतों के जर्जर होने के चलते नया छत ढाला जा रहा है। जिसके चलते सेंट्रिंग की गई है। दर्जनों की सख्ंया में बास-बल्ली से छत को टिकाया गया है। जिसे वीडियो में स्पष्ट देखा जा सकता है। इसी सेंट्रिंग के बीच में बेंच डाल कर छोटे-छोटे बच्चों को बैठा कर पढ़ाया जा रहा है। हैरत कि बात यह है कि उसी में टीचर भी बैठी हैं। छोटे बच्चे शरारतन आपस में भिड़ते रहते हैं ऐसे में अगर बच्चे या बच्चों से टकरा कर कोई बल्ली खिसक जाए और छत आ गिरे तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।
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