यूपी उपचुनाव के EXIT POll: मल्हनी, बांगरमऊ और घाटमपुर के परिणाम देंगे ज्यादा ख़ुशी
लखनऊ। बिहार विधान सभा चुनाव के साथ यूपी की 7 विधानसभा सीटों के उपचुनाव पर भी एग्जिट पोल हुआ। बिहार में तो उलट-पलट दिख रहा है लेकिन यूपी एग्जिट पोल योगी सरकार के पक्ष में दिख रहा। उपचुनाव वाली 7 सीटों में 6 बीजेपी के पास थी और एग्जिट पोल बीजेपी के पक्ष में 5-6 सीटों की भविष्यवाणी कर रहे हैं। यह अपेक्षा के अनुरूप है। यूपी में सुनामी तो तब आती जब सभी 7 या कम से कम 5 सीटें विपक्ष की झोली में चली जातीं। सपा-बसपा के बीच राज्यसभा चुनाव को लेकर हुए संग्राम के बाद इसकी उम्मीद कम है। बीजेपी की खाते में 1-2 कम बेसी हो सकता। फिर बीजेपी को क्या खुश होना चाहिए?
यूपी जैसे बड़े राज्य में 7 सीटों पर उपचुनाव के नतीजों को किसी सरकार की सफलता या विफलता का पैमाना नहीं माना जा सकता। लेकिन यूपी के एग्जिट पोल में भारतीय जनता पार्टी के लिए खुश होने का कारण है वोट प्रतिशत। बीजेपी और उसके प्रमुख प्रतिद्वन्द्वी सपा के बीच करीब 10 प्रतिशत मतों का अंतर इस एग्जिट पोल में दिख रहा। इसके अनुसार भाजपा को 37 प्रतिशत तथा समाजवादी पार्टी को 27 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है। जबकि बहुजन समाज पार्टी को 20 फीसदी और छह सीट पर लड़ी कांग्रेस को आठ फीसदी वोट मिले सकते हैं। चुनावों में दस प्रतिशत का अंतर बड़ा अंतर माना जाता है।
बीजेपी के लिए खुश होने का एक और कारण हो सकता है। बीजेपी अगर मल्हनी सीट सपा से झटक लेती है और घाटमपुर में लगातार दूसरी बार जीत हासिल करती है तो यह बीजेपी के रिपोर्ट कार्ड में डिसटिंकशन मार्क की तरह होगा। पोल सर्वे यूपी में वोट प्रतिशत के इतने बड़े अंतर के मद्देनजर अगर बीजेपी सभी सात सीट जीत ले तो आश्चर्य नहीं। उपचुनावों में हमेशा आम चुनावों की अपेक्षा कम वोट पड़ते हैं। इस बार भी ऐसा ही हुआ। अगर सात सीटों के वोट प्रतिशत पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा 57.60 प्रतिशत वोट नवगांव सादात में पड़े। यहाँ करीब एक तिहाई मुस्लिम मतदाता हैं। इसके बावजूद बीजेपी की संगीता चौहान की स्थिति बेहतर नजर आ रही। कारण यह कि इस मुस्लिम बहुल सीट पर सपा और बसपा दोनों के मुस्लिम प्रत्याशियों में वोट बंटेगा। दूसरा कारण है संगीता चौहान को दिवंगत पति चेतन चौहान की सहानुभूति में मिलने वाले वोट। इस लिहाज से बीजेपी की संगीता चुहान के पक्ष में परिणाम आने की पूरी सम्भावना है।
जौनपुर की मल्हनी सीट सपा का मजबूत किला माना जाता है। उपचुनाव वाली यही एकमात्र सीट है जो सपा के पास थी। अगर बीजेपी इस सपा से चीन यह सीट छीन लेती है तो यह बड़ी उपलब्धि होगी। नौगाँव के बाद इस बार सबसे ज्यादा 55.60 फीसदी वोट मल्हनी में ही पड़े हैं। लेकिन ओबीसी बहुल इस सीट पर इस बार भी लगता है सपा के लकी यादव लकी सबित होंगे। हालांकि बीजेपी मनोज सिंह ने भी गैर यादव ओबीसी मतदाताओं और वोट-कटवा वाले तीसरे कोण धनंजय सिंह के चलते उम्मीद लगा रखी है।
तीसरा कांटे का मुकाबला उन्नाव की बांगरमऊ सीट पर है। यहाँ उपचुनाव में करीब 49.50 प्रतिशत वोट ही पड़े। माखी कांड और उसमें कुलदीप सेंगर को सजा मिलने के बाद यहाँ का मतदाता बहुत उत्साहित नहीं दिखा। यहाँ असली मुकाबला भाजपा के श्रीकांत कटियार और सपा के सुरेश पाल के बीच है लेकिन मतदान के ठीक पहले कांग्रेस की पूर्व सांसद अनु टंडन के सपा में आ जाने से सुरेश पाल नतीजा पलट दें तो आश्चर्य नहीं होगा।
बुलंदशहर में भी सहानुभूति वोट और मायावती की सपा पर चोट के कारण बीजेपी की राह आसन होती दिख रही। इसी तरह समाजवादी पार्टी की सीटें एक के बजाय दो हो सकती हैं। सर्वे में बसपा और कांग्रेस तीसरी और चौथी पायदान पर आपस में संघर्ष करती नजर आ रही हैं। इनका खाता खुलने की सम्भावना कम ही है।
टूण्डला सुरक्षित और देवरिया सीटों पर उलटफेर की सम्भावना कम ही है।
-टूंडला विधानसभा सीट पर भाजपा के प्रेमपाल सिंह धनगर की जीत की सम्भावना है।
-नौगंवा सादात विधानसभा सीट पर भाजपा की संगीता चौहान जीत सकती हैं।
-मल्हनी विधानसभा सीट पर सपा के लकी यादव लकी सबित हो सकते।
-बांगरमऊ विधानसभा सीट पर भाजपा के श्रीकांत कटियार और सपा से सुरेश पाल में कड़ी टक्कर लगती।
-घाटमपुर विधानसभा सीट पर भाजपा के उपेंद्रनाथ पासवान
जीत सकते।
-बुलंदशहर सीट पर भाजपा की उषा सिरोही के जितने की सम्भावना।
-देवरिया सीट पर भाजपा से डॉ. सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी और सपा के ब्रह्माशंकर त्रिपाठी में कड़ा मुकाबला है।
परिणाम कुछ भी हो इसका असर प्रदेश में होने वाले स्नातक, शिक्षक एमएलसी तथा पंचायत चुनाव पर भी पड़ेगा। अगर भाजपा जीतती है तो संदेश ये जाएगा कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का काम बोलता है। अगर नतीजा उल्टा हुआ तो विपक्ष बोलेगा।