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यूपी विधानसभा चुनाव 2017- क्या कैराना पलायन निर्णायक साबित होगा?

उत्तर प्रदेश में चुनाव की घोषणा हो चुकी है, प्रदेश में कैराना का मुद्दा काफी चर्चा में रहा, लेकिन जिस तरह से एक बार फिर से यह चर्चा में है यह गेम चेंजर साबित हो सकता है।

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों का ऐलान हो चुका है, ऐसे में प्रदेश में वह सारे मुद्दे एक बार फिर से उठेंगे जिनके चलते प्रदेश की सियासत में जमकर हंगामा मचा था। इन्ही मुद्दों में से एक है कि पिछले वर्ष कैराना में तमाम लोगों का पलायन। इस पलायन की तुलना 1990 में कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पलायन से की गई थी, ऐसे में यह देखना इस चुनवों में काफी अहम होगा कि क्या यह मुद्दा अहम साहित होगा या नहीं। भाजपा नेता हुकुम सिंह ने 350 हिंदू परिवार की लिस्ट जारी करते हुए कहा था कि कैराना में मुस्लिम गैंग ने हिंदुओं को पलायन करने के लिए मजबूर किया था। कैराना पलायन का मुद्दा पहली बार जून 2016 में उठा था, जिसके चलते प्रदेश के साथ देश की राजनीति में यह मुद्दा काफी गर्म था। हालांकि जिला प्रशासन ने किसी भी तरह के पलायन से इनकार करते हुए कहा था कि यह छोटे से कस्बे की एक दिक्कत है। यहां की कुछ आपराधिक घटनाओं के चलते इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई, लेकिन यहां सबसे अहम बात यह है कि क्या यह मुद्दा यूपी के चुनाव में अहम साबित होगा।

यूपी विधानसभा चुनाव 2017- क्या कैराना पलायन निर्णायक साबित होगा?
कैराना में 80 फीसदी मुसलमान कैराना की कुल आबादी 89300 है, जिसमें 80 फीसदी मुस्लिम आबादी है। हालांकि यहां दोनों समुदायों में समरसता है, लेकिन सवाल यह उठता है कि जो गैंग यहां चल रहे हैं उसपर काबू क्यों नहीं किया जा रहा है। मुकीमा काला और फुरकान की गैंग के खौफ के चलते लोग यहां से पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। मुजफ्फरनगर की तरह कैराना में सांप्रदायिक हिंसा तो नहीं हुई लेकिन यहां की हिंदू आबादी में पिछड़ी जाति के गुज्जर समुदाय की अधिकता है। यहां से भाजपा के हुकुम सिंह ने विधानसभा चुनाव जीता था और वह लगातार चार बार से यहां चुनाव जीत रहे हैं, उन्होंने भी किसी भी तरह की सांप्रदायिक हिस्सा की बात नहीं कही है। कैराना में उप चुनाव में मुनव्वर हसन का बेटा नाहिद हसन जीता था। सांप्रदायिक माहौल खराब हो सकता है माना जा रहा है कि यहां के चुनावों को देखते हुए इस इलाके को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई।
यूपी विधानसभा चुनाव 2017- काफी कुछ दांव पर है इस चुनाव में
मुजफ्फरनगर की ही तरह कैराना को भी अहम सांप्रदायिक मुद्दा बनाया गया, लेकिन बावजूद इसके यहां दोनों ही समुदाय के बीच मधुर संबंध बने रहे। लेकिन बावजूद इसके कैराना के मुद्दे के जरिए प्रदेश में वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश हो सकती है। हुकुम सिंह ने एक बार फिर से इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि दो मुस्लिम गैंग हिंदुओं में भय का माहौल बना रहे हैं, जबकि पुलिस का कहना है कि इन दोनों गैंग का मुख्य काम फिरौती का रैकेट चलाना है। यूपी के चुनाव में शांति बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। प्रदेश में एक भी सांप्रदायिक घटना माहौल को खराब कर सकती है और यह तमाम सियासी दलों के लिए बड़ा गेम चेंजर साबित हो सकती है।

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English summary
Kairana, the small Uttar Pradesh town was in the news in July last year for alleged mass exodus of Hindu families. But the way this issues has been raised once again can be a game changer.
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