पृथ्वीराज चौहान के लिए दिवाली के दिन इन 10 गांवों में मनाते हैं मातम
मिर्जापुर। प्रकाश पर्व दीपावली की हर तरफ धूम है। शहर से लेकर गांवों में घरों की साफ सफाई करके दीपावली पर महालक्ष्मी के आगवानी की तैयारी हो चुकी है पर मिर्जापुर जिले के राजगढ़ ब्लाक के करीब दस गांव ऐसे है जहां रहने वाले चौहान बिरादरी के लोग प्रकाश पर्व को मातम के रूप में मना रहे हैं। दरअसल चौहान बिरादरी के लोग पृथ्वीराज चौहान को अपना वंशज मानते है। उनका कहना है कि दीपावली के दिन ही पृथ्वीराज चौहान की हत्या हुई थी इसलिए वह त्योहार नहीं मनाते है।
दीपावली के दिन ही हुई थी मौत
बुजुर्ग राजगृही सिंह चौहान और गोरखनाथ सिंह चौहान बताते है कि पृथ्वीराज चौहान ने विदेशी आक्रांता मोहम्मद गोरी को सोलह बार युद्ध में परास्त किए थे। सत्रहवीं बार के युद्ध में पृथ्वीराज पराजित हुए। दीपावली के दिन ही पृथ्वीराज चौहान ने कवि के इशारे पर अंधा होने के बाद भी तीर से मोहम्मद गोरी को मार गिराया और स्वयं भी शहीद हो गए। पृथ्वीराज चौहान का वंशज होने से चौहान बिरादरी के लोग दीपावली नहीं मनाते है।
इन गांवो के घरो में नहीं जलता है दीपक
राजगढ़ ब्लाक के अटारी, मटिहानी, विशुनपुर, सरसो ग्राम, नौडिहा, लालपुर, सक्तेसगढ़, भेड़ी, समदवा, घुस्करी, बड़ागांव और तेन्दुआ कला गांव में दस हजार से अधिक की आबादी चौहान बिरादरी की है। ऐसे में इन गांवों में दीपावली के दिन वीरानी छायी रहती है। द्रोपदी, पुष्पा, राजेन्द्र, चंद्रमा, श्रीपति आदि का कहना है कि वे देव दीपावली (कार्तिक पूर्णिमा)के दिन दीपावली मनाते है। इस दिन घरों में दीप जलाते है और खुशियां मनाते है।
बिहार से आकर गांवों में बसे है चौहान
राजगढ़ ब्लाक के दस से अधिक गांवों में रह रहे चौहान बिरादरी के लोग मूल रूप से बिहार प्रांत के आरा, सासाराम, भोजपुर, गया और धनबाद जिले के रहने वाले है। वर्ष 1952 से वह इन गांवों में रह रहे है। अब इनकी आबादी दस हजार के करीब है।
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