PICs: टीचर्स- डे स्पेशल- 3 साल पहले जेब खर्च से शुरू किया था ये नेक काम...
नोएडा में गरीब और अनपढ़ बच्चों को पढ़ने के लिए अब करीब 50 लोगों की टीम के साथ ये काम शुरू किया गया है। जिसमें सबसे अहम बात ये है कि इन कूड़ा उठाने वाले बच्चों को पढ़ाने वाले सभी सदस्य खुद स्टूडेंट हैं।
वाराणसी। 3 साल पहले अपने 3 दोस्तों के साथ शुरू की गई मुहिम रंग ला रही है। जी हां हम बात कर रहे हैं ऐसे तीन दोस्तों की जिन्होंने एक दिन ये संकल्प लिया की बचपन में जिन बच्चों के कंधों पर स्कूल के किताब और कांपी भरे हुए बैग होना चाहिए उनके कंधों पर शहर के कूड़ों का बोझ लदा हुआ है। फिर तीनों ने संकल्प किया की वो अपनी जेब खर्च से दलित, मुसहर बस्ती में जाकर क्लास रूम उन्हीं के बीच लगाएगे और उन्हें पढ़ाएंगे।
शुरुआत में इनसे पढ़ने के लिए महज 3 बच्चे ही आते थे पर आज करीब 400 बच्चों के कई बैच इनकी संस्था टीटीएफ फाउंडेशन के माध्यम से पढ़ रहे हैं और जो स्कूलों में पढ़ना चाहते हैं संस्था उनका दाखिला भी अच्छे स्कूलों में करती है। जहां जाने के बाद बच्चे अपना भविष्य संवारने की तैयारी कर रहे हैं। कुछ ऐसे ही बताते हैं यजत जिन्होंने आज बनारस के आलावा भदोही, मऊ, लखनऊ और नोएडा में गरीब और अनपढ़ बच्चों को पढ़ने के लिए अब करीब 50 लोगों की टीम के साथ ये काम शुरू किया गया है। जिसमें सबसे अहम बात ये है कि इन कूड़ा उठाने वाले बच्चों को पढ़ाने वाले सभी सदस्य खुद स्टूडेंट हैं।
10 रुपए महीने के कलेक्शन के फंड पर पूरी की जाती है इन बच्चों की जरूरतें
यजत द्विवेदी ने OneIndia को बताया कि आज के समय में जब हमने TTF यानि Try To Fight की शुरुआत की तो हमने जेब खर्च के पैसे से इन अनपढ़ बच्चों के बस्तियों में जाकर इन्हें पढ़ना शुरू किया और धीरे-धीरे बच्चे भी बढ़ते गए। पढ़ाने वाले हमारे साथियों में वैभव मिश्रा, अंकित श्रीवास्तव और रंजीत रंजन ने सबसे अहम् भूमिका निभाई और आज भी अपने जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते आ रहे हैं। ये तीनो ऐसे हैं जो आज मुझसे कहीं ज्यादा मेहनत कर इन बच्चों की बस्तियों में जाकर यहां के माहौल में उनके परिवार के लोगों को समझना और पढ़ाई के लिए बच्चों को अपने पास बुलाना और पढ़ने का काम करते हैं।
जब हमने पूछा की आखिर कैसे आज इन बच्चों की पढ़ाई में खर्च होने वाले पैसे की व्यवस्था करते हैं तो यजत ने बताया की हम इन संस्था से जुड़े हुए हैं और अपनी पॉकेट मनी के पैसे से 10 रुपए हर महीने कलेक्ट कर इन बच्चों की किताबें, कांपिया, बैग, पेंसिल, रबर और अन्य चीजे लेकर देते हैं क्योंकि ये वो बच्चे हैं जो गरीबी के उस परिदृश्य में अपना जीवन व्यतीत करते हैं जिससे इनका परिवार इनकी पढ़ाई का बोझ नहीं उठा पता। इसी लिए हम सभी मिलकर इन बच्चों को पढ़ते हैं और बच्चों के पैरेंट्स भी पढ़ाई में अपनी रुचि रखते हैं।
6 दिन पढ़ाई और 7 वें दिन चलती है एक्टिविटी क्लास, नहीं लेते कोई सरकारी मदद
माखन लाल चतुर्वेदी कॉलेज में मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई करने वाले यजत बताते हैं की वो मूल रूप से भदोही के रहने वाले हैं और नोएडा में शहरों का कूड़ा उठाने वाले और गंदगी साफ करने वाले बच्चों को वो खुद पढ़ाते हैं। इनके साथ बनारस काशी विद्यापीठ के कई स्टूडेंट हैं जो 3 साल पहले एक अच्छी पहल की शुरुआत में उनके साथ आए थे और कदम मिलकर चलते आ रहे हैं। यजत ने बताया की इस वक्त 50 लोगों की टीमें अलग-अलग बस्तियों में जाकर पढ़ते हैं जिसमें 6 दिन पढ़ाई होती है और एक दिन एक्टिविटी क्लास चलाई जाती है। इस दिन योगा, डांस, म्यूजिक, कंप्यूटर जैसी जानकारियां भी इन बच्चों को दी जाती हैं और इसके लिए कोई सरकारी मदद भी नहीं ली जाती।
Read more: PICs: पति ने पीटा तो प्रेमी ने चुप कराया, बस हो गया प्यार...