Yellow Fungus के लक्षण क्या हैं ? इसके बारे में सबकुछ जानिए
गाजियाबाद, 24 मई: कोरोना की दूसरी लहर में पहले ब्लैक फंगस ने पूरे देश में कोहराम मचाना शुरू किया, फिर व्हाइट फंगस भी खलबली मचाने लगा। इन दोनों से निपटने की कोशिशें अभी चल ही रही हैं कि दिल्ली से सटे गाजियाबाद में येलो फंगस का पहला मामला सामने आ गया है। सोमवार को गाजियाबाद में एक शख्स में यह बीमारी पाई गई है, जिसे ब्लैक और व्हाइट फंगस के मुकाबले कहीं ज्यादा खतरनाक और जानलेवा कहा जा रहा है। उस व्यक्ति का इलाज गाजियाबाद के एक स्थानीय ईएनटी सर्जन के अस्पताल में चल रहा है। बता दें कि इस समय देश एंटी-फंगल दवा एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन की भारी किल्लत झेल रहा है, ऐसे वक्त में इस नई बीमारी के सामने आने के बाद आम लोगों से लेकर सरकार तक की चिंता और बढ़ा दी है।
येलो फंगस के लक्षण क्या हैं ?
येलो फंगस या म्यूकोरसेप्टिकस के लक्षणों में आलस्य, भूख की कमी या बिल्कुल ही भूख न लगना और वजन कम होना शामिल हैं। लेकिन, ये सब इस बीमारी के हल्के लक्षणों में शामिल हैं। ज्यादा गंभीर केस होने पर घावों से मवाद निकलना और घावों के ठीक होने में बहुत समय लगना, कुपोषण, अंगों का नाकाम होना और नेक्रोसिस (टिश्यू के गलने) की वजह से अंत में आंखों का धंस जाना जैसे लक्षण दिखाई पड़ सकते हैं। येलो फंगस एक जानलेवा बीमारी मानी जा रही है, क्योंकि यह अंदर ही अंदर गंभीर शक्ल अख्तियार कर लेती है और लक्षणों पर फौरन गौर करके इलाज नहीं शुरू किया गया तो बात बिगड़ने का खतरा रहता है।
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येलो फंगस का क्या कारण है ?
येलो फंगस इंफेक्शन का मुख्य कारण खराब हाइजीन (गंदगी) है। अपने घर और आसपास की सफाई बहुत जरूरी है और जितना संभव है स्वच्छता बनाए रखना आवश्यक है। दूषित चीजों, गंदगी और पुराने खाद्य पदार्थों को जितनी जल्दी हो उसे हटाने की कोशिश करें। इससे बैक्टीरिया और फंगस की वृद्धि रोकने में मदद मिलती है। बैक्टीरिया और फंगस की वृद्धि रोकने के लिए घरों के अंदर की नमी पर ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि ज्यादा नमी वाली जगहों में बैक्टीरिया और फंगस को पनपने में सहायता मिलती है। घरों में नमी का सही स्तर 30% से 40% है। गौरतलब है कि नमी की कमी से निपटना ज्यादा आसान है, लेकिन ज्यादा नमी नुकसानदेह साबित हो सकता है।
येलो फंगस से किनको खतरा है ?
हालांकि, अभी तक यह जानकारी नहीं है कि येलो फंगस से किनको ज्यादा खतरा है। लेकिन कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि जिन लोगों का इम्यून कमजोर है, उन्हें इसके संभावित लक्षणों को लेकर अलर्ट रहने की ज्यादा जरूरत है और लक्षण नजर आने पर फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जिन लोगों को डायबिटीज, कैंसर या दूसरी कोई गंभीर बीमारी है, उन्हें ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है और इसके लक्षणों को बिल्कुल ही नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
येलो फंगस का क्या इलाज है ?
येलो फंगस के रोगियों के इलाज में भी एंटी-फंगल दवा एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन ही लगाई जाती है। यह एक ब्रॉड-स्पेक्ट्रम एंटी-फंगल मेडिसीन है, जो ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस के उपचार में भी सहायक है। गौरतलब है कि इस वक्त देश में इस जान बचाने वाली दवा की भी भारी किल्लत हो गई है। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने सोमवार को बताया है कि देश के 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस के अबतक 5,424 केस सामने आए हैं। उन्होंने बताया कि '5,424 केस में से 4,556 मरीजों को कोविड-19 का इंफेक्शन हुआ था। 55% मरीजों को डायबिटीज थी।' (तस्वीरें सांकेतिक)