IIT में टूटी अंग्रेजों की परंपरा, छात्रों ने कुर्ता-पैजामा पहनकर ली डिग्री
आईआईटी कानपुर का आज 50वां दीक्षांत समारोह था। खास बता यह कि इस साल छात्रों ने ब्रिटिश काल से चली आ रही गाउन पहनकर डिग्री लेने की परंपरा को तोड़ते हुए कुर्ता-पैजामा पहनकर डिग्री ली।
कानपुर आईआईटी ने आज आजादी के बाद से चली आ रही अंग्रेजी परम्परा को छोड़कर भारतीय परम्परा में अपने दीक्षांत समारोह का आगाज कर दिया। यहा आज पहली बार काले गाउन को छोड़कर ठेठ देशी अंदाज में कुर्ता पैजामा और भगवा गमछे में छात्र छात्राओं को उनकी बीटेक एमटेक पीएचडी समेत अन्य डिग्रियां दी जा रही है।
कानपुर आईआईटी के 50वां दीक्षांत समारोह में मैकेनिकल इंजीनियरिंग से बीटेक सांसत पटनायक को प्रेजिडेंट गोल्ड मैडल से नवाजा गया। सात अन्य छात्रों को भी गोल्ड मैडल दिए गए इसके अलावा 1754 आईआइटियन्स को डिग्री दी गई। इसमें स्नातक के 809 और परास्नातक के 945 छात्र है। सभी छात्र कुर्ता पायजामा और भगवा गमछे को पहन कर डिग्री लेंगे। इस समारोह के मुख्य अतिथि टाटा संस के चेयरमैन नटराजन चंद्रशेखरन थे। इस बार रिकॉर्ड 160 छात्रों को पीएचडी की डिग्री दी जाएगी जो कि आईआईटी कानपुर के इतिहास में पहली बार होगा। यह समारोह शुक्रवार, 16 जून तक चलेगा।
आईआईटी कानपुर से डिग्री धारक छात्र छात्राओं ने आईआईटी प्रशासन द्वारा ड्रेस कोड पूछे जाने पर वोटिंग द्वारा भारतीय परम्परा के परिधान कुर्ते पायजामे और गमछे को वरीयता दी। छात्र-छात्राओं का कहना है कि देश के इस सर्वोच्च इंजीनियरिंग संस्थान में भारतीय संस्कृति अपनी पहचान खोती जा रही थी इसलिए इस परिधान को वरीयता दी गई और आईआईटी कानपुर प्रशासन ने भी इस पर मुहर लगा दी।