जिनकी आंखें नहीं, उनको दुनिया 'देखने' लायक बना रहा वाराणसी का स्कूल
इस स्कूल में स्टूडेंट्स एक सॉफ्टवेयर की मदद से कंप्यूटर पर लिखना-पढ़ना सीख रहे हैं और अपने भविष्य को संवारने की कोशिश में लगे हैं।
वाराणसी।
दो
आंखों
से
हम
दुनिया
देखते
हैं।
आंखें
हैं
तो
हमारी
जिंदगी
में
रोशनी
है
और
आंखें
नहीं
तो
जिंदगी
में
अंधेरा
ही
अंधेरा।
आंखें
न
होने
की
कल्पना
करके
भी
हम
सहम
जाते
हैं।
कभी
न
कभी
हमारे
मन
में
यह
सवाल
उठता
है
कि
जिनकी
आंखें
नहीं
हैं,
वे
अपने
जीवन
के
अंधेरे
से
कैसे
लड़ते
होंगे?
नेत्रहीन
दिव्यांगों
की
जिंदगी
में
रोशनी
लाने
और
उनको
अंधेरे
से
लड़ने
का
हौसला
देने
की
एक
कोशिश
वाराणसी
में
हो
रही
है।
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स्कूल में कंप्यूटर सीख रहे नेत्रविहीन विद्यार्थी
यहां एक अंध विद्यालय है जहां इन दिव्यांगों को कंप्यूटर की शिक्षा दी जाती है ताकि वे नए युग की नई तकनीकों का उपयोग कर अपनी जिंदगी संवार सकें और आत्मनिर्भर होने के सपने को पूरा कर सकें। वाराणसी के अंध विद्यालय में कंप्यूटर सीख रहे ये नेत्रविहीन काफी उत्साहित हैं और उनका मानना है कि यह भविष्य में उनके बहुत काम आएगा। उन्होंने कहा कि कंप्यूटर चलाना बहुत अच्छा लगता है।
सॉफ्यटवेयर की मदद से चलाते हैं कंप्यूटर
ये नेत्रविहीन एक खास सॉफ्टवेयर की मदद से कंप्यूटर पर काम करते हैं। खासतौर पर नेत्रविहीनों के लिए इस सॉफ्टवेयर को बनाया गया है। यह सॉफ्टवेयर आवाज के जरिए दिव्यांगों को कंप्यूटर चलाने में मदद करता है। इस अंध विद्यालय में सबसे पहले दिव्यांगों को की-बोर्ड के सभी बटनों के बारे में जानकारी दी जाती है। उसके बाद उन्हें ASDF से JKL वाले बटन पे उंगलियों को रखकर टाइपिंग की प्रैक्टिस कराई जाती है।
कंप्यूटर पर करते हैं पढ़ाई, करते हैं फाइल एडिट
अंध विद्यालय में बच्चों को कंप्यूटर पर ब्रेल लिपि, टॉकिंग सॉफ्टवेयर के माध्यम से सिखाई जाती है। टॉकिंग सॉफ्टवेयर के माध्यम से वे अपनी टेक्स्ट बुक पढ़ सकते हैं। कंप्यूटर पर टेक्स्ट फाइल को एडिट कर सकते हैं। इस विद्यालय में कंप्यूटर टीचर सुनील श्रीवास्तव ने बताया कि टॉकिंग सॉफ्टवेयर से सुनकर ये बच्चे कंप्यूटर पर अपने काम करते हैं।
टॉकिंग सॉफ्टवेयर बना वरदान