आजमगढ़-रामपुर में हार को लेकर सपा करेगी मंथन, जानिए अखिलेश ने क्यों उठाया ये कदम
लखनऊ, 30 जून: उत्तर प्रदेश में सम्पन्न हुए लोकसभा उपचुनाव के नतीजों ने समाजवादी पार्टी की नींद हराम कर दी है। सपा के गढ़ आजमगढ़ और रामपुर में जिस तरह से पार्टी की हार हुई उसे नेता पचा नहीं पा रहे हैं। इस हार को पार्टी की कमजोरी कहें या अखिलेश यादव में नेतृत्व की कमी। हालांकि सपा ने अभी से इस मुद्दे को लेकर अखिलेश यादव का बचाव शुरू कर दिया है। लेकिन उनकी आलोचनाएं भी हो रही हैं। इन सारी उथल पुथल के बीच अखिलेश ने अब दोनों सीटों पर पार्टी की हार की समीक्षा करने का फैसला किया है। इसको लेकर दोनों संसदीय सीटों की रिपोर्ट वहां के जिलाध्यक्षों से तलब की गई है। रिपोर्ट आने के बाद इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।
अखिलेश ने रामपुर-आजमगढ़ के जिलाध्यक्षों से तलब की रिपोर्ट
रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में हार के बाद आलोचनाओं से घिरे अखिलेश यादव ने अब दोनों जिलों के जिलाध्यक्षों से रिपोर्ट तलब की है। रिपोर्ट आने के बाद ही अखिलेश आगे कोई कदम उठाएंगें। दरअसल इन दोनों जिलों को सपा का गढ़ कहा जाता था लेकिन बीजेपी ने अपनी सधी हुई रणनीति के दम पर वहां भी सेंधमारी करने में कामयाब हो गई है। अब सपा को ये डर सता रहा है कि बीजेपी अब केंद्रीय और राज्य की योजनाओं के दम पर वहां का विकास कराकर आगे भी अपनी सीट पक्की करना चाहेगी। जिससे इन दोनों जिलों में सपा को वापसी करने में काफी मेहनत करनी होगी।
रिपोर्ट आने के बाद हार के कारणों की पार्टी करेगी समीक्षा
सपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दोनों जिलों की रिपोर्ट तलब की है। खासतौर से आजमगढ़ के जिलाध्यक्ष हवलदार यादव को खासतौर पर निर्देश दिया गया है कि वह अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष को सौंपें। पार्टी ये जानना चाहती है कि तीन महीने पहले ही आजमगढ़ की सभी पांच विधाानसभा सीटों पर सपा को जीत हासिल हुई थी। तीन महीने के भीतर ही ऐसा क्या हो गया कि वहां से पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया और बीजेपी कब्जा करने में सफल रही। इस मामले की रिपोर्ट का इंतजार सभी को है।
स्थानीय नेताओं में गुटबाजी को लेकर भी पार्टी की
सपा के नेताओं की माने तो आजमगढ़ और रामपुर में पार्टी की हार की कई वजहें हैं। लेकिन बात सिर्फ अखिलेश यादव के प्रचार न करने की हो रही है। बेशक अखिलेश यादव को इन दोनों जिलों में प्रचार के लिए जाना चाहिए था लेकिन पार्टी की रणनीति के तहत वो प्रचार करने नहीं गए। लेकिन यह भी देखना होगा कि इन दोनों जिलों में स्थानीय नेताओं की भूमिका पूरे चुनाव में क्या रही है। क्या स्थानीय नेताओं ने प्रत्याशियों का सहयोग किया या फिर आधे अधूरे मन से ही प्रचार किया जिसका खामियाजा सपा को भुगतना पड़ा।
आजमगढ़-रामपुर की हार को पचा नहीं पा रही सपा
यूपी में आजमगढ़ और रामपुर में 23 जून को मतदान हुआ था और 26 जून को नतीजे आए थे जिसमें दोनों जगहों पर बीजेपी ने जीत हासिल कर ली। रामपुर में जहां आजम की नहीं चली वहीं दूसरी ओर आजमगढ़ में अखिलेश यादव का प्रचार तंत्र बिखर गया जिससे समाजवादी पार्टी की हार हो गई। हालांकि दोनों जगहों पर हुई हार को सपा के नेता अभी भी नहीं पचा पा रहे हैं। सपा के नेताओं की माने तो इन दोनों सीटों पर बीजेपी की जीत ने सपा के 2024 की तैयारियों पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। यदि ऐसी ही तैयारियां रहीं और नेताओं के बीच गुटबाजी चलती रही तो 2024 में सपा को कितनी सफलता मिलेगी।