उत्तर प्रदेश न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

UP में गैर यादव OBC वोट बैंक पर SP-BJP की नजर, निषाद पार्टी को भाजपा ने साधा तो अखिलेश ने मारा नहले पे दहला

Google Oneindia News

लखनऊ, 25 सितंबर: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उत्तर प्रदेश में अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन के लिए तैयार है, भाजपा के यूपी चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को कहा। भाजपा ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए ओबीसी-आधारित अपना दल (सोनेलाल) और निषाद पार्टी के साथ समझौते पर मुहर लगा दी है। हालांकि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी इस गैर यादव वोट बैं पर पूरी तरह से नजर लगाए हुए हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकाता है कि पिछले दिनों उन्होंने बसपा से अलग हो चुके सुखदेव राजभर से उनके घर जाकर मुलाकात की थी। शुक्रवार को बसपा के दो दिग्गजों लालजी लालजी वर्मा और राम अचल राजभर ने अखिलेश से मुलाकात की थी। मतलब साफ है कि एक तरफ जहां बीजेपी छोटे छोटे दलों को अपने पाले में करने की कवायद में जुटे हैं वहीं दूसरी ओर अखिलेश भी लगातार नहले पे दहला मार रहे हैं।

मुख्य चुनाव प्रभारी ने दिए और दलों के साथ आने के संकेत

मुख्य चुनाव प्रभारी ने दिए और दलों के साथ आने के संकेत

केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के यूपी के मुख्य चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने यह स्पष्ट नहीं किया कि भाजपा अभी भी किन अन्य "छोटी पार्टियों" को लुभा रही है, लेकिन उन्होंने पर्याप्त संकेत दिए कि अधिक गठबंधन बनाने के प्रयास जारी हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्होंने "सामाजिक समावेश" के रूप में वर्णित किया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, "हमारा राज्य नेतृत्व कई (छोटे दलों) के संपर्क में है और जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, हम आपको बताएंगे।" दरअसल, 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में, भाजपा ने 150 गैर-यादव ओबीसी को मैदान में उतारा था और इस बार भी, पार्टी के नेता मानते हैं कि खाका वही होने वाला है।

गैर यादव ओबीसी को साधने की कवायद

गैर यादव ओबीसी को साधने की कवायद

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी और एसपी दोनों ही ओबीसी में एक बड़ा हिस्सा हासिल करने की होड़ में हैं। एक अनुभवी पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कुमार पंकज ने कहा, "फिलहाल ऐसा प्रतीत होता है कि ओबीसी को लुभाने की दौड़ में दो पार्टियां बीजेपी और एसपी हैं क्योंकि ये दो राजनीतिक खिलाड़ी हैं, जो अन्य पार्टियों के नेताओं के सबसे ज्यादा आने वाले हैं। आने वाले दिनों में गैर यादव ओबीसी को अपने पाले में करने की कसरत और तेज होगी।"

अखिलेश ने निषाद समुदाय के नेता की प्रतिमा का किया था अनावरण

अखिलेश ने निषाद समुदाय के नेता की प्रतिमा का किया था अनावरण

एक तरफ जहां निषाद पार्टी अब आधिकारिक तौर पर भाजपा के साथ है, वहीं सपा ने भी मछुआरों और नाविकों वाले नदी समुदाय को जीतने के प्रयास तेज कर दिए हैं। जुलाई में सपा प्रमुख ने उन्नाव के सरोसी गांव में निषाद समुदाय के नेता मनोहर लाल की प्रतिमा का अनावरण किया था। सपा नेताओं ने यह भी कहा है कि वे मल्लाह (निषाद) समुदाय से ताल्लुक रखने वाली पूर्व डाकू से नेता बनीं दिवंगत फूलन देवी की प्रतिमा भी लगाएंगे। सपा ने भोजपुरी अदाकारा काजल निषाद को भी अगस्त में पार्टी में शामिल कराया था।

छोटे दलों पर डोरे डाल रहे सपा और बीजेपी

छोटे दलों पर डोरे डाल रहे सपा और बीजेपी

बिहार की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), ज्ञानेंद्र निषाद के नेतृत्व वाली मोर्चा और फूलन देवी के पति उमेद सिंह द्वारा संचालित एकलव्य सेना पर भी बीजेपी और सपा दोनों दल डोरे डालने में जुटे हैं। हालांकि धर्मेंद्र प्रधान का भाजपा के अधिक छोटे दलों के लिए खुले होने के अगल मायने निकाले जा रहे हैं। गैर यादव ओबीसी समाज को अपने पाले में लाने की छटपटाहट का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक तरफ जहां बीजेपी संजय निषाद के साथ गठबंधन का ऐलान कर रही थी वहीं दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दो पुराने दिग्गज लालजी वर्मा और राम अचल राजभर पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात कर रहे थे। ये दोनों ओबीसी नेता माने जाते हैं।

 अक्टूबर में सपा में शामिल हो सकते हैं लालजी और रामअचल

अक्टूबर में सपा में शामिल हो सकते हैं लालजी और रामअचल

सपा के सूत्रों की माने तो लालजी वर्मा और रामचल राजभर अक्टूबर में सपा में शामिल हो सकते हैं। इस महीने की शुरुआत में, सीतापुर से पहली बार भाजपा के विधायक राकेश राठौर ने भी इसी तरह अखिलेश यादव से मुलाकात की थी, जो यह दर्शाता है कि भाजपा की तरह, सपा भी ओबीसी गठबंधन को बुनने की कोशिश कर रही थी, जो आसानी से यूपी में प्रमुख राजनीतिक जाति समूह था। बीजेपी के विधायक राकेश राठौर भी ओबीसी नेता हैं।

अन्य छोटे दलों के साथ भी है अखिलेश का गठबंधन

अन्य छोटे दलों के साथ भी है अखिलेश का गठबंधन

सपा को पहले से ही महान दल का समर्थन प्राप्त है, जो शाक्य, सैनी, मौर्य और कुशवाहा समुदायों के साथ-साथ संजय सिंह चौहान की जनवादी सोशलिस्ट पार्टी के बीच प्रभाव का दावा करता है, जिसमें बड़े पैमाने पर बिंद और कश्यप समुदायों के सदस्य शामिल हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा पूर्व सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के संपर्क में है, जिसे राजभरों का समर्थन प्राप्त है, एक ओबीसी समूह जो रणनीतिक रूप से पूर्वी यूपी के कई विधानसभा क्षेत्रों में फैला हुआ है, एक भाजपा नेता ने कहा कि पार्टी "सबको साथ लेकर चलने" का प्रयास करेंगे।

छोटे दलों का गठबंधन बनाने में जुटे हैं ओम प्रकाश राजभर

छोटे दलों का गठबंधन बनाने में जुटे हैं ओम प्रकाश राजभर

2019 के लोकसभा चुनावों के बाद जब उनकी पार्टी भाजपा से अलग हो गई, तो एसबीएसपी प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने आठ छोटे दलों के गठबंधन, भागीदारी संकल्प मोर्चा की स्थापना की। ये पार्टियां हैं एसबीएसपी, जन अधिकार पार्टी, अपना दल (के), भारतीय वंचित समाज पार्टी, भारतीय मानव समाज पार्टी, जनता क्रांति पार्टी (आर), राष्ट्रीय भागीदारी पार्टी (पी) और राष्ट्र उदय पार्टी। इनमें बिंद, गडरिया, कुम्हार, धीवर, कश्यप, पटेल जैसे विभिन्न ओबीसी समूहों के सदस्य शामिल हैं और सरकार में पर्याप्त 'हिस्सादारी' (प्रतिनिधित्व) की मांग कर रहे हैं। अगस्त में, ओपी राजभर की यूपी भाजपा प्रमुख स्वतंत्र देव के साथ बैठक ने पूर्व सहयोगी के भाजपा में लौटने की चर्चा शुरू कर दी थी। बैठक की व्यवस्था यूपी बीजेपी के उपाध्यक्ष दया शंकर सिंह ने की थी, जिन्होंने दावा किया था कि दोनों पार्टियां 2022 के यूपी चुनाव एक साथ लड़ेंगी।

English summary
SP's eye on non-Yadav OBC voters in UP, Akhilesh ready to make a dent in BJP's vote bank,
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X