'हनुमान को दलित' बताकर घिरे योगी आदित्यनाथ, शंकराचार्य बोले- सीएम ने पाप किया
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इलाहाबाद। राजस्थान विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह से हनुमान को दलित बताया, उसको लेकर हंगामा बढ़ता जा रहा है। सोशल मीडिया पर भी लोगों की कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। वहीं, इस टिप्पणी पर कई हिंदू सगठनों ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पीठाधीश्वर शारदा द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने पाप किया है।
सनातन संस्कृति में 'दलित' शब्द का नहीं है उल्लेख
ज्योतिष एवं द्वारिका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने 'दलित' शब्द के प्रयोग पर बेहद कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि दलित शब्द की उत्पत्ति तो मायावती ने की है। ऐसे में हनुमान को इस शब्द से संबोधित करना गलत है। हनुमान ने रूद्र का रूप छोड़कर वानर रूप धारण किया था। हमारी संस्कृति में देवताओं और वानरों की कोई जाति नहीं होती है। हमारी सनातन संस्कृति में दलित शब्द का उल्लेख तक नहीं है। दलित शब्द तो राजनीति की देन है।
आखिर योगी आदित्यनाथ ने क्या कहा था...
बता दें कि राजस्थान के अलवर जिले के मालाखेड़ा में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा था, "भगवान हनुमान एक ऐसे लोक देवता हैं जो अब स्वयं वनवासी हैं, गिरवासी हैं, दलित हैं, वचिंत हैं। पूरे भारतीय समाज को उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक सबको जोड़ने का काम बजरंगबली करते हैं। इसलिए बजरंग बली का संकल्प होना चाहिए।"
शंकराचार्य ने जमकर किया कटाक्ष
इलाहाबाद के मनकामेश्वर मंदिर में भगवान शिव का दर्शन करने के उपरांत शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने मीडिया से वार्ता की। उन्होंने सीएम योगी के बयान पर जमकर कटाक्ष किया। कहा कि सीएम योगी इतने बड़े मठ के महंत हैं, क्या वह हनुमान चालीसा नहीं पढ़ते जो हनुमान को दलित बता रहे हैं। शंकराचार्य ने हनुमान चालीसा की चौपाई पढ़ते हुए कहा की 'हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै, कांधे मूंज जनेऊ साजै' अगर यह चौपाई भी सीएम योगी को कंठस्थ होती तो हनुमान को दलित ना बताते। शंकराचार्य ने कहा की वह समझते थे कि योगी बड़े मठ के महंत हैं, उन्हें देवी-देवताओं के बारे में अच्छा ज्ञान होगा, लेकिन उनके बयान को सुनकर अब ऐसा नहीं लगता।