चबूतरे पर ही हो जाएगा इलाज, बस ग्लूकोज की बोतल पकड़ने वाला हो कोई!
डॉक्टर और अन्य स्टाफ कांवड मार्ग पर ड्यूटी दे रहे हैं और अस्पताल डॉक्टरों से खाली सा नजर आ रहा है।
सहारनपुर। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की दशा और दिशा सुधारने के दावे करते हों, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का प्रयास किया जा रहा हों लेकिन इसे डॉक्टरों की लापरवाही कहें या फिर सुविधाओं का अभाव कि सहारनपुर के सरकारी अस्पताल में एक मरीज को इमरजेंसी वॉर्ड के बाहर एक पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर ग्लूकोज की बोतल लगा दी गई। मरीज का तीमारदार ग्लूकोज की बोतल को हाथ में पकड़कर बैठा रहा। सरकारी अस्पताल के चबूतरे पर मरीज को उपचार किया जाना यहां चर्चा का विषय बना हुआ है।
बताया जाता है कि कांवड यात्रा शुरू होने के बाद जिला अस्पताल के अधिकांश डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टॉफ की ड्यूटी कांवड यात्रियों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने में लगा दी गई है, जिसके चलते डॉक्टर और अन्य स्टाफ कांवड मार्ग पर ड्यूटी दे रहे हैं और अस्पताल डॉक्टरों से खाली सा नजर आ रहा है। थाना देहात कोतवाली के गांव चकहरेटी निवासी मीनू पत्नी सुदेश को देर रात पेट में दर्द की शिकायत हुई थी, जिस पर परिजन उसे उपचार के लिए सरकारी अस्पताल में लेकर पहुंचे थे।
रात में इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टरों ने उसे दवा देकर भेज दिया लेकिन सुबह फिर से उसकी हालत बिगड़ गई और परिजन उसे फिर से सरकारी अस्पताल लेकर आ गए। बताया जाता है कि इमरजेंसी वॉर्ड के सभी बैड फुल होने के चलते मीनू को वॉर्ड के बाहर एक पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर लेटा दिया गया और ग्लूकोज चढ़ा दी गई।
ग्लूकोज की बोतल लेकर मीनू के पति सुदेश घंटों बैठे रहे। जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ. सत्य सिंह ने बताया कि अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण कई बार बैड कम पड़ जाते हैं। ट्रॉमा सेंटर में रिजर्व बैड के जरिए रोगियों को उपचार दिया जाता है। चबूतरे पर इलाज नहीं दिया गया होगा। मामले की जांच कराई जा रही है और संबंधित डॉक्टर को तबल किया जा रहा है।
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