शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने की देश में हरे रंग के झंडे लहराने की मुखालफत, बवाल
सहारनपुर। एक के बाद एक बयान देकर नया विवाद खड़ा करने वाले शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने देश में हरे रंग के झंडों पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने बाकायदा इस सम्बंध में सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की है। इस मामले में उलेमा ने इसे असल मुददों से ध्यान भटकाने वाला शिगूफा बताते हुए कहा कि इस्लाम की नजर में सभी रंग बराबर हैं और किसी खास रंग की कोई एहमियत नहीं है।
शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका में कहा है कि हरे रंग का झंडा पड़ोसी देश पाकिस्तान का है, इसलिए इस रंग के झंडे पर हिंदुस्तान में रोक होनी चाहिए। रिजवी के इस नए शिगूफे पर उलेमा ने दो टूक कहा कि रिजवी जैसे लोग देश के जरूरी मुद्दों से ध्यान हटाने का काम कर रहे हैं। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष मौलाना हसीब सिद्दीकी ने कहा कि इस्लाम मजहब में सभी रंग बराबर हैं और किसी रंग की कोई अहमियत नहीं है। रही बात हरे रंग की तो हमारे देश के प्यारे झंडे में भी हरा रंग रंग है और देश ही की कई सियासी पार्टियों के झंडे में भी हरा रंग मौजूद है, तो क्या वह सब पाकिस्तान के समर्थक हैं।
मौलाना ने कहा कि मुसलमानों में हरे रंग का इस्तेमाल इसलिए ज्यादा होता है क्योंकि रोजा-ए-अकदस (हजरत पैगंबर मोहम्मद की कब्र) के ऊपर बने गुबंद का रंग हरा है। उन्होंने कहा कि रिजवी जैसे लोग सिर्फ इस्तेमाल किए जाने वाले मोहरें है और वह खुद को बचाने के लिए जानबूझ कर इस्तेमाल हो रहे हैं। मुफ्ती अथर कासमी ने कहा कि हरा रंग अल्लाह के नबी मोहम्मद साहब को पसंद था। इसलिए इस रंग से मुसलमानों को मोहब्बत है। कहा कि रिजवी जैसे लोगों से बड़ी साजिश के तहत इस तरह के बयान दिलाए जा रहे हैं ताकि देश के असल मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाया जा सके।
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