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Rampur Sadar By Election: जानिए आज़म का क़िला ध्वस्त करने के लिए कैसे काम कर रही थी BJP

सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां के गढ़ को तोड़ने के लिए बीजेपी पिछले कई सालों से काम कर रही थी लेकिन असली मौका तब मिला जब 2017 में योगी की अगुवाई में यूपी में बीजेपी की सरकार बन गई। आजम को हर तरह से तोड़ने का काम किया गया।

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अखिलेश

Rampur Sadar Vidhansabha By Election: उत्तर प्रदेश में रामपुर सदर विधानसभा सीट (Rampur Sadar Assembly Seat ) पर उपचुनाव समाप्त हो गया है। रामपुर सदर में बीजेपी ने पहली बार जीत दर्ज की है। कहा जा रहा है कि आजादी के बाद ऐसा पहला मौका आया है जब यहां से कोई हिन्दु विधायक बना है। हालांकि इस सीट पर पिछले दस बार से आजम की साइकिल दौड़ रही थी लेकिन यूपी में जैसे ही सत्ता का समीकरण बदला और योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार बनी उसके बाद से ही आजम के दुर्दिन शुरू हो गए थे। बीजेपी की सरकार ने इस किले को ध्वस्त करने के लिए आजम को आर्थिक-सामाजिक और राजनीतिक तौर पर इस कदर चोट पहुंचाई की पहले बीजेपी रामपुर लोकसभा का उपचुनाव जीती फिर सदर सीट पर भगवा लहराने का कारनामा कर दिखाया। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो यह सब एक दिन या एक महीने में नहीं हुआ है बल्कि बीजेपी रणनीतिक तरीके से आजम को कमजोर करने में जुटी हुई थी।

रामपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी ने दी शिकस्त

रामपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी ने दी शिकस्त

रामपुर के बादशाह कहे जाने वाले आजम खां को पहला झटका उस समय लगा जब बीजेपी ने बड़े ही रणनीतिक तरीके से रामपुर लोकसभा की सीट आजम के परिवार से छीन ली। आजम यहां से सांसद थे लेकिन विधानसभा चुनाव लड़ने की वजह से उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था। आजम के इस्तीफे के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ जिसमें बीजेपी ने आजम के करीबी नेता को हराकर पहली बार इस सीट पर भगवा लहराने का कारनामा कर दिखाया। रामपुर लोकसभा सीट बीजेपी के लिए हर मायने में काफी अहम थी और एक बार यहां जीत का खाता खुलने के बाद बीजेपी और उत्साहित हो गई थी।

आजम को आर्थिक चोट पहुंचाकर कमेजार करने की कोशिश

आजम को आर्थिक चोट पहुंचाकर कमेजार करने की कोशिश

बीजेपी ने आजम को आर्थिक चोट पहुंचाकर भी कमजोर करने की कोशिश की। जिस तरीके से आजम के जौहर विश्वविद्यालय को सरकार ने निशाने पर रखा उससे आजम को काफी धक्का लगा। जौहर विश्वविद्यालय को लेकर मामला अदालत में चल रहा है लेकिन इस मुद्दे ने आजम की नींव को हिलाकर रख दिया था। जौहर विश्वविद्यालय आजम का एक सपना था जिसे उन्होंने सपा की सरकार के दौरान किसी तरह से पूरा करने का काम किया था। लेकिन सरकार पलटते ही भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के पन्ने खुलते चले गए जिससे आजम पर सरकार को हमला करने का मौका मिल गया।

80 से ज्यादा मुकदमों में सरकार ने आजम को उलझाया

80 से ज्यादा मुकदमों में सरकार ने आजम को उलझाया

सरकार ने आजम को हमेशा ही मुकदमों में उलझाए रखा। यूपी में जब 2017 में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में बीजेपी की सरकार बनी तब से आजम का दुर्दिन शुरू हुआ जो अब तक कायम है। आजम के खिलाफ 80 से ज्यादा मुकदमे दर्ज किए गए। आजम ही नहीं उनके बेटे और परिवार के खिलाफ भी मुकदमे दर्ज किए गए। फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के मामले में उनके बेटे अब्दुल्ला आजम की विधायकी चली गई। मुकदमों का आलम यह था कि आजम के खिलाफ बकरी चुराने तक का मामला दर्ज किया गया था। कई मामलों में हालांकि आजम को राहत मिल चुकी है लेकिन इन मुकदमों ने आजम के लिए मुश्किलें जरूर पैदा की।

27 महीने की जेल यात्रा से कमजोर हुए आजम खां

27 महीने की जेल यात्रा से कमजोर हुए आजम खां

सपा के कद्दावर नेता आजम खां उपुचनाव से ठीक पहले ही 27 महीने की जेल के बाद बाहर निकले थे। आजम जब ढाई साल बाद बाहर निकले तब तक राजनीति का पानी काफी बह गया था। रामपुर में आजम के लिए सबकुछ बदल गया था। दो साल के बाद बाहर निकले आजम ने फिर अपने लोगों को एकत्रित करना शुरू किया। लेकिन तब तक आजम के लिए काफी देर हो चुकी थी। उनके कई अपने उनके साथ छोड़ चुके थे। दो साल जेल में रहने का खामियाजा आजम को रामपुर लोकसभा सीट गवांकर चुकानी पड़ी थी। इन दो सालों में आजम के खिलाफ सरकार के हमले लगातार जारी रहे जिससे उन्हें संभलने का मौका नहीं मिला।

आजम खां के करीबीयों को बीजेपी ने तोड़ा

आजम खां के करीबीयों को बीजेपी ने तोड़ा

आजम के खिलाफ बीजेपी ने कई तरह का अभियान चला रखा था। एक तरफ जहां आजम के कई करीबी बीजेपी में शामिल हो रहे थे वहीं दूसरी ओर बीजेपी पसमांदा मुसलमानों के बीच अभियान चलाने में जुटी थी। बीजेपी इस समुदाय को साधकर मुसलमानों में पैठ बनाना चाह रही थी। लखनऊ से लेकर रामपुर तक पसमांदा समाज को लेकर कई बड़े कार्यक्रम आयोजित किए गए। खासतौर से रामपुर में चुनाव से ठीक पहले मुस्लिम सम्मेलन का आयोजन किया गया था। बीजेपी के इस चौतरफा वार से आजम को राहत नहीं मिली और जेल से बाहर आने के बाद आजम ने रामपुर सदर सीट पर पूरा जोर लगाया लेकिन वो अपने उम्मीदवार को जिता नहीं पाए। हालांकि सपा के नेताओं ने सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर चुनाव जीतने का आरोप लगाया और इस सीट पर पुनर्मतदान की मांग की थी लेकिन आयोग ने इसे खारिज कर दिया।

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English summary
Rampur Sadar By Election: Know how BJP was working to demolish Azam's fort
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