16 साल की उम्र में दुल्हन बनने वाली लड़कियों के साथ क्या हुआ, वीडियो
सोलह साल की उम्र में जिन लड़कियों की शादी कर दी गई, उनका कहना है कि अब वो अपने बच्चों को साथ ऐसा नहीं होने देंगी।
वाराणसी। आज भी तमाम ऐसी कुरीतियों ने हमारे समाज को जकड़ रखा है जो एक सभ्य समाज पर कलंक हैं। उन्हीं कुरीतियों में से एक है बाल विवाह जो आज भी जारी है। सरकारी कागजों पर भले ही ये प्रथा बंद हो चुकी हो लेकिन पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में या यूं कहे कि पूरे पूर्वांचल के ज्यादातर गांवों में बाल विवाह की प्रथा आज भी चोरी छिपे जारी है। आज हम कुछ ऐसी ही लड़कियों की कहानी बताने जा रहे हैं जिनकी शादी महज सोलह साल में ही कर दी गयी।
सुनिए 16 साल की मंजू का दर्द
वाराणसी जिला मुख्यालय से महज 25 किलोमीटर दूर रमईपुर गांव की ये है, मंजू। जिसे देखने से ही लगता है कि अभी तो इसका बचपन भी खत्म नहीं हुआ है लेकिन उसे शादी की बेड़ियों में बांध दिया गया। मंजू की शादी पिछले साल जून में हुई थी और वह ससुराल से मायके लौटी है। शादी ने मंजू की सोच और बचपन सभी को खत्म कर दिया है तभी तो आज शहरों में जिस इस उम्र की लड़कियां अपने दोस्तों के साथ मस्ती करती है तो वहीं मंजू गृहस्थी का ककहरा सीख रही है। अशिक्षा और जागरूकता नहीं होने का ये आलम है कि मंजू को शादी की उम्र क्या होती है उसे पता नहीं है। उसे तो ये बताया गया है कि 18 साल में शादी हो जाती है उसके बावजूद उसकी शादी सोलह साल में कर दी गयी। मंजू अपनी लाचारी को बयां करती है और कहती है कि उसके साथ जो हुआ वो अपने बच्चों के साथ नहीं होने देगी। यही नहीं मंजू की दादी को उसकी जल्दी शादी करने में कोई गलती नजर नहीं आती है। उसकी वजह है कि इनके पास ना तो कोई शिक्षा है और न ही गांव में किसी तरह की जागरूकता है जिसके कारण उसकी जल्दी शादी कर दी। मंजू का कहना है हम लोगों में जल्दी शादी होती है ताकि लड़की और उसके परिवार को दहेज का बोझ ना झेलना पड़े।
सुनिए 16 साल में ब्याही गई खुशबू का दर्द
यही नहीं इसी गांव के दो किलोमीटर दूरी पर है जेतारा गांव। इस गांव की खुशबू की शादी तो महज सोलह साल में ही कर दी गयी। खुशबू कहती है कि शादी करना उसकी अन्य छोटी बहनों के भविष्य के लिए जरूरी था क्योंकि उसके पिता कुछ करते नहीं है और शराब पीकर घर में मारपीट करते है। सारी जिम्मेदारी दादा-दादी ही निभाते है। खुशबू कहती है कि शादी के बाद शुरुआत में बहुत परेशानी हुई लेकिन अब आदत पड़ गयी है। खुशबू भी अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर अपने पैरों पर खड़ा करना चाहती है ताकि उनको ऐसा दिन ना देखना पड़े। खुशबू की मां तो ये मानती है कि उनकी बेटी के साथ गलत हुआ लेकिन इस गलती के पीछे उनकी मजबूरी थी। खुशबू की मां बताती है कि उनकी नौ लड़कियां है और कमाने वाला कोई नहीं है गरीब की बेटी की सुरक्षा कौन करेंगा। ऐसी में शादी करना उनकी मजबूरी है। उसके बावजूद वे कहती हैं कि अपनी बाकी बेटियों की शादी समय से ही करने का प्रयास करेंगी।
बाल विवाह पर बोलीं सामाजिक कार्यकर्ता शबाना
मानवाधिकार जन निगरानी समिति की प्रोग्राम डायरेक्टर शबाना खान ने वनइंडिया को बताया कि आज भी बाल विवाह का सिलसिला चल रहा है। उनके मुताबिक उनकी संस्था पिछले कुछ सालों में वाराणसी और आसपास के जिलों में ऐसी सात सौ बाल विवाह के केस को देख रही हैं और गांवों में जागरूकता अभियान चला रही है। उन्होंने बताया कि कम उम्र में शादी करने से सबसे बड़ी समस्या ये देखने को मिल रही है। ऐसी लड़कियों को उनके पति कुछ साल बाद छोड़ देते है और लड़का-लड़की दोनो दूसरी शादी कर लेते हैं। ऐसे में जो बच्चे होते हैं, वे अनाथ हो जाते है।
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