कानपुर की हवा में घुला जहर, पूरे उत्तर भारत के ऊपर नैनो कार्बन की परत
कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर की हवा में जहर घुला हुआ है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी एअर क्वालिटी इंडेक्स यानि एक्यूआई के मुताबिक कानपुर उत्तर प्रदेश का चौथा सबसे अधिक प्रदूषित शहर है। आईआईटी, कानपुर के पर्यावरण विभाग के मुताबिक उत्तर भारत के उपर नैनो कार्बन की परत बन गयी है। दिल्ली सरकार ने अगर कूड़ा जलाने पर रोक लगायी है तो इसके उलट कानपुर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में कूड़ा खुलेआम जलाया जा रहा है। इससे निकलने वाली जहरीली गैसों से आसपास के गांव में मौत का तांडव शुरू हो गया है। हालात बद से बदतर हो रहे हैं लेकिन जिम्मेदार खामोश बैठे हैं।
कानपुर में AQI का खराब स्तर
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हर रोज एक्यूआई इंडेक्स यानि हवा की गुणवत्ता का आंकड़ा जारी कर रहा है। कमोबेश इसके पहले तीन पायदान पर दिल्ली के नजदीक वाले पश्चिमी यूपी के जिलों काबिज रहते हैं लेकिन आद्यौगिक शहर कानपुर लगातार चौथे स्थान पर बना हुआ है। इसकी वजह है यहां की हवा में सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटेरियल का 2.5 का स्तर पाया जाना। इस कारण यूपी की औद्योगिक राजधानी औसतन 370 एक्यूआई के साथ डेन्जर जोन में है। कानपुर में नाइट्रोजन ऑक्साईड का स्तर भी औसतन 97.75 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पाया गया है जो मानव शरीर के लिये खतरनाक है। शहर की हवा में आद्रता कम होने के कारण वायु प्रदूषण और भी बढ़ा है।
कूड़ा जलाने पर रोक
हलांकि कानपुर नगर निगम ने कूड़ा जलाने पर रोक लगायी हुई है लेकिन चिराग तले अन्धेरा वाली स्थिति यह है कि खुद नगर निगम द्वारा पीपीपी मॉडल के तहत चलाये जा रहे सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में कूड़ा जलता रहता है। प्लांट के आसपास के गांवों की आबोहवा में इस कदर जहर घुल गया है कि श्वास रोग होने से एक दर्जन से अधिक मौतें हो चुकी हैं।
करोड़ों का घोटाला
पिछले दशक में सॉलिड वेस्ट प्लांट की स्थापना कानपुर नगर निगम ने एटूजेड नामक एक निजी संस्था के साथ मिलकर की थी। इसका उद्देश्य कूड़े को रिसाइकिल कर इससे खाद और बिजली बनाने का था। यह संस्था नगर निगम को करोड़ों का चूना लगाकर भाग गयी। इसके बाद एक के बाद एक कई संस्थाओं को पीपीपी मॉडल के तहत प्लांट चलाने की जिम्मेदारी दी गयी।
स्कूली बच्चे पड़ रहे बीमार
प्लांट कभी भी पूरी क्षमता से नहीं चल सका और यहां कूड़े के पहाड़ खड़े हो गये। इसके बाद अक्सर यहां कूड़े के इन पहाड़ों में आग लगती रहती है और इसका जहर हवा में घुलता रहता है। हमारी टीम ने जहरीली हवा में सांस ले रहे कुछ और गांवों का दौरा किया। यहां हमने पाया कि स्कूली बच्चे भी बीमार पड़ रहे हैं।
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