किसान महापंचायत को पर्दे के पीछे से ताकत देने में जुटे सियासी दल, योगी सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की कवायद
लखनऊ, 5 सितंबर: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले तमाम सियासी दल अपनी अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने में जुट गए हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली में आयोजित किसान महापंचायत को सभी राजनीतिक दल या तो पर्दे के पीछे से या खुले तौर पर अपना समर्थन दे रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस महापंचायत को सियासी मोड़ देने में कई राजनीतिक दल जुटे हुए हैं और इस कार्यक्रम के बहाने ही विरोधी दल खाप पंचायतों और किसानों को योगी सरकार के खिलाफ एकजुट करने में जुटे हुए हैं ताकि इस आयोजन का चुनावी लाभ मिल सके।
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दरअसल, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली में 5 सितंबर को किसान महापंचायत का आयोजन किया गया है आयोजकों का दावा है इस किसान महापंचायत में देशभर के किसान संगठनों के लोग शामिल होने के लिए पहुंच रहे हैं जो मोदी सरकार की ओर से लाए गए काले कृषि कानूनों का विरोध करेंगे। लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सियासी तौर पर सरकारी राष्ट्रीय लोक दल ने खुले तौर पर इस पंचायत का समर्थन करने का ऐलान किया है जबकि आम आदमी पार्टी का दावा है कि वह तो पहले से ही किसान आंदोलन के समर्थन में हमेशा से खड़ी रही है और अभी भी किसानों के साथ ही खड़ी है।
महापंचायत
का
समर्थन
कर
रहे
कई
दल
किसान
महापंचायत
को
समर्थन
को
लेकर
राष्ट्रीय
लोक
दल
के
राष्ट्रीय
महासचिव
त्रिलोक
त्यागी
ने
कहा
कि,
''रालोद ने इस महापंचायत को समर्थन देने का फैसला किया है और अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि वह इस कार्यक्रम को सफल बनाने में जी जान से जुट जाएं। अब समय आ गया है किसान योगी और मोदी सरकार से अपना हिसाब चुकता करें और देश में किसानों के ऊपर थोपे जा रहे हैं कृषि कानूनों का विरोध करें।''
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में आयोजित किसान महापंचायत की पटकथा बहुत पहले लिखी जा चुकी थी सूत्रों का कहना है की दिल्ली सीमा के पास गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को पूरी तरह से यूपी में शिफ्ट करने के लिए टिकैत बंधुओं ने यह योजना बनाई है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत और नरेश टिकैत बहुत पहले से ही कृषि कानूनों की आड़ लेकर केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की योगी सरकार पर लगातार निशाना साधते रहे हैं।
आंदोलन
को
लेकर
बड़ा
ऐलान
कर
सकते
हैं
टिकैत
बंधु
किसान
यूनियन
से
जुड़े
सूत्रों
का
दावा
है
कि
यहां
महापंचायत
देश
की
अब
तक
की
सबसे
बड़ी
महापंचायत
है
जिसमें
500000
लोगों
के
शामिल
होने
की
संभावना
है।
हालांकि
सूत्रों
की
माने
तो
टिकैत
बंधु
इस
महापंचायत
के
जरिए
कोई
बड़ा
ऐलान
कर
सकते
हैं।
किसान
महापंचायत
में
अपनी
ताकत
दिखाने
के
बाद
किसान
आंदोलन
की
समाप्ति
की
घोषणा
भी
की
जा
सकती
है
और
किसानों
को
देशभर
के
गांव
में
जा
जाकर
इस
कृषि
कानून
की
खामियों
के
बारे
में
किसानों
को
बताने
के
लिए
रणनीति
बनाई
जाएगी।
किसान आंदोलन को समर्थन देने के मामले को लेकर आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह ने कहा कि,
'' हमारी पार्टी तो पहले से ही किसानों का समर्थन करती रही है और सिसौली में आयोजित महापंचायत को भी पार्टी का पूरा समर्थन है और आम आदमी पार्टी हमेशा किसानों के साथ खड़ी है।''
पर्दे
के
पीछे
से
सपा,
बीएसएपी
और
कांग्रेस
का
साथ
सूत्रों
का
दावा
है
इसी
सिसौली
में
चल
रहे
किसान
महापंचायत
को
यूपी
के
प्रमुख
राजनीतिक
दल
पर्दे
के
पीछे
से
अपना
सहयोग
दे
रहे
हैं।
सपा
के
एक
पदाधिकारी
ने
बताया
कि
किसान
महापंचायत
को
पार्टी
का
पूरा
समर्थन
है
और
किसानों
के
हितों
की
बात
सपा
के
राष्ट्रीय
अध्यक्ष
अखिलेश
यादव
हमेशा
करते
रहे
हैं।
पार्टी
के
कार्यकर्ताओं
से
कहा
गया
है
कि
किसान
पंचायत
में
दूर-दूर
से
आने
वाले
किसानों
की
हर
संभव
मदद
करें।
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के नेता ने कहा क्या किसानों का कार्यक्रम है और किसान मोदी सरकार के अत्याचार से त्रस्त है। किसानों की आवाज यूपी के प्रभारी और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी हमेशा उठाती रही हैं और कुछ समय पहले तो उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस कानून के खिलाफ पार्टी की तरफ से कई रैलियां भी की थी जिसमें किसानों का पूरा सहयोग मिला था। आगे भी पार्टी पूरी तरह से किसानों के साथ खड़ी रहेगी।
किसानों की महापंचायत को लेकर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि,
''योगी और मोदी सरकार हमेशा से किसानों के हितों के लिए कदम उठाती रही है। लेकिन कुछ लोग हैं जो किसानों को गुमराह करते रहते हैं। राज्य में योगी की सरकार बनने के बाद जब पहली कैबिनेट की बैठक हुई थी उसी में किसानों के कर्ज माफी को लेकर बड़ा कदम उठाया गया था। योगी सरकार कैबिनेट की पहली बैठक से लेकर आज तक हमेशा किसानों को लेकर चिंतित रही है।''