जातीय हिंसा में वांछित विनय रत्न को गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई पुलिस, सामने खड़ा देता रहा 'धमकी'
सहारनपुर। पिछले साल जनपद में हुए जातीय दंगों के बाद सुर्खियों में आई भीम आर्मी ने एक बार फिर से उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद 'रावण' पर लगाई गई रासुका हटाने की मांग को लेकर भीम आर्मी की ओर से एक वृहत स्तरीय रैली का आयोजन किया गया। रैली के माध्यम से केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार पर न केवल जमकर निशाना साधा गया, बल्कि यह भी संकेत दिए गए कि यदि जल्द ही भीम आर्मी संस्थापक पर लगाई गई रासुका नहीं हटाई गई तो दोनों सरकारों को दलितों के बड़े आंदोलन का सामना करना होगा। सभा के दौरान मंच पर जातीय हिंसा का दूसरा मुख्य आरोपी विनय रत्न भी मौजूद रहा, लेकिन बेबस पुलिस उसे गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई।
पुछले साल शब्बीरपुर में में हुई थी जातीय हिंसा
मालूम हो कि विगत 5 मई 2017 को सहारनपुर जनपद में जगह जगह जातीय हिंसा हुई थी। इस हिंसा में भीम आर्मी न केवल देश बल्कि विदेशों में भी एक ऐसा नाम बनकर उभरा था, जिससे तमाम राज्यों की सरकारों और केंद्र सरकार आश्चर्यचकित हो गई। भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण पर जातीय दंगा भड़काने का आरोप लगाते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। तभी से वह जेल में हैं और उन पर रासुका लगाई गई है।
बड़ी संख्या में मौजूद रहे लोग
रविवार की दोपहर शब्बीरपुर जातीय हिंसा के बाद जेल में बंद भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर रावण पर लगाई गई रासुका हटाने, इलाहाबाद में दलित छात्र की हत्या, कासगंज समेत कई मुद्दों को लेकर सहारनपुर के दिल्ली रोड स्थित कांशीराम आवासीय कॉलोनी मैदान में एक सभा का आयोजन किया गया था। सभा को संबोधित करते हुए भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रत्न ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद की बढ़ती लोकप्रियता को दबाने के लिए उन पर 27 फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए हैं और रासुका लगाई गई है। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी और राज्य की योगी सरकार में न केवल दलितों बल्कि अल्पसंख्यकों का जमकर उत्पीड़न किया जा रहा है, जिसे किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा। कहा कि भाजपा की गलत नीतियों के खिलाफ दलित और मुस्लिमों को मिलकर आवाज को बुलंद करना होगा, तभी जाकर इस देश में दलित और मुसलमानों को संवैधानिक अधिकार प्राप्त हो सकते हैं।
लोगों में दिखा 'रावण' का क्रेज
वेस्ट यूपी में चंद्रशेखर आजाद की पहचान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस सभा में हजारों दलित महिलाएं अपने हाथों में चंदेशखर आजाद की फोटो लेकर पहुंची थीं। यह युवा वेस्ट यूपी की दलित महिलाओं की पहली पसंद बना है। इसका कारण यह है कि चंद्रशेखर आजाद दलित महिलाओं के मान सम्मान की आवाज को बुलंद करते आए हैं। रविवार को आयोजित यह रैली करीब चार घंटे तक लगातार चली, जिसमें कासगंज मामले में निर्दोष लोगों के खिलाफ की गई कार्रवाई को वापस लेने, इलाहाबाद में दलित छात्र की हत्या के आरोपियों को जेल भेजने और भीम आर्मी संस्थापक पर लगाई गई रासुका को हटाए जाने की मांग जोर-शोर से की गई। भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष कमल वालिया, राष्ट्रीय प्रवक्ता मनजीत सिंह नौटियाल आदि समेत दलित और मुस्लिम वक्ता मौजूद रहे।
जातीय हिंसा का आरोपी और इनामी वांछित भी रहा मौजूद
भीम आर्मी की रैली को लेकर पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद रहा। दिल्ली रोड पर चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवान तैनात किए गए थे। साथ ही वरिष्ठ आला अधिकारी भी सभास्थल पर अंत तक डटे रहे। भीम आर्मी की इस रैली की भव्यता को देखते हुए पुलिस कर्मियों के अवकाश रद कर दिए गए। भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रत्न भी जातीय हिंसा के आरोपी हैं और उन पर पुलिस प्रशासन द्वारा 12 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है। विनय रत्न तभी से फरार चल रहे हैं और रविवार को पुलिस के सामने आ सके तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने की हिम्मत तक नहीं जुटा सकी।
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