VIDEO: पद्मावत विवाद के बीच जो बहुत पीछे रह गया वो है लेखक जायसी का गांव, देखें बदहाली
जायस। पद्मवात फिल्म रिलीज हो गई, देश भर में सड़कों पर फिल्म रिलीज को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। विरोध प्रदर्शन से लेकर तमाम तरह की बयान बाजियों का दौर मीडिया की सुर्खियां बनी हुई है। ये विरोध फिल्म में रानी पद्मवात के कैरेक्टर से जुड़ी स्टोरी को लेकर है। लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि फ़िल्म की स्टोरी पद्मावत नामक रचना से ली गई, जिसके लेखक महान सूफी कवि मलिक मोहम्मद जायसी हैं और यहां उनके मकान से लेकर उनके नाम पर बनी लाइब्रेरी का हाल बेहाल है, पर फ़िल्म का विरोध करने वालों को इसकी सुध नहीं आई।
एक लाख की आबादी का कोई पुरसाहाल नहीं
आपको बता दें कि महान कवि एवं सूफी संत मलिक मुहम्मद जायसी का जन्म सन 1492 के लगभग अमेठी के जायस कस्बे में हुआ था। आज इस कस्बे की आबादी क़रीब एक लाख के आसपास है, लेकिन इनका कोई पुरसाहाल नहीं। 2 किलोमीटर के इलाके में बसे इस कस्बे की घनी आबादी है, जो टीले पर रह रही है।
पार्क और स्मारक की स्थिति बद से बदतर
जायस की पब्लिक के साथ-साथ स्वयं मालिक मोहम्मद जायसी के मकान से लेकर उनके नाम पर बने शोध संस्थान की स्थित भी दयनीय है। इलाके के सीनियर रिपोर्ट शमशाद की मानें तो जिस समय राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने जीर्णोद्धार के लिए लाखों रुपये दिए, पैसे खर्च हुए लेकिन तस्वीर बदली नहीं। उनके नाम पर पार्क और स्मारक तक बने लेकिन सब की स्थित बद से बदतर है।
बदहाल है जायसी के नाम पर बना शोध संस्थान
इलाके के लोगों की माने तो तत्कालीन प्रंधानमंत्री राजीव गांधी ने लोगों की डिमांड पर बस स्टाप के पास पुस्तकालय शोध संस्थान भी बनवाया था। लेकिन आज ये बदहाली का शिकार है, गंदगियों का यहां अम्बार लगा है। इसके अंदर बने हाल तक में इंसान नहीं जानवर बैठ रहते हैं। लोगों की माने तो जिला बनने के बाद तत्कालीन डीएम जगत राज त्रिपाठी ने उनके जन्मदिन पर यहां एक कार्यक्रम आयोजित कराया वरना साल में एक दिन भी कोई नाम लेने वाला नहीं था। मामलें में बीजेपी जिलाध्यक्ष उमाशंकर पाण्डेय ने कहा कि क्षेत्र के सांसद को इसकी फिक्र ही नहीं है। हमारी पार्टी ने इलाके में बने पेट्रोलियम संस्थान को नया अयाम दिया। अब यहां नगर पंचायत से हमारा अध्यक्ष हुआ है जल्द ही हम इस इलाके की तस्वीर बदल देंगें।
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