यूपी बीटीसी का मौजूदा सत्र शून्य घोषित, नहीं मिलेगा दाखिला
प्रदेश में पहली बार डीएलएड के नाम से शुरू हुए बीटीसी कोर्स को पहले ही साल मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।
इलाहाबाद। प्रदेश में पहली बार डीएलएड के नाम से शुरू हुए बीटीसी कोर्स को पहले ही साल मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने डीएलएड (बीटीसी) पाठ्यक्रम 2016-17 का पहला शैक्षिक सत्र शून्य घोषित कर दिया है। इसके पीछे दो कारण है। पहला तो कोर्स कि लेट लतीफी यानि सत्र नियमित न होना और दूसरा 30 मई 2016 के बाद मान्यता पाने वाले डीएलएड कॉलेज।
सुप्रीम
कोर्ट
का
आदेश
नहीं
हो
रहा
था
पूरा
पहला
कारण
यह
है
कि
कोर्स
कि
शुरू
करने
में
इतना
देर
हो
गया
है
कि
पिछले
सत्र
और
मौजूदा
सत्र
में
अजीबो-गरीब
तरीके
से
एक
वर्ष
का
अंतर
आ
गया
है।
जिससे
कब
कक्षा
चलेगी।
कब
कोर्स
पूरा
होगा।
यह
तय
हो
पाना
ही
मुश्किल
है।
ऐसे
में
सत्र
के
और
लंबे
होने
की
संभावना
है।
वहीं
दूसरे
कारण
के
अनुसार
30
मई
2016
के
बाद
मान्यता
पाने
वाले
डीएलएड
कॉलेज
में
सुप्रीम
कोर्ट
के
आदेश
के
अनुसार
दाखिला
नहीं
हो
सकेगा।
ऐसे
में
विभाग
के
पास
भी
बीच
का
यही
एक
रास्ता
था
कि
सत्र
शून्य
घोषित
कर
दिया
जाये
ताकि
तिथि
व
नियमितीकरण
का
आदेश
पूरा
हो
सके।
6
लाख
अभ्यर्थियों
ने
भरा
था
फॉर्म
पर
मुख्य
सचिव
बेसिक
शिक्षा
राज
प्रताप
सिंह
द्वारा
जारी
आदेश
में
कहा
गया
है
कि
यह
उच्चतम
न्यायालय
के
दिशा
निर्देश
के
अनुसार
किया
गया
है।
बता
दे
कि
लगभग
6
लाख
अभ्यर्थियों
ने
डीएलएड
के
लिए
आवेदन
किया
है,
जिन्हे
अब
लेट
लतीफी
के
चलते
इस
सत्र
में
लाभ
नहीं
मिल
सकेगा।
उल्लेखनीय
है
कि
2015-16
सत्र
22
सितम्बर
2016
से
शुरू
हुआ
था
और
2016-17
के
लिए
पिछले
14
जून
को
ऑनलाइन
आवेदन
मांगे
गए
थे।
जुलाई
2017
से
इसकी
क्लास
शुरू
होनी
थी।
लेकिन
अब
जुलाई
माह
भी
बीतने
को
है
पर
सत्र
अधर
में
लटका
है।
अगले
सत्र
में
लगभग
दोगुनी
सीटों
पर
दाखिला
होगा
क्योंकि
नये
कालेज
से
सीटे
लगभग
2
लाख
तक
पहुंच
जायेंगी।
अभ्यर्थियों
का
एक
साल
जाएगा
बेकार
अब
इस
फैसले
से
एक
ओर
जहां
उच्चतम
न्यायालय
के
आदेश
का
अनुपालन
होगा।
वहीं
दूसरी
और
निर्धारित
समय
सारिणी
के
अनुसार
पाठ्यक्रम
का
शैक्षिक
सत्र
भी
नियमित
हो
जाएगा।
चूकि
बीटीसी
कि
जगह
जारी
हुए
डीएलएड
कोर्स
में
कुछ
बदलाव
भी
किये
गए
है
तो
ऐसे
में
वर्ष
2015-16
का
दायरा
भी
आपत्ति
दर्ज
कर
रहा
था।
क्योकि
इसका
पाठ्यक्रम
अनियमित
हो
चुका
है
पर
अब
सत्र
शून्य
होने
से
यह
समस्या
भी
हल
हो
जायेगी।
फ़िलहाल
2016-17
में
आवेदन
करने
वालों
को
शैक्षिक
सत्र
2017-18
प्रवेश
वर्ष
में
कोई
अतिरिक्त
लाभ
नहीं
होगा।
बल्कि
उन्हें
पूरी
निर्धारित
प्रक्रिया
से
ही
गुजरना
पड़ेगा।