तीन तलाक: यूपी में मुस्लिम महिलाओं का जश्न, आतिशबाजी, VIDEO
जैसे ही फैसला मुस्लिम महिलाओ के हक में आया, ये पर्दानशीं महिलाएं सड़कों पर उतरकर जश्न को मनाने से नहीं चूकी।
वाराणसी। तीन तलाक जैसे गंभीर विषय पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच का फैसला आने के बाद मुस्लिम महिलाओं के खुशी का ठिकाना नहीं हैं। दरअसल ट्रिपल तलाक में हलाला को लेकर आज भी इन महिलाओं की रूह काँप जाती थी और यही वजह है कि जैसे ही फैसला मुस्लिम महिलाओ के हक में आया, ये पर्दानशीं महिलाएं सड़कों पर उतरकर जश्न को मनाने से नहीं चूकी।
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वाराणसी में महिलाओं ने जाहिर की खुशी
वाराणसी के विशाल भारत संस्थान के मुस्लिम महिला फाउंडेशन के कार्यालय के बाहर जहां मुस्लिम महिलाओं को माला पहनने के लिए खुद पातालपुरी मठ में महंत बालकदास ने माल्यार्पण कर इन महिलाओं को सम्मानित किया तो वहीं इन महिलाओं ने आतिशबाजी कर खुशी जाहिर की और केंद्र सरकार व सुप्रीम कोर्ट जिंदाबाद के नारे भी लगाए। मुस्लिम महिला फाउंडेशन की सदस्य और ट्रिपल तलाक पीड़ित रेशमा (बदला हुआ नाम ) ने बताया कि ट्रिपल तलाक हमारे जीवन के लिए किसी नरक से कम नहीं था। ऐसे में कोर्ट ने अभी जो 6 महीने के लिए रोक लगाई है उसमें हमारे देश के प्रधानमंत्री जल्द ही इस मुद्दे पर भलाई वाला कानून लेकर आएंगे।
सहारनपुर में तीन तलाक पर छिड़ी बहस
सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक़ के मुद्दे पर मंगलवार को दिए गए फैसले के बाद मुस्लिम समाज मे एक बार फिर नई बहस छिड़ गई है। जहाँ एक ओर कुछ महिलाएं सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सन्तुष्ट है वही कुछ का कहना है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को ही तय करना चाहिए था। परवाज़ सामाजिक संस्था की डायरेक्टर व महिला हिंसा की विरोधी शाहीन परवीन का कहना है कि पिछले सैकड़ो बरसों से एक साथ तीन तलाक का मामला चला आ रहा है। तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं के लिए आवाज़ उठाना उनके हक़ में सही है लेकिन संसद में किसी भी धर्म को लेकर कानून बनाना, वो सरासर गलत है, इसमें चाहे हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई कोई भी धर्म हो। धर्म के अंदर रहकर भी महिलाओं को सम्मान और न्याय दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस मसले पर मुस्लिम धर्म गुरुओं को आगे आना चाहिए और शरीयत के मुताबिक इसका हल निकालना चाहिए। एक बार मे तीन तलाक दिए जाने को पूरी तरह गलत बताते हुए शाहीन परवीन कहती हैं कि चौदह सौ साल पहले कुछ और रहा होगा लेकिन वर्तमान समय मे महिलाएं और महिला संगठन अपने हक के लिए और महिला हिंसा के खिलाफ आगे आ रहे हैं, खुलकर बोलने लगे हैं। कहा कि धर्म की बात की जाए या फिर कानून की, दोनों में महिलाओं को बराबर का दर्जा दिया गया है। उन्होंने कहा कि आज के वक़्त में हर बात को सोशल मीडिया चंद सेकंडो में देश और दुनिया मे फैला देता है लेकिन हमें उसकी गहराई में जाना चाहिए और सच्चाई जाननी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट द्वारा कानून बनाने के लिए सरकार को 6 महीने का समय दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जो भी सरकार होगी वो अपनी मनमर्ज़ी के मुताबिक कानून बनाएगी। उन्होंने कहा कि यदि शरीयत के मुताबिक कानून नही बनाया गया तो वे इसका पुरजोर विरोध करेंगी।
एक प्राइवेट स्कूल की संचालिका खुशनसीब मिर्ज़ा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है हम उसका सम्मान करते है, लेकिन इस मुद्दे पर अगर कोर्ट खुद फैसला सुनाता तो वो ज्यादा बेहतर था। हम केंद्र सरकार से मांग करते है कि वो सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार संसद में कानून बनाये लेकिन शरीयत का पूरा ख्याल रखा जाए। यदि शरीयत को नज़र अंदाज़ कर कानून मुस्लिम समाज पर थोपा गया तो उसका विरोध किया जाएगा।
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कानपुर में मुस्लिम महिलाओं में खुशी की लहर
कानपुर में तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मुस्लिम महिलाओ ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर ख़ुशी जाहिर की। महिला काजी हिना जहीर ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि मुस्लिम महिलाओं में खुशी की लहर दौड़ गई। उन्होंने कहा कि तीन तलाक को असंवैधानिक करार देना बहुत खुशी की बात है। अंजुमन रजा ए इस्लाम डॉ मजहर अब्बास नकवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम महिलाओं की मायूसी काफूर हो गई।
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