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लक्ष्मीबाई पुरस्कार से सम्मानित मां बोली, बेटी के लिए तेंदुआ क्या यमराज से भी लड़ सकती हूं

By Rajeevkumar Singh
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बहराइच/कानपुर। बेटियों की जिंदगी बचाने के लिए बहराइच के सुजौली थाना क्षेत्र में दो माताओं ने तेंदुए से संघर्ष किया। बेटियां सुरक्षित हैं। इन माताओं को रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। गुरुवार को लखनऊ लोक भवन परिसर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोनों बहादुर माताओं को पुरस्कार प्रदान किया। वीरता के लिए सरकार की ओर से रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार योजना चलायी जा रही है। उसके तहत बहराइच के वन क्षेत्र से दो महिलाओं का चयन किया गया है।

सुनीता ने तेंदुए के जबड़े से बेटी को बचाया

सुनीता ने तेंदुए के जबड़े से बेटी को बचाया

उपजिलाधिकारी महसी डॉ. संतोष उपाध्याय ने बताया कि तेंदुए का सामना करते हुए वर्ष 2011 में राजाराम टांड़ा कारीकोट निवासी सुनीता ने अपनी 11 वर्षीय बेटी की जान बचायी थी। तेंदुए के जबड़े से उसे छुड़ाया था। इस संघर्ष में सुनीता भी जख्मी हुई थी। इलाज के बाद मां-बेटी स्वस्थ हुई थीं। उधर माह भर पूर्व इसी थाना क्षेत्र के मटेही रमपुरवा निवासी रिश्तेदारी में आई मऊ निवासी सिंधू ने अपनी 10 वर्षीय बेटी खुशबू को तेंदुए के जबड़े से बचाया था। असीम वीरता के चलते सिंधू और सुनीता का चयन रानी लक्ष्मीबाई वीरता पुरस्कार के लिए हुआ है। एसडीएम के आदेश पर सुजौली थानाध्यक्ष अफसर परवेज ने दोनों महिलाओं के घर पहुंचकर उन्हें चयन की सूचना दी। साथ ही लखनऊ के लिए रवाना किया।

यमराज से भी लड़ जाती!

यमराज से भी लड़ जाती!

राजराम टांड़ा करीकोट गांव निवासी सुनीता सफाईकर्मी के पद पर तैनात है। उसने कहा कि 16 अक्टूबर 2011 को शाम का समय था। तभी घर के बाहर तेंदुए ने बेटी लक्ष्मी पर हमला किया। उस समय वह 11 वर्ष की थी। बेटी की चीख सुनकर दौड़ी तो सामने तेंदुआ देखकर एक डंडा लेकर उससे भिड़ गई। लगभग 20 मिनट तक संघर्ष हुआ। अंत में बेटी को सकुशल बचा लिया। सुनीता ने कहा कि लक्ष्मी से छोटा एक बेटा है। घर में बेटा और बेटी को एक ही नजर से देखा जाता है। बेटी के लिए तेंदुआ क्या यमराज से भी लड़ सकती हूं।

बेटी ही है मेरी जिंदगी

बेटी ही है मेरी जिंदगी

मऊ जिले के बनकटी रामपुर जोलीघाट निवासी सिंधू पत्नी कल्पू की रिश्तेदारी सुजौली थाना क्षेत्र के मटेही रमपुरवा गांव में है। वह अपने भाई के घर बीते माह आई हुई थी। सिंधू ने बताया कि मांगलिक कार्यक्रम के चलते हंसीखुशी का माहौल था। बेटी खुशबू के साथ शाम को खेत जाने के लिए निकली। तभी तेंदुए ने आगे चल रही बेटी पर झपट्टा मारा। पास में ही पड़े गन्ने को उठाकर तेंदुए से संघर्ष किया। बेटी की जान बच गई। सिंधू ने कहा कि बेटी ही उसके व उसके परिवार की जिंदगी है।

दिव्यांगों का जीवन संवार रही मनप्रीत

दिव्यांगों का जीवन संवार रही मनप्रीत

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर की एक महिला मनप्रीत कौर ने दिव्यांग बच्चों को स्वालम्बी बनाने और सम्मानजनक स्थान दिलाने में जुटी हुई हैं। मनप्रीत का नाम पहली बार उस समय चर्चा में आया था जब उन्होने दिव्यांग युवाओं को ड्राइविंग लाइसेंस दिलाने की लड़ाई जीती थी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मनप्रीत को साहसी महिलाओं को दिये जाने वाले रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार से सम्मानित किया।

मनप्रीत कानपुर में दिव्यांग डेवलपमेंट सोसायटी नामक संस्था चलाती हैं जो खासकर बधिर बच्चों और युवाओं के लिये काम करती है। सोसायटी के अनुसार, देश में बहरों और कम सुनने वालों की आबादी लगभग सवा करोड़ है लेकिन वर्तमान शिक्षा प्रणाली उनके जीवन को सकारात्मक दिशा देने के लिये तैयार नहीं है। अपनी दिव्यांग डेवलेपमेण्ट सोसायटी की टीम के साथ मनप्रीत कौर ने बधिर बच्चों को सन्नाटे की चाहरदीवारी से बाहर निकालकर देश-दुनिया के सामने अपनी अभिव्यक्ति जाहिर करने के लिये सक्षम बना रही हैं।

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English summary
Mother saved daughter from leopard get Laxmi Bai award.
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