मोदी के गढ़ में भाजपा के लिए मुसीबत बना संन्यासी, हराने की तैयारी
वाराणसी में भाजपा प्रत्याशियों को हराने के लिए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने जंग छेड़ दिया है। उन्होंने भाजपा के खिलाफ प्रत्याशियों को उतारने का ऐलान किया है।
वाराणसी। विधानसभा चुनाव में मोदी की काशी में भाजपा के लिए मुसीबतों का दौर खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। एक तरफ जहां पार्टी अंदरूनी कलह को शांत करने के लिए तमाम प्रयास कर रही हैं वहीं सोमवार को स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द ने वाराणसी के भाजपा के दो सुरक्षित सीट पर अपने प्रत्याशी को उतारने का एलान कर दिया है। स्वामी ने भाजपा और प्रधानमंत्री के कार्य कर सवालिया निशान खड़ा करते हुए कहा कि ये पार्टी कभी भी सनातन धर्म की रक्षा नहीं कर सकती, बस दिखावा कर रही है।
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अखिल
भारतीय
रामराज्य
परिषद्
चुनौती
दे
रहा
बीते
साल
वाराणसी
के
गोदौलिया
चौराहे
पर
गणेश
प्रतिमा
को
लेकर
इस
संन्यासी
के
साथ-साथ
सैकड़ों
बटुकों
को
पुलिस
ने
बेरहमी
से
पीटा
था।
स्वामी
अविमुक्तेश्वरानन्द
ने
उस
घटना
का
बखान
करते
हुए
कहा
कि
हम
इस
चुनाव
में
'करे
जो
स्वाभिमान
पर
चोट
,
कैसे
करें
हम
उसको
वोट
'
के
नारे
के
साथ
चुनावी
मैदान
में
उतर
रहे
हैं।
प्रदेश
सरकार
के
मंत्री
इस
घटना
के
बाद
हमारा
हाल-चाल
लेने
आये
तो
कांग्रेस
के
वर्तमान
के
प्रत्याशी
इस
घटना
में
हमारे
साथ
रहे।
बस
एक
भाजपा
ही
थी
जिसे
साधु
और
सन्तों
की
कोई
चिंता
नहीं
हैं।
जिससे
हमारे
संत
समाज
ने
ये
निर्णय
लिया
हैं
कि
हम
वाराणसी
जिसे
भाजपा
का
गढ़
कहा
जाता
है
और
ये
माननीय
प्रधानमंत्री
का
संसदीय
क्षेत्र
भी
हैं,
उनके
सबसे
मजबूत
किले
शहर
दक्षिणी
और
शहर
उत्तरी
से
हम
अखिल
भारतीय
रामराज्य
परिषद
के
उम्मीदवार
को
भाजपा
और
तमाम
राजनैतिक
पार्टियों
के
खिलाफ
चुनाव
लड़ाएंगे
और
काशी
से
ही
सनातन
धर्म
की
रक्षा
की
शुरुआत
करेंगे
क्योंकि
भाजपा
सिर्फ
हिंदुत्व
की
बात
करती
हैं,
काम
कुछ
भी
नहीं
करती।
नामांकन
के
बाद
चुने
जाएंगे
प्रत्याशी
इन
विधानसभा
चुनाव
में
अखिल
भारतीय
रामराज्य
परिषद,
वाराणसी
में
नामांकन
की
तिथि
और
पर्चे
को
वैध
हो
जाने
और
चुनाव
आयोग
से
प्रत्याशी
के
कंफर्मेशन
के
बाद
निर्दल
प्रत्याशी
में
से
अपने
पार्टी
के
लिए
योग्य
प्रत्याशी
का
चुनाव
करेगी।
इस
उम्मीदवार
के
लिए
एक
बात
का
ध्यान
अवश्य
रखा
जायेगा
कि
वो
प्रत्याशी
सनातन
धर्म
को
सिर्फ
मानने
वाला
ना
हो
बल्कि
उसके
गरिमा
और
उसके
नियमों
को
पालन
करने
वाला
हो,
ऐसे
में
यदि
इस
पार्टी
ने
आगामी
चुनाव
में
अपने
परिषद
से
प्रत्याशियों
को
चुनावी
दंगल
में
उतरती
है
तो
कहीं
ना
कहीं
इसमें
भारतीय
जनता
पार्टी
का
ही
नुकसान
होने
वाला
हैं
क्योकि
मतदान
में
वर्ग
विशेष
ही
बंट
जायेंगे।
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