जब मोदी के पसंदीदा मंत्री जी को फेसबुक पर लिखना पड़ा सॉरी...
'बावजूद इसके अगर किसी की भावना को आघात लगा है तो मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं थी।'
इलाहाबाद। संचार और रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने आखिरकार इलाहाबादियों से माफी मांगी और फेसबुक पर अपने बयान को लेकर खेद जताया है। उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में विश्वख्याति प्राप्त व देश के गौरव साहित्यकार धर्मवीर भारती का हवाला देते हुए इलाहाबाद के संदर्भ में 'हरामजादा' शब्द का इस्तेमाल किया था। जिस पर सहित्यकारों की जमात और पूरे इलाहाबाद ने रेल मंत्री पर सीधा निशाना साधा और जमकर खरी खोटी सुनाई। यहां तक की धर्मवीर भारती जी की पत्नी और साहित्यकार पुष्पा भारती ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। जिसके बाद साहित्य समाज ने मनोज सिन्हा पर निशाना साधा और उनके बयान की जमकर किरकिरी होने लगी। विवाद बढ़ता देख मनोज सिन्हा भी बैकफुट पर आए और अपने ऑफिशियल फेसबुक अकाउंट पर माफी मांगते हुए बयान पर खेद जताया है।
क्या हुआ था?
दरअसल दो दिन पहले काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ था। जिसमें दो डाक टिकट जारी हुए। इसमें रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने भी शिरकत की थी। इस दौरान उन्होंने इलाहाबाद का संदर्भ देते हुए 'हरामजादा' शब्द का इस्तेमाल किया था। इस पर धर्मवीर जी की पत्नी पुष्पा भारती और इलाहाबाद के साहित्यकारों, शिक्षकों, बुद्धिजीवियों ने कड़ी आपत्ति जताते हुए उनसे माफी मांगने को कहा था। जबकि छात्रों ने तो विरोध प्रदर्शन के लिए अपना आक्रोश व्यक्त किया था। विवाद बढ़ा तो रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने इलाहाबाद व इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रेमियों और धर्मवीर भारती जी में आस्था रखने वाले सभी भाइयों, बहनों से खेद प्रकट करते हुए माफी मांगी।
क्या लिखा फेसबुक पर?
फेसबुक पर लिखे अपने पोस्ट में उन्होंने कहा, 'धर्मवीर भारती जी हिंदी साहित्य के अत्यंत तेजश्वी नक्षत्र रहे हैं और उनके लिए भी मेरे मन में अत्यंत श्रद्धा है। उनके पूरे साहित्य को समझना मेरे लिए बहुत मुश्किल है क्योंकि न मैं साहित्य का विद्यार्थी रहा हूं न ही मेरी उतनी समझ है। बावजूद इसके अगर किसी की भावना को आघात लगा है तो मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं थी।
थमा बड़ा विवाद
इस विवाद के बाद माना जा रहा था शहर में सिन्हा का भारी विरोध तो होगा ही। भाजपा के दूसरे मंत्रियों को भी साहित्यकारों की जमात और इलाहाबादियों के विरोध का सामना करना पड़ता। हालांकि सिन्हा के फेसबुक पर खेद जताने के बाद उम्मीद की जानी चाहिए कि अब इस विवाद का पटाक्षेप हो जाएगा। वैसे भी धर्मवीर जी की इस संगम नगरी में अगर गलती मान ली तो एक कप चाय या एक बीड़ा पान में मन का मैल धुल जाता है। लेकिन सवाल बड़ा है, इतने जिम्मेदार पद पर रहने वाले मंत्री इस तरह की बात करते ही क्यों हैं।
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