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Lakhimpur Kheri: क्या अपने किले को बचा पाएगी बीजेपी, जमीनी हालात और बदले चुनावी समीकरण समझिए

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लखीमपुर खीरी, 11 नवंबर: यूपी विधानसभा चुनाव में लखीमपुर खीरी हिंसा का भूत बीजेपी का पीछा नहीं छोड़ने वाला है। हाल में जिस तरह से केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे और इस मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा के खिलाफ कुछ तथ्य सामने आए हैं, उससे न सिर्फ उनकी मुसीबत बढ़ी है, बल्कि वह स्थानीय भाजपा के लिए भी गले की फांस बन चुके हैं। खासकर फॉरेंसिक रिपोर्ट का उनके खिलाफ जाने से भाजपा के लोगों का भी संदेह बढ़ गया है। इस इलाके में ब्राह्मण भाजपा के कोर वोटर माने जाते रहे हैं। लेकिन, इस घटना के बाद कई तरह के चुनावी समीकरण बदने की संभावना है। आइए देखते हैं कि केस की स्थिति क्या है, ब्राह्मण और सिख समुदाय के बीच में क्या सोच बन रही है और लोकल बीजेपी क्या समझ रही है ?

योगी के खिलाफ ब्राह्मणों की 'कथित' नाराजगी दूर हो गई ?

योगी के खिलाफ ब्राह्मणों की 'कथित' नाराजगी दूर हो गई ?

वन इंडिया ने उत्तर प्रदेश के एक पत्रकार अभय मिश्रा से बात की और उनसे जानना चाहा कि राज्य में योगी आदित्यनाथ सरकार से ब्राह्मणों की नाराजगी की जो अटलें कुछ समय पहले तक थीं, वह आज किस स्थिति में है ? क्या लखीमपुर खीरी की घटना से कुछ समीकरण बदला है? आज के दिन में यूपी के ब्राह्मण समाज की क्या सोच है? उन्होंने कहा "लखीमपुर खीरी की घटना को यूपी का आम ब्राह्मण समाज कोई जाति की भावना से नहीं देख रहा है। एक आम भावना यही है कि कानून के मुताबिक काम हो और जो भी दोषी हों उनपर कार्रवाई हो। ब्राह्मण होने न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। हो सकता है कि स्थानीय स्तर पर कुछ अलग वातावरण हो, लेकिन बाकियों में इस तरह की कोई सोच नहीं है।" यही नहीं उन्होंने यह बात भी जोड़ने की कोशिश की कि "यहां तो ब्राह्मण योगी भक्त हैं।"

लखीमपुर में सीखों की आबादी

लखीमपुर में सीखों की आबादी

अभय मिश्रा प्रयागराज क्षेत्र पर अच्छी पकड़ रखते हैं। लेकिन, क्या वहां से तकरीबन 350 किलोमीटर दूर लखीमपुर के ब्राह्मणों में भी यही भावना है ? हम इसकी भी चर्चा करेंगे। लेकिन, पहले हम लखीमपुर खीरी के अबतक के सियासी समीकरण को पढ़ने की कोशिश करते हैं। आंदोलनकारी किसान खासकर सिख भी इस इलाके में अच्छी तादाद में हैं। लखीमपुर खीरी और पीलीभीत जिले अबतक भारतीय जनता पार्टी के लिए किले साबित हुए हैं। दोनों जिलों की सभी 12 विधानसभा सीटें और तीन लोकसभा सीटों पर उसका कब्जा है। पीलीभीत में 5% सिख हैं और लखीमपुर में 3 फीसदी। लखीमपुर जिले की तीन विधानसभा सीटों पलिया, गोला और निघासन में सिखों की जनसंख्या 8% तक है। निघासन के एक सिख किसान ने न्यूज18 से कहा है, 'इसलिए पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी ने अपनी ही सरकार के खिलाफ इतनी कठोर प्रतिक्रिया दी है। उन्हें जीतने के लिए हमारा समर्थन चाहिए।'

दोनों पक्ष लगा रहे हैं पक्षपात के आरोप

दोनों पक्ष लगा रहे हैं पक्षपात के आरोप

लखीमपुर खीरी कांड के बाद से ही मुख्य आरोपी और केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को लेकर इलाके में सिखों और ब्राह्मण समाज के बीच के एक खाई महसूस होने की बात कही जा रही है। इस मामले में दोनों ओर से अपने-अपने तरीके से दलीलें दी जा रही हैं। यहां ऑल इंडिया ब्राह्मण महासभा के नेता भी सक्रिय हैं और आरोप लगा रहे हैं कि जांच में पुलिस सिख समुदाय का पक्ष ले रही है। क्योंकि, किसानों पर गाड़ी चढ़ाने के मामले में 13 लोग गिरफ्तार हुए हैं, जबकि तीन बीजेपी कार्यकर्ताओं की लिंचिंग के केस में सिर्फ चार ही को पकड़ पाई है। लेकिन, लखीमपुर के कई सिख किसानों का आरोप है कि पुलिस मिश्रा का साथ दे रही है। इनका आरोप है कि बीजेपी ब्राह्मण वोट बैंक को नहीं नाराज करना चाहती, जो उसे सत्ता में पहुंचाता है।

आशीष मिश्रा के बचाव में दलील

आशीष मिश्रा के बचाव में दलील

खुद को आशीष मिश्रा के वकील बताने वाले अवधेश सिंह की दलील है कि, 'वह घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे और उन्होंने वीआईपी को लाने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को नहीं भेजा था। इसलिए, यहां कोई साजिश नहीं है। उन्हें सिर्फ केंद्रीय मंत्री का बेटा होने की कीमत चुकानी पड़ रही है।' 15 नवंबर को आशीष की जमानत पर सुनवाई होनी है। उनके वकील का दावा है कि 'सबकुछ मीडिया के दबाव में हो रहा है। पुलिस घटना स्थल पर आशीष की मौजूदगी नहीं साबित कर पाई है। इसलिए उनपर हत्या का आरोप गलत है। पुलिस उनके खिलाफ आपराधिक साजिश के तहत सबूत खोज रही है। लेकिन, हमें लगता है कि इस केस के सभी आरोपी पुलिस से कह चुके हैं कि आशीष ने उन्हें कार लेकर घटना स्थल पर नहीं भेजा था। सच तो ये है कि वे गए हैं यह आशीष को पता भी नहीं था। इसलिए, कोई साजिश नहीं है।'

लखीमपुर बीजेपी के लिए 'गले की फांस' बने आशीष ?

लखीमपुर बीजेपी के लिए 'गले की फांस' बने आशीष ?

चर्चा थी कि 2022 के विधानसभा चुनाव में आशीष मिश्रा को निघासन सीट से टिकट मिलेगा। लखीमपुर के कुछ बीजेपी नेताओं का कहना है कि वह 'हमारे गले की फांस बन गए हैं।' लेकिन, भाजपा के जिलाध्यक्ष सुनील सिंह ने कहा है, 'ना तो किसान और ना ही सिख हमारे खिलाफ हैं। कुछ शरारती तत्व, तथाकथित किसान हमारे खिलाफ हैं।' उन्होंने 3 अक्टूबर की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने साफ कर दिया है कि कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा।....उन्होंने यह भी कहा कि 'आशीष मिश्रा के खिलाफ कानून पूरी तरह से अपना काम कर रहा है।' एक स्थानीय भाजपा नेता का कहना है कि किसी ने भी न तो पुलिस डायरी देखी है और ना ही आरोपियों और गवाहों के बयान देखे हैं, इसलिए आशीष को क्लीन चिट देना 'जल्दबाजी' होगी।

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मंत्री अजय मिश्रा के बेटे के खिलाफ तथ्य

मंत्री अजय मिश्रा के बेटे के खिलाफ तथ्य

आशीष मिश्रा को सबसे बड़ा झटका ये लगा है कि फॉरेंसिक रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि हो गई है कि उनकी लाइसेंसी गन से हाल ही में गोली चली थी। एक स्थानीय भाजपा नेता के मुताबिक 'आशीष ने कहा था कि एक साल से गन से गोली नहीं चलाई गई है। यह भी गलत साबित हो चुका है।' लेकिन, आशीष के वकील की दलील है कि लाइसेंसी हथियार से आत्म-रक्षा में हवाई फायर की जा सकती है, लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि पुलिस के पास ये सबूत नहीं हैं कि गोली 3 अक्टूबर को ही चली और किसी भी ऑटोप्सी रिपोर्ट में भी गोली लगने की पुष्टि नहीं हुई है।

लखीमपुर खीरी की घटना को यूपी का आम ब्राह्मण समाज कोई जाति की भावना से नहीं देख रहा है- अभय मिश्रा, पत्रकार

English summary
The Lakhimpur Kheri incident in Uttar Pradesh has become a noose for the BJP. The party holds all the 12 assembly seats in the area, but both local Brahmins and Sikhs are accusing the police of bias
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