JNU के प्रोफेसर राकेश भटनागर का BHU का कुलपति बनना तय
वाराणसी। आखिरकार बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी को पांच महीने बीत जाने के बाद नए कुलपति मिले हैं। इस मामले में बीएचयू ने मेल जारी कर बताया है कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राकेश भटनागर को बीएचयू के नये कुलपति के रूप में नियुक्त किया गया है। इसके पहले राकेश भटनागर कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल में कुलपति और जेएनयू में अलग-अलग प्रशासनिक ओहदों पर जिम्मेदारी का संभाल चुके हैं।
लड़कियों पर लाठीचार्ज की घटना के बाद से खाली था पद
बता दें कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में 26 नवंबर 2017 को कुलपति प्रो. जीसी त्रिपाठी का कार्यकाल खत्म होने के बाद से ही नए वाइस चांसलर के लिए तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं। यूनिवर्सिटी के पीआरओ डॉ. राजेश सिंह ने वनइंडिया से बात करते हुए बताया कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय को राकेश भटनागर की नियुक्ति से संबंधित मेल मिल चुका है। जेएनयू के बायोकेमेस्ट्री के प्रोफेसर राकेश भटनागर को अब काशी हिंदू विश्वविद्यालय का नया कुलपति बनाया गया है।
एंथ्रेक्स बीमारी से निदान के लिए विकसित किया टीका
प्रोफेसर राकेश भटनागर मॉलीक्यूलर बायलोजी एंड जेनेटिक इंजीनियरिंग लैबोरेटरी के विशेषज्ञ हैं। इनका जन्म वर्ष 1951 में हुआ है। कुलपति के पद के लिए इनके नाम पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मुहर लगने के बाद अटकलों का बाजार शांत हुआ। प्रोफेसर राकेश भटनागर ने रसायन विज्ञान में एमएससी की डिग्री कानपुर विश्वविद्यालय से हासिल की। वहीं कानपुर स्थित राष्ट्रीय चीनी संस्थान से उन्होंने पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है। एंथ्रेक्स बीमारी से निदान के लिए टीके के विकास का श्रेय डॉ भटनागर को ही जाता है। ये दुनिया के दस चुनिंदा शोधकर्ताओं में भी शामिल हैं। डॉ. भटनागर कई विश्वविद्यालयों के प्रशासन से जुड़े रहे हैं। जेएनयू के स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी में डीन के अलावा एकेडमिक स्टाफ कॉलेज के निदेशक के पद पर भी रह चुके हैं। प्रोफेसर भटनागर कुमाऊं विश्वविद्यालय में भी कुलपति रह चुके हैं। दुनिया के कई जर्नलों में संक्रामक बीमारी व उनके निदान के विषय पर इनके शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। वे नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस व इंडियन एकेडमी ऑफ साइंस के फेलो भी रहे हैं। इन्हें पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी सम्मानित कर चुके है।
200 से ज्यादा थे दौड़ में
इधर पांच महीने से लगातार नए कुलपति का इंतजार किया जा रहा था। दरअसल कुलपति पद के लिए करीब दो सौ से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया था। उसमें योग्य व्यक्ति के चयन में काफी विलंब हुआ। अंततः प्रो. भटनागर के नाम पर सहमति बनी। हलांकि इस दौड़ में बीएचयू के भी कई प्रोफेसर लाइन में लगे थे। कहा यह भी जा रहा था कि इस बार किसी महिला को यह जिम्मेदारी दी जाएगी लेकिन उन सभी कयासों पर अब विराम लग गया।
नवंबर
को
पूरा
हुआ
था
पूर्व
वीसी
का
कार्यकाल
पिछले
21
सितंबर
को
बीएचयू
के
भारत
कला
भवन
के
समीप
बीएफए
की
छात्र
संग
हुए
छेड़छाड़
के
बाद
छात्राओं
के
आदोलन
के
में
विश्वविद्यालय
के
सुरक्षाकर्मियों
और
पुलिसकर्मियों
ने
छात्राओँ
पर
लाठीचार्ज
भी
किया
था।
कुलपति
प्रो
जीसी
त्रिपाठी
को
उनके
विवादित
बयानों
के
चलते
मानव
संसाधन
विकास
मंत्रालय
ने
लीव
पर
भेज
दिया
था।
उसके
बाद
26
नवंबर
को
प्रो.
त्रिपाठी
का
कार्यकाल
पूरा
हो
गया।
तब
से
कुलसचिव
डॉ
नीरज
त्रिपाठी
कार्यवाहक
कुलपति
के
रूप
में
काम
देख
रहे
हैं।
चर्चाओं का बाजार गर्म
हलांकि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अचानक से जेएनयू के किसी प्रोसेसर को कुलपति बनाए जाने के बाद यहां चर्चाओं का बाजार भी गर्म हो गया है। वजह विपक्षी दल लगातार भारतीय जनता पार्टी पर बीएचयू के भगवाकरण का आरोप लगाते हुए कुलपति प्रोफेसर जीसी त्रिपाठी का विरोध करते रहे थे। यहां तक कि प्रोफेसर जीसी त्रिपाठी पर आरएसएस के करीबी होने का भी आरोप लगाया गया था।
जेएनयू
देश
विरोधी
मामले
में
थे
जांच
टीम
में
प्रोफेसर
भटनागर
ने
ही
2016
में
जेएनयू
में
देश
विरोधी
गतिविधियों
की
जांच
टीम
को
हेड
करते
हुए
कन्हैया
कुमार
समेत
आठ
छात्रों
के
खिलाफ
रिपोर्ट
दी
थी
जिसपर
इनके
खिलाफ
मुकदमा
दर्ज
कर
इन
सभी
को
हॉस्टल
से
डिबार
किया
गया
था।
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जिसकी
वजह
से
मायावती
राज्यसभा
सीट
हार
गईं
उसे
निषाद
पार्टी
ने
निकाल
दिया
है