यूपी चुनाव 2022 में सपा और आप का हुआ गठबंधन तो क्या भाजपा की बढ़ेगी मुश्किलें ?
लखनऊ, 24 नवंबर। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है कुछ ही महीनों में चुनाव होने वाले हैं। इस बार के चुनाव कई राजनीतिक पार्टियों के बेहद निर्णायक माने जा रहे हैं। समाजवादी पार्टी जो कि इस चुनाव में प्रमुख विपक्षी पार्टी होने का दावा कर रही है उसके मुखिया अखिलेश यादव आरएलडी से गठबंधन कर चुके हैं अब कयास लगाया जा रहा है कि आम आदमी पार्टी भी इस गठबंधन में शामिल हो सकती है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि अगर सपा के साथ आप पार्टी चुनावी गठबंधन करती है तो क्या इससे भारतीय जनता पार्टी की चुनाव में मुश्किलें बढ़ेगी?
अखिलेश
यादव
और
संजय
सिंह
ने
की
मुलाकात
पहले
बता
दें
बुधवार
को
आम
आदमी
पार्टी
के
नेता
और
सांसद
संजय
सिंह
ने
सपा
अध्यक्ष
अखिलेश
यादव
के
साथ
लगभग
30
मिनट
की
बात
हुई।
हालांकि
संजय
सिंह
ने
इस
बैठक
के
बाद
कहा
कि
हमारी
साथ
चुनाव
लड़ने
के
मुद्दे
पर
कोई
बात
नहीं
हुई
है।
हमारी
ये
व्यक्तिगत
भेट
थी
और
हमने
प्रदेश
में
भाजपा
सरकार
में
चौपट
कानून
व्यवस्था
पर
बात
की
और
हमने
साथ
मिलकर
भाजपा
से
निपटने
की
रणनीति
तैयार
की।
सीटों
के
बंटवारे
को
लेकर
फंसा
है
गठबंधन
का
पेंच
संजय
सिंह
भले
ही
ये
बयान
देकर
बात
को
घुमा
रहे
हैं
लेकिन
सूत्रों
के
अनुसार
सपा
और
आप
के
बीच
चुनाव
में
सीटों
के
बंटवारे
को
लेकर
बात
अभी
साफ
नहीं
हुई
है
इसलिए
गठबंधन
का
मामला
अटका
है।
सपा
प्रमुख
अखिलेश
यादव
जो
की
आगामी
चुनाव
में
300
सीटें
जीतने
का
दावा
कर
रहे
हैं
उनकी
शुरूआत
से
कोशिश
है
कि
यूपी
की
छोटी-छोटी
पार्टियों
और
नामी
नेताओं
को
अपने
साथ
जोड़कर
मजबूत
विपक्षी
गठबंधन
बना
कर
भाजपा
को
हरा
कर
यूपी
की
सत्ता
हथियानी
है।
इसलिए
अब
सपा
भाजपा
की
धुर
विरोधी
आम
आदमी
पार्टी
के
साथ
गठबंधन
करके
भाजपा
को
हराना
चाहती
है
अगर
ये
गठबंधन
हुआ
तो
यूपी
में
क्या
गुल
खिलाएगा
?
गठबंधन
से
किसको
होगा
फायदा
राजनीति
विशेषज्ञों
का
कहना
है
कि
शुरूआत
से
ही
लगभग
ये
तय
है
कि
सपा
और
आम
आदमी
साथ
चुनावी
मैदान
में
नजर
आएगी।
आप
यूपी
चुनाव
से
छह
महीने
पहले
ही
सक्रिय
हुई
है
इसलिए
जमीनी
स्तर
पर
बहुत
काम
नहीं
कर
पाई
है।
धरना
प्रदर्शन
और
प्रेस
कान्फ्रेंस
तक
ही
सीमित
रही।
आप
ने
चुनाव
से
पहले
जिला
लेवल
की
कमेटियां
तैयार
की
और
विधानसभा
लेवल
की
कमेटियां
भी
तैयार
की
लेकिन
वोट
पाने
के
लिए
जनता
के
बीच
मुद्दे
उठाना
पर्याप्त
नहीं
है
उनका
समाधान
और
जनता
के
लिए
कार्य
करना
भी
जरूरी
है
इसलिए
सपा
को
गठबंधन
से
कोई
बहुत
फायदा
होगा
ये
कहना
मुश्किल
है।
क्या
भाजपा
के
वोट
तोड़
पाएगी
आप
गौरतलब
है
कि
2014
के
लोकसभा
चुनाव
में
पहली
बार
आप
पार्टी
ने
वाराणसी
में
पीएम
मोदी
और
अमेठी
में
राहुल
गांधी
के
खिलाफ
चुनाव
लड़ा
और
दोनों
जगह
हार
मिली
थी।
आप
लोक
लुभावने
वादे
जैसे
मुफ्त
बिजली-पानी,
शिक्षा
जनता
को
देने
के
मामले
में
माहिर
है,
दिल्ली
की
तरह
यूपी
में
भी
वो
इसे
अजमाएगी
लेकिन
भाजपा
के
कोर
वोटरों
को
तोड़
पाना
आप
के
लिए
मुश्किल
होगा।
हालांकि
यूपी
में
भी
आम
आदमी
पार्टी
की
हिट
एंड
रन
वाली
स्ट्रेटजी
बहुत
कमाल
कर
पाएगी
ये
आने
वाला
समय
ही
बताएगा।
चाचा-भतीजे की जोड़ी नहीं है पटरी पर, सीटों पर बात बनी तभी अखिलेश-शिवपाल की आगे बढ़ेगी गाड़ी
क्या
भाजपा
की
बढ़ेगी
मुश्किलें
वरिष्ठ
पत्रकार
सिद्धार्थ
कलहंस
कहते
है
आप
के
साथ
गठबंधन
अभी
शक्ल
लेने
में
अभी
थोड़ा
समय
लगेगा।
आमतौर
पर
शहरी
मध्यवर्ग
में
असर
रखने
वाली
आप
के
साथ
गठबंधन
से
सपा
को
बहुत
फायदा
तो
नहीं
होने
वाला
है
पर
माहौल
बनाने
में
मदद
मिल
सकती
है।
सपा
को
प्रचार
के
लिए
केजरीवाल
जैसे
भीड़
खींच
सकने
वाले
नेता
का
साथ
मिलेगा।
शहरों
में
आम
तौर
पर
कमजोर
रहने
वाली
सपा
को
मजबूती
मिलेगी
और
भाजपा
से
शहरी
मध्य
वर्ग
के
वोट
खिसकेंगे।
सीटों
के
लिहाज
से
सपा
को
कोई
खास
फायदा
आप
के
साथ
गठबंधन
करने
से
नहीं
मिलने
वाला
है।