एक पॉलिटिकल थ्रिलर से कम नहीं है अमेठी का चुनावी सफरनामा
लखनऊ, 27 जनवरी। रेप के जुर्म में उम्रकैद की सजा काट रहे गायत्री प्रजापति की पत्नी महाराजी प्रजापति अमेठी से (सपा) चुनाव लड़ेंगी। हैरत की बात ये है कि वे अखिलेश यादव और गायत्री प्रजापति के नाम पर वोट मांग रही हैं। महाराजी प्रजापति का दावा है कि जनता के वोट से ही उनके पति को इंसाफ मिलेगा। क्या रेप का सजायाफ्ता कोई नेता वोटरों के लिए आदर्श हो सकता है ?
अमेठी विधानसभा क्षेत्र का इतिहास किसी पॉलिटिकल थ्रिलर से कम नहीं है। लोकसभा सीट के रूप में अमेठी की देश भर में ख्याति रही है। लेकिन विधानसभा सीट के रूप में यह अलग-अलग कारणों से चर्चित रहा है।
अमेठी के संजय सिंह
राजपरिवार के संजय सिंह ने कांग्रेस उमम्मीदवार के रूप में अमेठी से 1980 और 1985 का विधानसभा का चुनाव जीता था। लेकिन कहानी शुरू होती है गोरखपुर से। गोरखपुर के रहने वाले सैयद मोदी 1980 में 18 साल की उम्र में बैडमिंटन के नेशनल चैम्पियन बने थे। उन्होंने लगातार आठ बार (1987 तक) नेशनल किताब जीता। उसी समय महाराष्ट्र की अमिता कुलकर्णी भी जानी-मानी महिला बैंडमिंटन खिलाड़ी थीं। वे भी महिला वर्ग की नेशनल चैम्पियन थीं। घरवालों के विरोध के बावजूद सैयद मोदी और अमिता कुलकर्णी ने 1984 में शादी कर ली थी। दोनों उस समय बैडमिंटन के स्टार खिलाड़ी थे। लेकिन खेल के दवाब और पारिवारिक दबाव (अलग-अलग धर्म की वजह से) के कारण दोनों के रिश्ते में दरार पड़ने लगी। कहा जाता है कि इसी समय अमिता मोदी की मुलाकात संजय सिंह से हुई। अमेठी के राजकुमार संजय सिंह को उस समय गांधी परिवार का करीबी माना जाता था। वे विधायक थे। कुछ समय बाद संजय सिंह को लेकर सैयद मोदी और अमिता मोदी के रिश्ते कड़वे होते गये। 1988 में अचानक एक दिन सैयद मोदी की हत्या हो गयी। शक की सूई अमिता मोदी और संजय सिंह की तरफ घूम गयी।
संजय सिंह की अमिता मोदी से शादी
नम्बर 1988 में सीबीआइ ने सैयद मोदी हत्याकांड में चार्जशीट दाखिल की थी जिसमें संजय सिंह, अमिता मोदी, जितेन्द्र सिंह, भगवती सिंह, अखिलेश सिंह (रायबरेली के पूर्व विधायक) समेत सात लोगों को आरोपी बनाया गया था। राम जेठमलानी ने संजय सिंह का केस लड़ा था। 1990 में कोर्ट ने पुख्ता सबूत नहीं होने के आधार पर अमिता मोदी और संजय सिंह का नाम इस केस से अलग कर दिया था। 1996 में अखिलेश सिंह को भी बरी कर दिया था। संजय सिंह शादीशुदा और बाल- बच्चेदार थे। फिर भी अमिता से उनकी नजदीकी थी। अमिता मोदी से शादी करने के लिए संजय सिंह ने अपनी पहली पत्नी गरिमा सिंह को तलाक दे दिया था। 1995 में संजय सिंह ने अमिता से शादी की थी। आरोप है कि संजय सिंह ने अपनी पहली पत्नी गरिमा सिंह को घर से निकाल दिया था। संजय सिंह के पारिवारिक कलह का असर अमेठी की राजनीति पर भी पड़ा। इस विवाद की दोनों पात्र, अमिता सिंह और गरिमा सिंह, अमेठी की विधायक बनीं। अमिता सिंह 2002 में भाजपा से तो 2007 में कांग्रेस से विधायक बनीं थीं। संजय सिंह की पूर्व पत्नी गरिमा सिंह वे 2017 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता था।
2017 में गरिमा सिंह बनीं विधायक
2017 के चुनाव में अमेठी सीट पर कांटे का मुकाबला हुआ था। इस चुनाव में संजय सिंह की पूर्व पत्नी गरिमा सिंह और मौजूदा पत्नी अमिता सिंह, दोनों ने चुनाव लड़ा था। गरिमा भाजपा से और अमिता कांग्रेस से। उस चुनाव में एक और पात्र थे गायत्री प्रजापति। अखिलेश सरकार में खनन मंत्री थे। लेकिन उन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में खनन मंत्री का पद छोड़ना पड़ा था। गायत्री प्रजापति पर रेप का आरोप भी लगा था। इन सब के बावजूद वे चुनाव मैदान में थे। चुनाव हुआ तो जनता ने गरिमा सिंह के पक्ष में फैसला सुनाया। गरिमा सिंह ने गायत्री प्रजापति को करीब पांच हजार वोटों से हरा दिया था। अमिता सिंह चौथे स्थान पर फिसल गयीं। इस जीत को गरिमा सिंह ने न्याय की जीत बताया था। गरिमा सिंह और संजय सिंह के पुत्र हैं अनंत विक्रम सिंह। अपनी मां को घर से बेदखल कर देने की वजह से अनंत की संजय सिंह से अदावत रही है। अनंत ने 2014 में यह कर कर सनसनी मचा दी थी कि सैयद मोदी हत्याकांड की फिर सीबीआइ जांच होनी चाहिए। उन्होंने संजय सिंह और अमिता सिंह को क्लीन चिट दिये जाने पर सवाल उठाया था।
गायत्री प्रजापति फर्श से अर्श तक
गायत्री प्रजापति की कहानी, राजनीति उत्थन और पतन की कहानी है। वे फर्श से अर्श पर पहुंचे। फिर अर्श से फर्श पर आ गिरे। उनका शुरुआती जीवन बहुत संघर्षमय था। वे बीपीएल कार्डधारक थे। यानी उनका परिवार गरीबी रेखा से नीचे था। 1993 में उन्होंने पहला चुनाव लड़ा लेकिन जमानत जब्त हो गयी। एक बार लखनऊ में उनकी मुलाकात मुलायम सिंह यादव से हुई। कहा जाता है कि गायत्री ने अपनी वाकपटुता और खुशामदी रवैये से मुलायम सिंह को प्रभावित कर लिया। 1996 में मुलायम सिंह ने गायत्री को अमेठी से सपा का टिकट दिया। लेकिन वे हार गये। 2002 में गायत्री फिर सपा उम्मीदावर बने। इस बार वे भाजपा की अमिता सिंह से हार गये। 2007 में उन्हें टिकट नहीं मिला। लेकिन 2012 में सपा ने गायत्री को फिर अमेठी से खड़ा किया। लगातार तीन हार के बाद आखिरकार किस्मत मेहरबान हुई। गायत्री जीते और अखिलेश सरकार में मंत्री बने। जब वे खनन मंत्री थे तब उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे। उन पर आय से अधिक सम्पत्ति आर्जित करने मामला दर्ज हुआ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खनन विभाग की गड़बड़ी की जांच सीबीआइ से कराने का आदेश दिया। बदनामी की वजह से अखिलेश यादव ने उन्हें मंत्री से हटा दिया। लेकिन गायत्री का ऐसा दबदबा था कि अखिलेश यादव को उन्हें दोबारा मंत्री बनाना पड़ा।
रेप के सजायाफ्ता की पत्नी को टिकट
2017 के विधानसभा चुनाव से पहले मंत्री गायत्री पर एक महिला ने रेप का आरोप लगाया। मंत्री की हनक की वजह से पुलिस केस दर्ज नहीं कर रही थी। महिला का आरोप था कि वह अपनी नाबालिग बेटी के साथ मंत्री के आवास पर गयी थी जहां नशीला पदार्थ खिला कर दोनों के साथ रेप किया गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस मामले में गायत्री प्रजापति समेत सात लोगों के खिलाफ पोक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया। हैरत की बात ये थी कि रेप के आरोप के बाद भी सपा ने 2017 में गायत्री को अमेठी से टिकट दिया था। इस चुनाव में गायत्री की हार हुई। 2017 में अखिलेश सरकार का पतन हो गया। योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी। गायत्री 17 मार्च 2017 को गिरफ्तार हुए। 2022 विधानसभा चुनाव के ठीक पहले नवम्बर 2021 में एमपी-एमएलए कोर्ट ने गायत्री प्रजापति को रेप केस में दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनायी। अब गायत्री चुनाव तो लड़ नहीं सकते थे। इसलिए सपा ने 2022 में गायत्री की पत्नी महाराजी प्रजापति को अमेठी से टिकट दे दिया।
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